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Lucknow News: हवा हुई जहरीली, अटकने लगी सांसें घुटने लगा दम; Air Pollution पर RML इंस्टीट्यूट के डाक्टर ने कही ये चौंकाने वाली बात
Lucknow News: अस्पतालों में दस में से एक से दो व्यक्ति सांस की परेशानी लेकर पहुंच रहे हैं। ऐसे में जटिल होते हालात को देखते हुए न्यूजट्रैक ने डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में रेस्पिरेटरी विभाग (श्वसनतंत्र विभाग) में जाकर डॉ सागर जैन से बातचीत की।
Lucknow News: राजधानी दिल्ली में स्वास्थ्य के लिए संकट बनती हवा का रुख देखते हुए सरकार ने ग्रेप 4 लागू करके हेल्थ इमरजेंसी से निपटने की तैयारी तेज कर दी है। लखनऊ में भी हवा की गुणवत्ता बद से बदतर हो चली है। आम आदमी को वायु प्रदूषण के कारण दमघोंटू माहौल में सांस लेने को विवश होना पड़ रहा है। अस्पतालों में दस में से एक से दो व्यक्ति सांस की परेशानी लेकर पहुंच रहे हैं। ऐसे में जटिल होते हालात को देखते हुए न्यूजट्रैक ने डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में रेस्पिरेटरी विभाग (श्वसनतंत्र विभाग) में जाकर डॉ सागर जैन से बातचीत की।
डॉ सागर जैन ने एयर पोल्यूशन और उसके दुष्प्रभावों एवं बचाव के उपाय सहित अन्य आवश्यक कारकों पर अपने विचार व्यक्त किये। डॉ जैन डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के छाती और श्वसन तंत्र विभाग में बतौर चिकित्सक कार्यरत हैं।
डॉ सागर जैन का कहना है कि एयर पोल्यूशन से कई तरह की ख़तरनाक और जानलेवा बीमारियों की चपेट में लोग आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण से सीओपीडी (इसे काला दमा भी कहा जाता है), क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, दिल की बीमारियां और किडनी की बीमारियां हो सकती हैं। इसके अलावा अगर प्रदूषण का स्तर अधिक है तो स्कीन कैंसर जैसी ख़तरनाक बीमारी भी हो सकती है।
वायु प्रदूषण जनित ख़तरनाक बीमारियों के शुरुआती लक्षणों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसके शुरुआती लक्षणों में आंखों में जलन, मिचली आना, सांस लेने में तकलीफ़, खांसी, घरघराहट, सीने में जकड़न, चक्कर आना और सिरदर्द जैसे लक्षण पाये जाते हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि इस रोग से सबसे अधिक शिशु, बच्चों और बुजुर्गों को प्रभावित होते हैं।
वायु प्रदूषण फैलाने वाले मुख्य कारणों पर बात करते हुए डॉ सागर जैन ने बताया कि कुछ परिवारों में लोगों की संख्या से अधिक वाहनों की संख्या पायी जाती है। लोगों द्वारा बहुतायत मात्रा में प्रयोग करने वाले वाहनों के कारण वायु प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है। इसके बाद उन्होंने कहा कि शादी-विवाह पर होने वाले आतिशबाजी और दीपावली आदि पर्वो पर पटाखे फोड़ने और पराली वग़ैरह जलाने से भी वायु प्रदूषण फैल सकता है।
हालांकि, डॉ जैन ने यह भी कहा, " हम यह नहीं कहते कि ख़ुशी के मौकों जैसे शादी-विवाह या दीपावली पर एकदम पटाखा बंद हो जाना चाहिए; पर हम पर्यावरण के सेहत का ध्यान रखने के साथ-साथ अपनी ख़ुशी पर सीमित स्तर पर या फिर ग्रीन पटाखे भी फोड़ सकते हैं।"
डॉ जैन ने कहा कि भट्टी-चिमनियों से निकलने वाले धुओं के साथ घरेलू चूल्हों (लकड़ी और कोयला वाले) और बड़े वाहनों से निकलने वाले ख़तरनाक धुओं के कारण दमघोंटू वायु प्रदूषण फैलता है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि ज़हरीली गैस, कोयला और गैसोलीन जैसे तत्वों से भी एयर पोल्यूशन होता है।
'वायु प्रदूषण से कैसे बचाव करें'
सागर जैन ने बताया कि बाहर बहुत ज़रूरी काम होने पर ही निकलें, मास्क पहने, पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करें, जबरदस्ती सूखे में इधर-उधर कूड़ा-कचरा जलाने से बचें, इसके अलावा किसी भी तरीके की शारीरिक तकलीफ़ होने पर योग्य डॉक्टरों को दिखायें। अच्छे अस्पतालों का चयन करें और झोलाछाप डॉक्टरों के बहकावे में आने से बचें।
अन्त में डॉ सागर जैन ने बताया कि सर्दियों का मौसम चल रहा है। अभी-अभी दीपावली बीती है। पराली जलाने की ख़बरें भी आती रहती हैं। ऐसे में सांस के मरीजों की संख्या में पहले से इज़ाफ़ा हुआ है। जो मरीज पहले से ही बीमार हैं और जिनकी अवस्था अधिक जटिल हो गयी है; उनके लिए वायु प्रदूषण बहुत ख़तरनाक हो सकता है। उन्होंने आम आदमी को सन्देश देते हुए कहा कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट का अधिक से अधिक उपयोग करें। मास्क लगाकर ही बाहर निकलें।
दिल्ली में वायु प्रदूषण की ख़बरें हर साल पढ़ने को मिलती हैं। इसके अलावा इस ख़तरनाक प्रदूषण की दस्तक धीरे-धीरे पूरे भारत में हो गयी। लोगों का बाहर निकलना दुश्वार हो गया है। सांस लेने में तकलीफ़ों का सामना करना पड़ रहा है। बड़े शहरों की हालत और गम्भीर है। दो पहिया और बड़े वाहनों की संख्या अधिक होने के कारण आये दिन घण्टों जाम लग जाता है। धूल और धूएं हवा में फैलने लगते हैं। जिसके कारण दमघोंटू माहौल में सांस लेने की मजबूरी बन जाती है।