Lucknow News: KGMU में एंडोडॉन्टिक दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम का हुआ आयोजन

Lucknow News: डॉ. रमेश भारती ने कहा कि दांतों की बीमारी को लेकर लोग तब तक गंभीरता से नहीं लेते हैं जब तक भीषण दर्द न हों। डॉक्टर के पास जाते ही दांतों को निकलवाने का प्रयास करती हैं।

Abhishek Mishra
Published on: 16 Oct 2024 2:15 PM GMT
Lucknow News: KGMU में एंडोडॉन्टिक दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम का हुआ आयोजन
X

Lucknow News: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में बुधवार को विश्व एंडोडॉन्टिक दिवस पर जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमें इंडियन एंडोडॉन्टिक सोसाइटी के ईसी सदस्य और केजीएमयू में कंजर्वेटिव डेंटिस्ट्री और एंडोडॉन्टिक्स विभाग में डॉ. डॉ. रमेश भारती मुख्य वक्ता रहे। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में दांतों के इलाज में नई तकनीक आ गई हैं। जिससे इलाज आसान हो गया है। किसी कृत्रिम दांत को बदलने की तुलना में प्राकृतिक दांत को बचाना हमेशा बेहतर होता है।

दांतों की बीमारी को गंभीरता से नहीं लेते लोग

जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. रमेश भारती ने कहा कि दांतों की बीमारी को लेकर लोग तब तक गंभीरता से नहीं लेते हैं जब तक भीषण दर्द न हों। डॉक्टर के पास जाते ही दांतों को निकलवाने का प्रयास करती हैं। ताकि दर्द उन्हें बार-बार तंग न करें। जो कि गलत है। दांतों की बीमारी का इलाज लक्षण प्रकट होते ही कराना चाहिए। इससे दांतों को संक्रमण व खराब होने से बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि कई लोगों को दांतों में सड़न या संक्रमण जैसी सामान्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण उन्हें दर्द होता है। वह इलाज के बजाए दांतों को निकलवाना चाहते हैं। कुछ लोग डर या चिंता के कारण इलाज से पूरी तरह बचते हैं।

प्राकृतिक दांतों का संरक्षण जरूरी

कार्यक्रम में डॉ. प्रज्ञा पांडे ने कहा कि दांत निकलवाने पर विचार करने से पहले प्राकृतिक दांतों को संरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए। दांतों की देखभाल करें। ताकि वे मजबूत और स्वस्थ रहें। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक दांतों के संरक्षण जरूरी है। दांतों का प्रत्यारोपण या डेन्चर आसानी से लगाया जा सकता है लेकिन वह कभी भी प्राकृतिक दांत के रूप, अनुभव या कार्य को पूरी तरह से दोहरा नहीं सकते हैं। कोई भी धातु, प्लास्टिक या कृत्रिम सामग्री कभी भी आपके दांतों की मजबूती, आराम या दीर्घायु से मेल नहीं खा सकती है। एंडोडॉन्टिस्ट रूट कैनाल थेरेपी जैसी आधुनिक, दर्द-मुक्त प्रक्रियाओं का उपयोग करके प्राकृतिक दांतों को बचाया जा सकता है।

Abhishek Mishra

Abhishek Mishra

Correspondent

मेरा नाम अभिषेक मिश्रा है। मैं लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। मैंने हिंदुस्तान हिंदी अखबार में एक साल तक कंटेंट क्रिएशन के लिए इंटर्नशिप की है। इसके साथ मैं ब्लॉगर नेटवर्किंग साइट पर भी ब्लॉग्स लिखता हूं।

Next Story