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Lucknow News: BJP राष्ट्रीय महामंत्री के लखनऊ दौरे से मंत्रिमंडल विस्तार और संगठन को लेकर चर्चाओं का माहौल, मंत्रियों और संगठन में हो सकते हैं बड़े बदलाव

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावडे के लखनऊ दौरे ने संगठन और योगी मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं को और तेज कर दिया है।

Virat Sharma
Published on: 18 Feb 2025 8:36 PM IST (Updated on: 18 Feb 2025 8:39 PM IST)
Lucknow News: Photo-Social Media
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Lucknow News: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावडे के लखनऊ दौरे ने संगठन और योगी मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं को और तेज कर दिया है। इस दौरे के दौरान चर्चा का विषय यह रहा कि क्या मंत्रिमंडल में कुछ बदलाव होंगे और क्या कुछ चेहरों को पद से हटाया जाएगा। इन चर्चाओं ने कई नेताओं के बीच बेचैनी पैदा कर दी है, जिनमें से कुछ मंत्री विभागीय बदलाव और मंत्री पद की चिंता में उलझे हुए हैं।

मंत्री पद और विभागीय फेरबदल की चिंता

सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के कुछ मंत्री अब अपनी कुर्सी बचाने के लिए चिंतित हैं। पहले जो मंत्री मनचाहा जिलाध्यक्ष बनाने के लिए दिल्ली तक राजनैतिक दांव आजमाइश कर रहे थे अब वही अपनी कुर्सी को लेकर बेचैन हैं। खासकर वह मंत्री, जिनके कामकाज से सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाखुश हैं, अब अपनी स्थिति सुधारने के लिए वह प्रयासरत हैं। इसके अलावा, कुछ मंत्री जिनके खिलाफ शिकायतें आई हैं, उनके विभाग बदलने की संभावना जताई जा रही है।

राजनीतिक और जातीय समीकरण का ध्यान

गौरतलब है कि भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावडे की बीते दिनों बीजेपी प्रदेश मुख्यालय पर एक बंद कमरे में बैठक आयोजित की गई थी। इस खास बैठक में धर्म पाल सिंह और यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के अलावा संगठन के बड़े पदाधिकारी मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में जातीय समीकरण को भी प्रमुखता से ध्यान में रखा गया है। तो वहीं बीजेपी के समर्पित कार्यकर्ताओं को निगम और बोर्डों में भी समायोजित करने की बता पर चर्चा हुई है। वहीं बीजेपी राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावडे भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के पास अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे। जिसके बाद वरिष्ठ नेताओं और पार्टी आलाकमान को इस पर अतिंम फैसला लेना होगा कि कौन मंत्रीमंडल का हिस्सा होगा और कौन संगठन में जाएगा।

संघ का सिफारिशी नेताओं के प्रति नाराजगी

वहीं बीजेपी में जिलाध्यक्षों के चयन में सिफारिशों के बढ़ते प्रभाव को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कड़ा रुख अपना चुका है। संघ ने स्पष्ट रूप से सिफारिशी नेताओं को पार्टी में प्राथमिकता न देने और नेताओं के चयन के लिए कड़ी स्क्रीनिंग प्रक्रिया को लागू किए जाने की बात पहले ही कर चुका है। वहीं संघ का भी साफ संदेश है कि संगठन को संचालित करने के लिए सच्चे और समर्पित कार्यकर्ताओं को ही चुना जाए।

संघ की रणनीति और संगठनात्मक ढांचे पर जोर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बीते महीने समन्वय बैठक में ही पहले ही जिलाध्यक्ष का चयन संघर्षशील और बेदाग कार्यकर्ताओं में से लाने की बात जताई थी। जिन जिलाध्यक्षों की कार्यशैली पिछली लोकसभा चुनाव में खराब रही, उन्हें आगे कोई जिम्मेदारी नहीं दिए जाने साथ ही संघ इस बात पर भी जोर देता रहा है कि संगठन का संचालन पूरी तरह से कैडर आधारित हो, जिसमें पार्टी और संघ से जुड़े कार्यकर्ताओं का प्रमुख योगदान हो।

प्रदेश अध्यक्ष और मंत्रिमंडल में बदलाव का रोडमैप

गौरतलब है कि बीजेपी और संघ की समन्वय बैठक में यह भी तय किया गया था कि पहले नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की जाएगी और इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा की जाएगी। मंत्रिमंडल में बदलाव और आयोगों में पदों के वितरण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। संघ के अनुसार, संगठन में उन नेताओं को ज्यादा प्राथमिकता दी जाएगी जिनका पृष्ठभूमि संघ से जुड़ा हुआ हो और जो पार्टी के जनहित और विकास कार्यों को आगे बढ़ाने में सक्षम हों।



Virat Sharma

Virat Sharma

Lucknow Reporter

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