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1000 साल पुराने लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर में बाहरी प्रसाद पर लगा बैन, जानिए मंदिर का इतिहास
Laddu Controversy: तिरुपति लड्डू विवाद के बाद लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर के महंत दिव्यगिरि महाराज ने बाहर से लाये प्रसाद को मंदिर में चढ़ाने से मना कर दिया है।
Laddu Controversy: तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डुओं में जानवर की चर्बी मिलने के बाद से देश भर के मंदिरों से अलग- अलग तरह की ख़बरें निकल के सामने आ रही है। लखनऊ के 1000 साल पुराने मंदिर से अब ये खबर आ रही है कि बाहर मिलने वाले प्रसाद को आप मंदिर के अंदर नहीं ले जा सकते। केवल घर के बने प्रसाद ही मंदिर में चढ़ाये जायेंगे। यह फैसला मनकामेश्वर मंदिर की महंत दिव्यगिरि ने लिया है। वहीं महंत ने आज डीएम से मिलकर इसमें सहयोग करने का अनुरोध किया है। महंत दिव्यागिरि ने इस संबंध में लेटर जारी कर कहा है कि भक्त अपने घरों से बनाया प्रसाद या सूखे मेवे ही गर्भ गृह में चढ़ाने के लिए पुजारी को दें। प्रसाद की यह नई व्यवस्था आज 23 सितंबर सोमवार सुबह से लागू हुई है।
क्या है मनकामेश्वर मंदिर का इतिहास
लखनऊ के डालीगंज में गोमती नदी के पास शिव-पार्वती का एक मंदिर है। जो 1000 साल पुराना है। इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि माता सीता को वनवास छोडऩे के बाद लखनपुर के राजा लक्ष्मण ने यहीं रूककर भगवान शंकर की अराधना की थी, जिसके बाद यहाँ मनकामेश्वर मंदिर की स्थापना की गई। इस मंदिर को लेकर ऐसा कहा जाता है कि सच्चे मन से आकर यहां जो भी मुराद मांगी जाए, भोले बाबा उसे हर हाल में पूरा करते हैं। इस मंदिर के अंदर एक काले रंग का शिवलिंग है और उसपर चांदी का छत्र विराजमान होने के साथ मंदिर के पूरे फर्श में चांदी के सिक्के लगे होने से यह मंदिर मनोहारी लगता है।
दर्शन के लिए लगती है भारी भीड़
लखनऊ के इस मंदिर में भारी संख्या में श्रदालु आते है। सावन के दिनों में यहाँ भारी भीड़ देखने को मिलती है। लोग बहुत दूर दूर से यहाँ अपनी मनोकामना लेकर आते है। यह मंदिर सुबह पांच बजे भक्तों के लिए खुल जाता है। और अलग- अलग दिन के हिसाब से यहाँ पूजा और आरती होती है। आपको बता दे कि मंदिर में प्रवेश करने के लिए आपको कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देनी पड़ेगी।