×

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अमिता दुबे ने साहित्य सृजन कर रचा कीर्तिमान, उनकी लिखी 6 पुस्तकों का एक साथ लोकार्पण

Dr. Amita Dubey Book Launch: चर्चित कवयित्री शोभा दीक्षित 'भावना ने 'यादें पिता की' पर चर्चा करते हुए कहा, 'इस पुस्तक की सभी कविताओं को पढ़ते हुए मैंने यही पाया कि डॉ अमिता दुबे का अध्ययन बहुत गहरा है।

Jyotsna Singh
Published on: 18 Nov 2023 8:45 PM IST
Dr. Amita Dubey Book Launch
X

Dr. Amita Dubey Book Launch in Lucknow (Social Media)

Lucknow News: शहर की जानी-मानी साहित्यकार अमिता दुबे आज अपनी साहित्य सृजनशीलता के हुनर के चलते देश में अपने नाम से विख्यात हो चुकी हैं। बीते कई वर्षों से उनकी लेखनी अनवरत साहित्य की विभिन्न विधाओं का सृजन करती चली आ रही है। परिणामस्वरूप आज उनके द्वारा रचित पुस्तकों की एक लंबी फेहरिस्त श्रेष्ठ साहित्य के तौर पर मौजूद हैं।

साहित्यिक संस्था साहित्य आराधन द्वारा आयोजित आलोक कुमार दुबे के षष्टिपूर्ति के शुभ अवसर पर उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के निराला सभागार में डॉ० अमिता दुबे की छ: पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के निराला सभागार में डॉ अमिता दुबे की छ: पुस्तकों का हुआ लोकार्पण

प्रकाशकों को किया सम्मानित

साहित्यिक संस्था साहित्य आराधन द्वारा आयोजित आलोक कुमार दुबे के षष्टिपूर्ति के शुभ अवसर पर उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के निराला सभागार में डॉ. अमिता दुबे की छ: पुस्तकों 'व्यंजना सृजन की', 'अमृतायन', 'यादें पिता की', 'चेतें पिता दे' (डोगरी), 'कलम से क्रांति सुखमनी (मराठी अनुवाद) का लोकार्पण वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुधाकर अदीब की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। अंशुमा दुबे द्वारा प्रस्तुत वाणी चंदना के अनन्तर प्रारम्भ हुआ यह लोकार्पण समारोह इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि इसमें डॉ. अमिता दुबे द्वारा अपनी पुस्तकों के प्रकाशकों को आमंत्रित कर सम्मानित किया गया। पुस्तकों का लोकार्पण प्रकाशकों के द्वारा ही सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम में ये भी रहे मौजूद

इस अवसर पर जयपुर से नीलिमा टिक्कू के संपादन में प्रकाशित डॉ. अमिता दुबे पर केन्द्रित विशेषांक का लोकार्पण भी हुआ। 'व्यंजना सृजन की एवं चेतें पिता दे (डोंगरी अनुवाद) के प्रकाशक सर्वभाषा प्रकाशन दिल्ली की ओर से केशव मोहन पाण्डेय, दिल्ली से पधारे वहीं अमृतायन' उपन्यास के प्रकाशक डॉ विन्ध्य मणि त्रिपाठी (आपस प्रकाशन) अयोध्या से तथा यादें पिता की के प्रकाशक नवीन शुक्ल, लखनऊ से उपस्थित रहे।

पुस्तकों पर हुई चर्चा

लोकार्पण के उपरान्त पुस्तकों पर हुई चर्चा में व्यंजना सृजन की पुस्तक पर अपने विचार रखते हुए दिल्ली से पधारे सुप्रसिद्ध साहित्यकार ओम निश्चल ने कहा, ये निबंध व्यक्ति व्यंजक भी हैं तथा वस्तुनिष्ठ भी। मुक्तिबोध पर शोध कार्य करने वाली विदुषी लेखिका अमिता दुबे इससे पूर्व अनेक स्त्री लेखकों और चिंतकों पर लिख चुकी हैं। उनकी समावेशी लेखनी जीवन के उदात्त विचारों को सदैव केन्द्र में रखती आयी है किसी विचारधारा विशेष को नहीं। इसलिए समाज और जीवन के लिए उपयोज्य हर रचनाकार को वे बहुमान देती हैं, जिसने साहित्य को सदैव जीवन का संबल माना ।

युवा पीढ़ी खुद को कथानक से जोड़ पायेगी

वरिष्ठ कथाकार संजीव जायसवाल संजय ने 'अमृतायन' उपन्यास पर अपनी बात रखते हुए कहा, 'डॉ. अमिता दुबे बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न साहित्यकार है। प्रस्तुत उपन्यास में उन्होंने कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं क्रांतिकारियों की जीवनी एवं उनके संघर्ष को एक कथामाला में जोड़ते हुए उपन्यास के रूप में प्रस्तुत किया है। इसके साथ ही इसके लेखन में उन्होंने टेक्नोलॉजी का भी भरपूर उपयोग किया है। इससे युवा पीढ़ी आसानी के साथ अपने को कथानक से जोड़ सकेगी।'

पुराणों और प्राचीन ग्रन्थों से लिए पात्र

चर्चित कवयित्री शोभा दीक्षित 'भावना ने 'यादें पिता की' पर चर्चा करते हुए कहा, 'इस पुस्तक की सभी कविताओं को पढ़ते हुए मैंने यही पाया कि डॉ० अमिता दुबे का अध्ययन बहुत गहरा है। उन्होंने जो भी तथ्य समेटे हैं अपनी पुस्तक के जिन पात्रों के वे पुराणों और प्राचीन ग्रन्थों से लिए हुए हैं, जो बहुत सारगर्भित और तथ्यपूर्ण हैं आने वाली पीढ़ियों के लिए सार्थक एवं उपयोगी सिद्ध होंगे।'

'कलम से क्रान्ति' पर रखे विचार

'कलम से क्रान्ति' पुस्तक पर अपने विचार व्यक्त करते हुए चर्चित साहित्यकार अलका प्रमोद ने कहा- 'यह संग्रह एक ऐसा ऐतिहासिक अभिलेख है, जो किशोर होते बच्चों को देश की स्वतंत्रता का मूल्य समझायेगा ।' समारोह में विशेष रूप से उपस्थित वरेण्य साहित्यकार डॉ० सुधाकर अदीब ने आलोक कुमार दुबे को शासकीय सेवा से सकुशल सेवानिवृत्ति की बधाई देते हुए उनकी कर्तव्यनिष्ठा, सेवा भावना की प्रशंसा की। साथ ही, उनके स्वस्थ दीर्घजीवी होने की कामना व्यक्त की। उन्होंने डॉ. अमिता दुबे की सद्यः प्रकाशित छः पुस्तकों के लिए उन्हें भी साधुवाद दिया। इस अवसर पर नवीन शुक्ल, डॉ. विन्ध्य मणि त्रिपाठी, केशव मोहन पाण्डेय ने भी अपने विचार व्यक्त किये। अभ्यागतों के प्रति आभार आलोक कुमार दुबे, कोषाध्यक्ष, साहित्य आराधन द्वारा व्यक्त किया गया।

डॉ० अमिता दुबे ने अपने माता-पिता पुष्पलता एवं कृष्ण कुमार अनिल की स्मृति को नमन करते हुए अपनी रचना यात्रा पर प्रकाश डाला। इस अनौपचारिक आयोजन में अनेक साहित्यिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों श्री आलोक कुमार दुबे का सम्मान भी किया गया।



aman

aman

Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

Next Story