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Lucknow News: राजधानी में देश भर के दिग्गज साहित्यकारों का हुआ जुटान, बाल साहित्य पुरस्कार 2024 हुए वितरित
Lucknow News: साहित्य अकादमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किए। इस मौके पर बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी भी उपस्थित रहे।
Lucknow News: गुरुवार की शाम गोमती नगर स्थित भागीदारी भवन में दिग्गज साहित्यकारों का जुटान हुआ। मौका था दो दिवसीय बाल साहित्य पुरस्कार 2024 के अर्पण समारोह का। जिसमें देश भर की विभिन्न भाषाओँ के विजयी लेखकों को उनकी उम्दा लेखनी और रचनाओं के लिए बाल साहित्यकार पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत वंदना से की गई। इसके बाद साहित्य अकादमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि ख्यातिप्राप्त विद्वान् एवं वरिष्ठ साहित्यकार सूर्य प्रसाद दीक्षित उपस्थित रहे। उन्होंने अपने वक्तव्य में बाल साहित्य और उसकी महत्ता पर प्रकाश डाला साथ ही वर्तमान दौर में साहित्य सृजन पर भी अपने विचार रखे। बड़ी संख्या में शहर और प्रदेश के साथ ही देश भर से आए साहित्यप्रेमी भी इस कार्यक्रम के साक्षी बने। दो दिवसीय इस कार्यक्रम का पहला दिन आज भागीदारी भवन में संपन्न हुआ। कल सुबह 10 बजे से उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के निराला सभागार में लेखक सम्मिलन कार्यक्रम का आयोजन होगा। जिसके तहत पुरस्कार विजेता लेखक अपने अनुभव साझा करेंगे।
बाल साहित्य को समझा गया बचकाना साहित्य
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि एक दौर ऐसा भी आया था जब हम सभी ने बाल साहित्य को बचकाना साहित्य समझ लिया। ऐसा वक्त भी आया जब रवीन्द्रनाथ टैगोर से लेकर दिनकर और निराला जैसे बड़े लेखकों तक ने लिखना बंद कर दिया। इसी तरह दक्षिण भारतीय भाषाओं में भी हुआ। बंगाल में भी हुआ। बंगाल में तो एक कहावत बहुत मशहूर है कि जो लेखक अपनी कलम को शुद्ध करना चाहता है उसे बाल साहित्य लिखना चाहिए। हम ये मानकर चलते हैं कि लेखक जब आवेश में यथार्थ का चित्रण करता है तो उसकी कलम भी कहीं न कहीं क्रुद्ध हो जाती है कुंठित हो जाती है और जब वो बाल साहित्य लिखेगा तो उसकी कलम भी शुद्ध हो जाएगी। पूरे देश को ये चीज़ें बहुत देर बाद समझ में आई। लेकिन साहित्य अकादमी में जब से ये आयोजन शुरू किया तब से देश के हर राज्य में बाल साहित्य की अकादमियां स्थापित हुई। बाल साहित्य के लिए अलग से पुरस्कार दिए जाते हैं, बाल साहित्य की योजनाएं हैं।
...तो नई पीढ़ियों को नहीं मिलेंगे संस्कार
सम्बोधन में अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि अगर हमारे पास अच्छे बाल साहित्यकार नहीं होंगे तो हम आने वाली पीढ़ियों को अच्छे संस्कार नहीं दे सकते हैं। हम अक्सर ये बात सुनते हैं कि पूरा भारत महान है उसमें भाषा का वैविद्य है ये हम रोज सुनते हैं लेकिन उसको देखने का मौक़ा नहीं मिलता है। आज भगवान ने मौक़ा दिया है कि ध्याना से देखें। इस सिरे से लेकर उस सिरे तक पूरा हिन्दुस्तान आपके सामने है। यह बातें उन्होंने मंच पर मौजूद विभिन्न भाषाओँ के साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेताओं के सन्दर्भ में कही।
इन्हें मिला बाल साहित्यकार पुरस्कार 2024
- रंजु हाजरिका (असमिया)
- दीपान्विता राय (बाङ्ला)
- भार्जिन जेक' भा मोसाहारी (बोडो )
- बिशन सिंह 'दर्दी' (डोगरी)
- नंदिनी सेनगुप्ता (अंग्रेज़ी)
- गिरा पिनाकिन भट्ट (गुजराती)
- देवेंद्र कुमार (हिंदी)
- कृष्णमूर्ति बिळिगेरे (बी. आर. कृष्णमूर्ति (कन्नड)
- मुज़फ्फर हुसैन दिलबर (कश्मीरी)
- हर्षा सद्गुरू शेटये (कोंकणी)
- नारायणजी (मैथिली)
- उन्नी अम्मायंबळम् (मलयाळम् )
- क्षेत्रिमयुम सुवदनी (मणिपुरी)
- भारत सासणे (मराठी)
- वसंत थापा (नेपाली)
- मानस रंजन सामल (ओड़िआ)
- कुलदीप सिंह दीप (पंजाबी)
- प्रहलाद सिंह 'झोरड़ा' (राजस्थानी )
- हर्षदेव माधव (संस्कृत)
- दुगाई टुडु (संताली)
- लाल होतचंदानी 'लाचार' (सिंधी)
- युमा वासुकि (डी. मरिमुथु) (तमिळ)
- पामिदिमुक्कला चंद्रशेखर आज़ाद (तेलुगु)
- शम्सुल इस्लाम फारूकी (उर्दू)