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Dhanteras 2024: धनतेरस का शुभ मुहूर्त, जानें पूजा विधि और महत्व
Lucknow News: पं. रवि प्रकाश मिश्रा ने बताया कि धनतेरस रोशनी, उमंग और खुशियों के पर्व दिवाली की शुरुआत का प्रतीक है जो हिन्दू धर्म का प्रमुख एवं प्रसिद्ध त्यौहार है। पांच दिवसीय पर्व दीपावली का प्रथम दिन होता है धनतेरस।
Dhanteras 2024: हिन्दुओं के पवित्र त्यौहार धनतेरस को धन त्रयोदशी या धन्वन्तरि त्रयोदशी भी कहा जाता है। धनतेरस शब्द की उत्पति दो शब्दों से मिलकर हुई है "धन" और "त्रयोदशी" जिसका अर्थ है "धन" और तेरस या "त्रयोदशी" का अर्थ है तेरह। हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की तेरहवी तिथि या त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है।ज्योतिषाचार्य व लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत तथा प्राकृत संस्कृत विभाग के शोध छात्र पंडित रवि प्रकाश मिश्रा ने त्योहार के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व महत्व के बारे में विस्तार से बताया।
दिवाली का प्रथम दिन धनतेरस
पं. रवि प्रकाश मिश्रा ने बताया कि धनतेरस रोशनी, उमंग और खुशियों के पर्व दिवाली की शुरुआत का प्रतीक है जो हिन्दू धर्म का प्रमुख एवं प्रसिद्ध त्यौहार है। पांच दिवसीय पर्व दीपावली का प्रथम दिन होता है धनतेरस। उन्होंने कहा कि यह दिन धन के कोषाध्यक्ष देव कुबेर और आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि को समर्पित होता हैं और इस दिन इनका पूजन किया जाता है। सुख-समृद्धि एवं वैभवपूर्ण जीवन की कामना के लिए धनतेरस का दिन श्रेष्ठ होता है।
धनतेरस पूजा 2024 की तिथि एवं मुहूर्त
धनतेरस के दिन खरीदारी के लिए विशेष मुहूर्त की बात करें तो सुबह 10.31 से लेकर 30 अक्तूबर को दोपहर 01.15 तक आप वाहन खरीद सकते हैं।
चर (सामान्य) – सुबह 09:17 – सुबह 10.42
लाभ (उन्नति) – सुबह 10.42 – दोपहर 12.06
अमृत (सर्वोत्तम) – दोपहर 12.05 – दोपहर 01.28
लाभ (उन्नति) – रात 7.15 – रात 08.51
धनतेरस पूजा विधि
पंडित रवि प्रकाश मिश्रा ने बताया कि धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि, देवी लक्ष्मी एवं कुबेर देव की कृपा प्राप्त करने के लिए धनतेरस पूजा को इस प्रकार करें।धनतेरस पर संध्या के समय शुभ मुहूर्त में उत्तर दिशा की तरफ देव कुबेर और भगवान धन्वंतरि की स्थापना करें। इन्ही के साथ माता लक्ष्मी एवं श्री गणेश की भी मूर्ति या चित्र को स्थापित करना चाहिए। इसके बाद दीपक प्रज्वलित करें और विधिवत पूजन प्रारंभ करें। सभी देवी-देवताओं को तिलक करने के बाद पुष्प, फल आदि अर्पित करें। उन्होंने बताया कि इसके बाद कुबेर देवता को सफेद मिठाई और धन्वंतरि देव को पीली मिठाई का प्रसाद के रूप में भोग लगाएं। इस पूजा के दौरान 'ऊं ह्रीं कुबेराय नमः' मंत्र का जाप करते रहें। भगवान धन्वंतरि को प्रसन्न करने के लिए धनतेरस पर धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
धनतेरस का महत्व
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हिन्दू धर्म में धनतेरस के विशेष महत्व का वर्णन किया गया है। ऐसा कहा जाता हैं कि धनतेरस के दिन धन-धान्य की देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से घर-परिवार में सदैव धन, वैभव, सुख और समृद्धि का वास रहता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, धनतेरस पर पूजन करने से घर में धन के भंडार सदैव भरे रहते हैं और धन-संपदा में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि माता लक्ष्मी के साथ धनतेरस पर धन के देवता कुबेर के पूजन का भी विधान हैं। यही वजह है कि धनतेरस तिथि पर आभूषण, चांदी का सिक्का, नए बर्तन, नए कपड़े और वस्तुओं आदि की खरीदारी को शुभ माना जाता है। धनतेरस से जुड़ीं पौराणिक मान्यता है कि धन त्रयोदशी तिथि पर किसी भी प्रकार की "धातु" की खरीद को सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। इस दिन लोग नए कपड़ों की खरीदारी करते हैं, घर, दफ्तरों और कार्यालयों की साफ़-सफाई करते हैं, साथ ही रंग-बिरंगी लालटेन, रंगोली, दीया और माता लक्ष्मी के पैरों के चिन्ह से घर को सजाते हैं।