Lucknow News: पुराने लखनऊ की सुंदरता पर आकर्षित थे भारतेंदु हरिश्चंद्र, 'कवि वचन सुधा' में किया यात्रा का विवरण

Lucknow News: वरिष्ठ रंगकर्मी व लेखक ललित सिंह पोखरिया ने कहा कि भारतेंदु हरिश्चंद्र विलक्षण व्यक्तित्व वाले थे। उनका जीवनकाल महज 35 वर्षों का था, लेकिन इतने कम समय में भी उन्होंने राष्ट्रभक्ति की खूब अलख जगाई।

Abhishek Mishra
Published on: 9 Sep 2024 5:00 AM GMT
Lucknow News: पुराने लखनऊ की सुंदरता पर आकर्षित थे भारतेंदु हरिश्चंद्र, कवि वचन सुधा में किया यात्रा का विवरण
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Lucknow News: 1865 में प्रख्यात साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र ने 'यात्रा वृत्तांत' लिखी। जिसमें उन्होंने नवाबों के शहर के बारे में उल्लेख किया है। उन्होंने चारबाग रेलवे स्टेशन, रूमी दरवाजा, मच्छी भवन (अब किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय) के साथ ही कई स्थलों को देखने योग्य बताया था। वह हुसैनाबाद और कैसरबाग की सुंदरता पर आकर्षित थे। उनकी जयंती (नौ सितंबर) पर लेखकों ने उन्हें याद किया।

लखनऊ पहुंचते ही दिखाई देते हैं कंगूरे

वरिष्ठ साहित्यकार सूर्य कुमार पांडेय ने बताया कि भारतेंदु हरिश्चंद्र ने उस दौर की प्रतिष्ठित पत्रिका 'कवि वचन सुधा' में अपनी लखनऊ यात्रा का विवरण लिखा था। वह कैसरबाग, चारबाग, हुसैनाबाद, अमीनाबाद, हजरतगंज, चौक आदि स्थानों पर गए थे। भारतेंदु ने लिखा था- 'लखनऊ के पास पहुंचते ही ऊंचे ऊंचे कंगूरे दिखाई देते हैं। यहां की गलियां संकरी हैं, लेकिन नई सड़कें चौड़ी हैं। कैसरबाग देखने योग्य है। इसके सुनहरे शिखर दूर से ही चमकते हैं। पांडेय ने बताया कि भारतेंदु नवाब आसिफुदौला मस्जिद, मुंशी नवल किशोर का छापाखाना भी देखने गए थे। लखनऊ में एक चित्र की दुकान भी उन्हें खूब भायी थी। उन्होंने लखनऊ को नवाबों के दौर से आगे निकलकर विकास की ओर उन्मुख होने की बात भी लिखी थी। साथ ही उल्लेख किया था 'ईश्वर यहां के लोगों को विद्या का प्रकाश दें और पुरानी बातें उनके दिलों से निकालें।'

विलक्षण व्यक्तित्व वाले थे भारतेंदु हरिश्चंद्र

वरिष्ठ रंगकर्मी व लेखक ललित सिंह पोखरिया ने कहा कि भारतेंदु हरिश्चंद्र विलक्षण व्यक्तित्व वाले थे। उनका जीवनकाल महज 35 वर्षों का था, लेकिन इतने कम समय में भी उन्होंने राष्ट्रभक्ति की खूब अलख जगाई। वह भाषा प्रेमी और नारी सुधारवादी थे। उन्होंने समृद्ध रचनाएं देश को दीं। भारतेंदु के लिखे नाटक 'अंधेर नगरी' में राजा की भूमिका निभाते हुए मैंने उन्हें करीब से जाना। भारतेंदु जी स्वयं कर्ज में डूबे हुए थे, इसके बावजूद उन्होंने समाज हित में काम किया। वह हास्य और व्यंग्य में समान लेखन करते थे। आज के रंगकर्मियों को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।

Abhishek Mishra

Abhishek Mishra

Correspondent

मेरा नाम अभिषेक मिश्रा है। मैं लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। मैंने हिंदुस्तान हिंदी अखबार में एक साल तक कंटेंट क्रिएशन के लिए इंटर्नशिप की है। इसके साथ मैं ब्लॉगर नेटवर्किंग साइट पर भी ब्लॉग्स लिखता हूं।

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