Lucknow News: BSIP में 78वें स्थापना दिवस का आयोजन हुआ, 15 शोधार्थियों को किया सम्मानित

Lucknow News: मुख्य अतिथि पंडित दीनदयाल ऊर्जा विश्वविद्यालय के महानिदेशक डॉ. एस. सुंदर मनोहरन रहे। उन्होंने कहा कि एक वैज्ञानिक अपने महत्वपूर्ण योगदान से समाज में अभिन्न छाप छोड़ सकता है। कहा कि प्राचीन डीएनए से संबंधित शोध दुनिया भर के कई समुदायों की खोई हुई वंशावली की कमी को पूरा करने में मदद कर सकता है।

Abhishek Mishra
Published on: 11 Sep 2024 10:00 AM GMT (Updated on: 11 Sep 2024 10:00 AM GMT)
Lucknow News: BSIP में 78वें स्थापना दिवस का आयोजन हुआ, 15 शोधार्थियों को किया सम्मानित
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Lucknow News: बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज (बीएसआईपी) में 78वें स्थापना दिवस समारोह का आयोजन हुआ। मुख्य अतिथि पंडित दीनदयाल ऊर्जा विश्वविद्यालय के महानिदेशक डॉ. एस. सुंदर मनोहरन रहे। उन्होंने कहा कि एक वैज्ञानिक अपने महत्वपूर्ण योगदान से समाज में अभिन्न छाप छोड़ सकता है। कहा कि प्राचीन डीएनए से संबंधित शोध दुनिया भर के कई समुदायों की खोई हुई वंशावली की कमी को पूरा करने में मदद कर सकता है। डॉ. मनोहरन ने कहा कि किसी भी संगठन का स्थापना दिवस अधिक ऊर्जा और उत्साह से रिचार्ज होने का दिन होता है।

स्थापना दिवस पर हुआ व्याख्यान

विशिष्ट अतिथि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च के निदेशक डॉ. भास्कर नारायण रहे। उन्होंने संस्थान की प्रगति और उत्थान में आईसीई कूल होने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि आईसीई में आई का मतलब इनोवेशन, इंस्टीट्यूशन फर्स्ट और इंटीग्रिटी है। सी का अर्थ सहयोग, योग्यता और प्रतिबद्धता और ई का मतलब समर्पण, सशक्तिकरण, और नैतिकता से है। उन्होंने संस्थान में सभी को इन सिद्धांतों को अपनाने के लिए कहा। समारोह में स्थापना दिवस व्याख्यान राजस्थान विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर डीके पांडे ने कोरल, सभ्यता और भूवैज्ञानिक महत्व विषय पर दिया। कहा कि मूंगा चट्टानें समुद्री तटों को तूफानों और कटाव से बचाती हैं, स्थानीय समुदायों को रोजगार प्रदान करती हैं। दुनिया भर में लगभग छह मिलियन मछुआरे इस पारिस्थितिकी तंत्र पर निर्भर हैं, जिसकी वैश्विक स्तर पर प्रति वर्ष अनुमानित अर्थव्यवस्था 375 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। इसके अलावा कोरल के कंकाल का उपयोग मल्टीपल स्केलेरोसिस, कैंसर, हृदय रोग और अन्य बीमारियों के इलाज के लिए कैल्शियम पूरक के रूप में किया जाता है।

राजभाषा समिति की संयोजक डॉ. पूनम वर्मा ने हिंदी पखवाड़े का उद्घाटन किया। संस्थान की वार्षिक हिंदी पत्रिका पुराविज्ञान स्मारिका के तीसरे खंड का विमोचन हुआ। जिसकी संपादक वैज्ञानिक डॉ. पूनम वर्मा और सह संपादित व संपादित डॉ. स्वाति त्रिपाठी और डॉ. नीलम दास ने की है। बीएसआईपी के निदेशक प्रो. महेश जी. ठक्कर, वैज्ञानिक डॉ. शिल्पा पांडे, प्रख्यात जीवाश्म विज्ञानी प्रो. अशोक साहनी और संस्थान के सेवानिवृत्त वैज्ञानिकों सहित अन्य प्रतिष्ठित सदस्यों ने समारोह में भाग लिया।

विदेशों में प्रतिनिधित्व करने वाले वैज्ञानिकों का सम्मान

दक्षिण कोरिया, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और चेक गणराज्य में आयोजित अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में बीएसआईपी और भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले वैज्ञानिकों को भी समारोह में सम्मानित किया गया। इसमें डॉ. पूनम वर्मा, विवेश वीर कपूर, नीरज राय, अद्रिता चौधरी, रणवीर सिंह नेगी और शोध विद्वान आर्या पांडे, सूरज कुमार साहू, पूजा तिवारी, देवेश्वर प्रकाश मिश्रा, निधि तोमर, पियाल हलधर का नाम है। इसी तरह वर्तिका सिंह, सबेरा खातून, प्रिया दीक्षित और महबूब आलम जैसे शोध विद्वानों को भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों में चयन के लिए सम्मानित किया गया।

15 शोध विद्यार्थियों को सम्मानित किया

बीते एक वर्ष के दौरान डॉक्टरेट की डिग्री पाने वाले शोधार्थियों को सम्मानित किया गया। इसमें डॉ. सुयश गुप्ता, डॉ. योगेश पाल सिंह, डॉ. सचिन कुमार, डॉ. प्रिया अग्निहोत्री, डॉ. काजल चंद्रा, डॉ. हर्षिता भाटिया, डॉ. पूजा तिवारी, डॉ. बेन्सी डेविड चिंताला, डॉ. हिदायतुल्ला, डॉ. प्रियंका सिंह, डॉ. शालिनी परमार, डॉ. लोपामुद्रा रॉय, डॉ. मसूद कंवर, डॉ. राज कुमार और डॉ. सर्वेंद्र प्रताप सिंह का नाम शामिल है।

Abhishek Mishra

Abhishek Mishra

Correspondent

मेरा नाम अभिषेक मिश्रा है। मैं लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। मैंने हिंदुस्तान हिंदी अखबार में एक साल तक कंटेंट क्रिएशन के लिए इंटर्नशिप की है। इसके साथ मैं ब्लॉगर नेटवर्किंग साइट पर भी ब्लॉग्स लिखता हूं।

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