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Ramadan 2025: मस्जिद ए कूफा से 19वीं रमजान को निकाला गया जुलूस
Ramadan 2025: मस्जिदे कूफा काजमैन से निकाला गया, यह ताबूत इमामबाड़ा हकीम सैयद मोहम्मद तकी ले जाया गया। जुलूस को निकलवाने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किया गये थे।
सआदतगंज स्थित मस्जिद ए कूफा से 19वीं रमजान को निकाला गया जुलूस (photo: Newstrack.com )
Ramadan 2025: अमीर-उल-मोमेनीन हजरत अली (अ.स.) को जरबत (तलवार) मारे जाने की याद में गुरुवार को तड़के बड़ी अकीदत के साथ गिलीम में ताबूत का जुलूस निकाला गया। जिसमें में हजारों पुरूषों के अलवा पर्दानशीन महिलाओ व बच्चों ने काले लिबास पहने शिरकत की। जुलूस में ताबूत की जियारत करने के लिए अकीदतमंदों का सेलाब नजर आया। मस्जिदे कूफा काजमैन से निकाला गया यह ताबूत इमामबाड़ा हकीम सैयद मोहम्मद तकी ले जाया गया। जुलूस को निकलवाने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किया गये थे। जुलूस की निगरानी ड्रोन कैमरा से की जा रही थी। जुलूस से पूर्व सुबह मस्जिद में कारी ताहिर जाफरी ने फज्र की अजान दी। अजान होते ही मस्जिद परिसर नमाजियों से खचा-खच भर गया।
मौलाना जहीर अहमद इफतकारी ने नमाजे जमाअत पढ़ायी। इसके बाद मौलाना मुत्तकी जैदी ने मजलिस को खिताब किया। उन्होंने जब 19वीं रमजान को हजरत अली (अ.स.) पर सुबह की नमाज के दौरान अब्दुर्रहमान इब्ने मुल्जिम ने जहर से बुझी तलवार से वार करने का मंजर बयान किया तो अजादारों के रोने की आवाजे बुलन्द हो गयीं।

मजलिस के बाद काजमैन से जैसे ही कंबल में लिपटा ताबूत बाहर आया तो अजादार ताबूत का बोसा लेने लगे। अब यह ताबूत अपनी मंजिल के लिए बढ़ने लगा। जुलूस के आगे 'जुलूसे शबीह ताबूत" का काला बैनर चल रहा था और मर्सियाख्वानी हो रही थी। मर्सियाख्वानी और आंसुओं के साथ यह जुलूस मंसूर नगर पहुंचा।

ताबूत की जियारत करने वालों का हुजूम
यहां से गिरधारी सिंह इंटर कालेज, बिल्लौचपुरा होते हुए नक्खास पहुंचा। जहां रास्ते के दोनों ओर ताबूत की जियारत करने वालों का हुजूम था। ताबूत देख हर आंख से आंसू जारी हो जाते थे। जुलूस के साथ हजरत अब्बास (अ.स.) के अलम चल रहे थे। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच चल रहा जुलूस नक्खास, अकबरी गेट होते हुए पाटानाला के पास पहुंचा। जहां पुरुषों ने ताबूत महिलाओं को सौंप दिया।

वह ताबूत इमामबाड़ा हकीम सैयद मोहम्मद तकी में ले गयी। इसके बाद अलविदायी मजलिस हुई। जिसे मौलाना मीसम जैदी ने खिताब किया। मजलिस खत्म होते ही हैदर मौला-या अली मौला की आवाजे गूंजने लगी।
