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अलविदा लोहित: तन्हा ही कट गई पूरी जिंदगी, किस्से सुन आज भी थर्रातें हैं ज़ू कर्मचारी
पिछले 23 सालों से लखनऊ जू आने वाले हर पर्यटक के लिए कौतूहल का विषय रहे बुजुर्ग गैंडे लोहित ने शनिवार सुबह अंतिम सांस ली। लोहित अपनी पूरी जिंदगी जू में तन्हा ही रहा, उसे कभी जीवनसाथी नसीब नहीं हुआ। अकेलेपन से घिरे लोहित ने आखिरकार लखनऊ जू समेत पूरी दुनिया को अलविदा कह दिया। जू के निदेशक आर
लखनऊ: पिछले 23 सालों से लखनऊ जू आने वाले हर पर्यटक के लिए कौतूहल का विषय रहे बुजुर्ग गैंडे लोहित ने शनिवार (3 फरवरी) को सुबह अंतिम सांस ली। लोहित अपनी पूरी जिंदगी जू में तन्हा ही रहा, उसे कभी जीवनसाथी नसीब नहीं हुआ।
अकेलेपन से घिरे लोहित ने आखिरकार लखनऊ जू समेत पूरी दुनिया को अलविदा कह दिया। जू के निदेशक आर के सिंह के मुताबिक लोहित की खट्टी मीठी यादें सबकी जुबान पर हैं। इसके अलावा लोहित के खूंखार रूप के किस्से सुन जू कर्मचारियों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
45 किलो भोजन से 4 किलो पर सिमटी खुराक
जू के निदेशक आर के सिंह ने बताया कि लोहित की पूरी खुराक करीब 45 किलो भोजन थी। लेकिन वर्तमान में वह केवल 3 से 4 किलो के बीच ही भोजन ले पा रहा था। इससे उसका स्वास्थ्य लगातार गिरता रहा। इस खुराक के साथ ताकत के लिए उसे गन्ने का रस भी दिया जा रहा था। लेकिन उम्र के 35 बसंत पार कर चुके लोहित के सारे दांत गिर चुके थे और पिछले 2 हफ्ते से वो बहुत बीमार भी था। इसके चलते शनिवार को सुबह उसने प्राण त्याग दिए।
दो जानें लेकर लोहित बना खूंखार
लोहित ने अपनी देखरेख करने वाले डॉ दास की वर्ष 1995 में किसी बात पर क्रोधित होकर जान ले ली थी। इसके अलावा कटी पतंग लूटने के लिए लोहित के बाड़े में घुसे युवक को भी उसने पटक -टक कर मार डाला था। इसके बाद से सब उसके पास जाने से थर्राते थे और उसे खूंखार गैंडों की श्रेणी का जानवर मान लिया गया। हालांकि, तबसे लेकर आज तक उसका व्यवहार नार्मल ही रहा।