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BSP Meeting in Lucknow: बसपा की मिशन 2024 के लिए बैठक, मायावती बोलीं– बीजेपी असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कर रही कोशिश
BSP Meeting in Lucknow: साल 2024 के चुनावी रण में अकेले उतरने का ऐलान कर चुकीं मायावती अपने कैडर को रिचार्ज करने में जुट गई हैं। लगातार मिल रही चुनावी शिकस्तों से बसपा के कैडर का मनोबल गिरा है।
BSP Meeting in Lucknow: राजधानी लखनऊ में आज यानी बुधवार 21 जून को बहुजन समाज पार्टी की बड़ी बैठक हुई। प्रदेश कार्यालय में बुलाई गई इस बैठक में प्रदेश के सभी मंडल एवं जिला स्तर के पदाधिकारी शामिल हुए । बंद कमरे में हुई इस बैठक में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अपने नेताओं और पदाधिकारियों से आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा की। पूर्व सीएम इस दौरान पिछले दिनों पार्टी द्वारा शुरू किए गए गांव चलो अभियान की समीक्षा भी की।
बसपा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बैठक में मायावती ने पार्टी के पदाधिकारियों से संगठन की मजबूती और जनाधार के विस्तार पर खास फोकस करने को कहा है। बसपा सुप्रीमो ने बीजेपी सरकार के साथ-साथ विपक्षी नेताओं की गतिविधियों पर भी नजर बनाए रखने को कहा है। उन्होंने आगामी चुनाव में पार्टी कौन-कौन से मुद्दे को लेकर मैदान में उतरेगी, इसका भी जिक्र किया। पूर्व सीएम ने कहा कि प्रदेश की जनता महंगाई, अशांति, अशिक्षा, बेरोजगारी, सांप्रदायिक तनाव, महिला असुरक्षा, गरीबी जैसे सामाजिक मुद्दों से त्रस्त है। साथ ही बिजली – पानी – सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित है।
मुसलमानों को लुभाने की फिर कोशिश
मायावती ने एकबार फिर मुसलमानों को लुभाने का दांव चला है। उन्होंने योगी सरकार द्वारा मदरसों की हो रही जांच पर सख्त ऐतराज जताते हुए इसे गलत बताया। बसपा सुप्रीमो ने मीटिंग में कहा कि यूपी समेत अन्य राज्यों की बीजेपी सरकारों को कथित लैंड जिहाद, लव जिहाद, मदरसा जांच, बुलडोजर राजनीति, धर्मातरण तथा धार्मिक उन्माद फैलानी वाली संकीर्ण बयानों और नफरती कार्रवाईयों से बचना होगा।
बीजेपी ध्यान भटकाने की कर रही कोशिश
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बैठक में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को निशाना पर लेते हुए कहा कि असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भावनात्मक मुद्दों को उछाला जा रहा है। बसपा मुखिया ने कहा कि बीजेपी सरकार महंगाई, बेरोजगारी और शिक्षा जैसे मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए जातिवादी, साम्प्रदायिक व धार्मिक विवादों को जानबूझकर शह दे रही है। उन्होंने देश की आर्थिक स्थिति को लेकर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है लेकिन सरकार इसको नजरअंदाज कर रही है।
कैडर को रिचार्ज करने में जुटीं मायावती
साल 2024 के चुनावी रण में अकेले उतरने का ऐलान कर चुकीं मायावती अपने कैडर को रिचार्ज करने में जुट गई हैं। लगातार मिल रही चुनावी शिकस्तों से बसपा के कैडर का मनोबल गिरा है। अपने शीर्ष नेता की कम सक्रियता के कारण भी उनमें बेचैनी है। एक तरफ जहां बसपा अकेले चुनाव लड़ने की बात कर रही है, वहीं सपा समेत अन्य विपक्षी दल एकसाथ लामबंद होने की कोशिश कर रहे हैं।
इन्हीं राजनीतिक हालातों के मद्देनजर बसपा सुप्रीमो मायावती ने कल ट्वीट कर आज होने वाली बैठक की जानकारी दी थी। उन्होंने लिखा था, उत्तर प्रदेश व देश में तेज़ी से बदल रहे राजनीतिक हालात, उससे सम्बंधित ख़ास घटनाक्रमों एवं समीकरणों के साथ ही आगामी लोकसभा आम चुनाव की तैयारी आदि को लेकर बीएसपी यूपी स्टेट, सभी मण्डल तथा सभी ज़िला स्तर के वरिष्ठ पदाधिकारियों की महत्त्वपूर्ण रणनीतिक बैठक लखनऊ में आहूत।
निकाय चुनाव में नहीं चला मायावती का ये दांव
मायावती ने हाल ही में संपन्न हुए निकाय चुनाव में मुस्लिम समुदाय को साधने की कोशिश की थी। बड़े पैमाने पर मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट थमाकर दलित-मुस्लिम गठजोड़ को फिर से पुनर्जीवित करना चाहती थी। लेकिन चुनाव परिणाम से स्पष्ट है कि बीएसपी सुप्रीमो का यह दांव भी नहीं चला। इससे पहले उन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान ब्राह्मणों को साधने की कोशिश की थी लेकिन वो दांव भी बुरी तरह विफल रहा।
बसपा का गांव चलो अभियान
बहुजन समाज पार्टी की तमाम रणनीतियां चुनाव में विफल हो जा रही हैं। जिसके कारण उनका आधार वोट भी बीजेपी और सपा की ओर शिफ्ट होता जा रहा है। इसे रोकने और पिछड़े एवं मुस्लिम समुदाय को दोबारा पार्टी से जोड़ने के लिए बीएसपी ने गांव चलो अभियान की शुरूआत की है। जिसके जरिए भीमराव अंबेडकर और कांशीराम के विचारों को दलितों और पिछड़ों तक पहुंचाया जा रहा है और खासकर इन तबकों के युवाओं को बसपा में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। मायावती के लिए यह अभियान काफी अहम है, इसलिए आज होने वाली बैठक में वो इसकी समीक्षा करेंगी। समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव का पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) वाले दांव ने उनकी चुनौती बढा दी है।
विपक्षी खेमे में शामिल नहीं मायावती
बसपा अध्यक्ष मायावती देश के उन प्रमुख विपक्षी नेताओं में शामिल हैं, जो 23 जून को बिहार की राजधानी पटना में होने जा रही विपक्षी एकता की बैठक से दूर है। उन्हें इस मीटिंग में आमंत्रित नहीं किया गया है। यूपी से उनके प्रतिदंवदी अखिलेश यादव और जयंत चौधरी शामिल हो रहे हैं। मायावती की पार्टी ने 2019 का आम चुनाव सपा के साथ मिलकर लड़ा था। इस चुनाव में उनकी पार्टी ने शून्य से 10 सीटों का सफर तय किया था।