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Bangladesh Violence: एलयू में पढ़ रहे बांग्लादेशी छात्रों में घबराहट, घरवालों को याद कर हो रहे परेशान

Lucknow University: एशवर्जा दास ने बताया कि आरक्षण को खत्म करना चाहिए। हम ऐसा बांग्लादेश चाहते हैं जिसमे सभी धर्म के लोगों को सम्मान मिले। हिंदू होने के नाते हमारे परिजन वहां खतरे में हैं।

Abhishek Mishra
Published on: 6 Aug 2024 7:30 PM IST (Updated on: 6 Aug 2024 10:14 PM IST)
Bangladesh Violence: एलयू में पढ़ रहे बांग्लादेशी छात्रों में घबराहट, घरवालों को याद कर हो रहे परेशान
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Bangladesh Students on Violence: भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में हालात काफी नाजुक हैं। देश में आरक्षण विरोधी आंदोलन ने आगजनी और तोड़फोड़ का रूप ले लिया है। प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद उन्होंने बांग्लादेश छोड़ लंदन जाने का फैसला कर लिया। आंदोलनरत छात्रों ने बांग्लादेश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले मुजीब उर रहमान की मूर्ति तक को नहीं बक्शा। अपने देश के मौजूदा हालात से लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले बांग्लादेशी छात्र भी डर के माहौल में हैं। सभी अपने घरवालों की सलामती की दुआ कर रहे हैं। कुछ बांग्लादेश के विद्यार्थियों से 'न्यूज़ट्रैक' ने बातचीत की।

सभी धर्म के लोगों को मिले सम्मान

एलयू से एमए इन विमन स्टडीज की पढ़ाई कर रही एशवर्जा दास ने बताया कि आरक्षण को खत्म करना चाहिए। हम ऐसा बांग्लादेश चाहते हैं जिसमे सभी धर्म के लोगों को सम्मान मिले। हिंदू होने के नाते हमारे परिजन वहां खतरे में हैं। पचास साल की आजादी के बाद भी हमें बांग्लादेशी नहीं माना जाता है। ढाका की रहने वाली प्रज्ञा पारोनिता एलयू से कॉमर्स से पीएचडी कर रही हैं। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश धर्मनिरपेक्ष देश बने। सभी को उनके अधिकार मिले। जो भी सत्ता में आए उसे जनता की सलाह लेनी चाहिए कि देश में क्या होना चाहिए। पापा शहेदुल आलम व अन्य परिवारीजन बांग्लादेश में ही हैं। परिवारीजनों से बात हुई। सभी लोग सुरक्षित हैं। हालांकि वहां अल्पसंख्यक थोड़ा डरे हुए है। उन्हें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। आरक्षण समाप्त होना चाहिए।

ऐसी सरकार बने जो भेदभाव न करे

ढाका निवासी अब्दुल्ला नोमन ने बताया कि एलयू से एमए इन जर्नलिज्म कर रहा हूं। पापा लुतफररहमान से बात हुई। उन्होंने बताया कि वहां लोग काफी गुस्से में है। घर में सभी परिवारीजन सुरक्षित हैं। शेख हसीना की सरकार गिरने से खुशी का माहौल है। अब बांग्लादेश में ऐसी सरकार बननी चाहिए, जहां भेदभाव न हो। सभी धर्मों का सम्मान किया जाए। आरक्षण की व्यवस्था समाप्त होनी चाहिए। योग्यता के अनुसार लोगों को मौका मिलना चाहिए। खुलना के अर्नव चक्रवर्ती बताते हैं कि एलयू में बीए इंग्लिश में तीसरा सेमेस्टर है। बांग्लादेश में प्रोटेस्ट से वहां काफी नुकसान हुआ। यह काफी दुखद है। अब जो भी सत्ता में आए वह सभी को बिना किसी भेदभाव के उनका अधिकार दे। बांग्लादेश के विकास और नगरिकों को अच्छी बेहतर सुविधाएं मिले। हालांकि वहां अभी थोड़ा डर का माहौल है। वहां स्थितियां जल्द ही सामान्य होनी चाहिए।

Abhishek Mishra

Abhishek Mishra

Correspondent

मेरा नाम अभिषेक मिश्रा है। मैं लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। मैंने हिंदुस्तान हिंदी अखबार में एक साल तक कंटेंट क्रिएशन के लिए इंटर्नशिप की है। इसके साथ मैं ब्लॉगर नेटवर्किंग साइट पर भी ब्लॉग्स लिखता हूं।

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