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Lucknow News: CM पोर्टल पर शिकायत के बाद राम मंदिर के प्रसाद की हुई सैंपलिंग, प्रयोगशाला भेजे गए नमूने
Lucknow News: सहायक खाद्य आयुक्त मानिक चंद सिंह का कहना है कि आईजीआरएस से मिली शिकायत के बाद हैदरगंज में जिस स्थान पर इलायची दाना का प्रसाद बनता है वहां से सैंपलिंग करके जांच के लिए झांसी राजकीय प्रयोगशाला भेज दिया गया है।
Lucknow News: बीते दिनों आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसादम लड्डू में मछली के तेल की मिलावट का मामला सामने आया। इसके बाद से ही अन्य प्रसिद्ध मंदिरों में उत्पादों की जांच शुरू हो गई है। काशी विश्वनाथ मंदिर के बाद अब अयोध्या के राम मंदिर के प्रसाद की जांच की मांग उठाई गई है। जानकारी के मुताबिक एक रामभक्त ने मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल आईजीआरएस पर अयोध्या राममंदिर में वितरित होने वाले प्रसाद की जांच का भी अनुरोध किया है। खाद्य सुरक्षा विभाग ने सैंपलिंग करके जांच प्रयोगशाला भेज दिया है।
हर रोज वितरित होते 80 हजार प्रसाद पैकेट
अयोध्या के राम मंदिर में हर रोज करीब प्रसाद के अस्सी हजार पैकेट बांटे जाते हैं। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से ही यहां प्रसाद के रूप में इलाइची दाना दिया जाने लगा है। इसमें चीनी इलायची दाना के अलावा कोई भी अन्य खाद्य सामग्री नहीं मिलाई जाती है। तीर्थ क्षेत्र के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता के मुताबिक प्रति दिन औसतन 80 हजार इलाचयी दाना का पैकेट प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। सहायक खाद्य आयुक्त मानिक चंद सिंह का कहना है कि आईजीआरएस से मिली शिकायत के बाद हैदरगंज में जिस स्थान पर इलायची दाना का प्रसाद बनता है वहां से सैंपलिंग करके जांच के लिए झांसी राजकीय प्रयोगशाला भेज दिया गया है।
भक्तों को नहीं बांटा जाता भोग प्रसाद
राम लला मंदिर के प्रसाद को एक स्पेशल रसोई में बनाया जाता है। यहां कार्य करने वाले रसोइए सनातन परंपरा के मानक के अनुसार भगवान का भोग प्रसाद बनाते हैं। रामलला को रसोई में बनी पूड़ी, सब्जी, खीर का भोग लगाया जाता है। वहीं कुछ प्रसाद रामलला के भोग के लिए बाहर से भी मंगाए जाते हैं। इसमें से मुख्य रूप से पेड़ा, पान, फल, मेवा जैसी खाद्य वस्तु शामिल है। खास ये है कि पान व पेड़ा तीन तीन पीढियों से एक ही हलवाई व दुकान के यहां से आता है। इसके पीछे की वजह भी शुद्धता है। भोग लगाया हुआ प्रसाद आम भक्तों में वितरित नहीं किया जाता है। भोग प्रसाद को पुजारियों व तीर्थ क्षेत्र के पदाधिकारियों कर्मियों में बांटा जाता है।