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Budget 2024: व्यापारियों ने बजट पर बैठक कर केंद्र सरकार को घेरा, कहा- व्यापारी और जनता के लिए इसमें कुछ नहीं
Budget 2024: बहुप्रतीक्षित था की लोकल ट्रेडर्स को संरक्षित करने के लिए सरकार कोई योजना ई-कामर्स में लाएगी परन्तु मरते हुए व्यापार को जिन्दा करने के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है।
Budget 2024: संसद में मोदी सरकार 3.0 का पहला बजट आज पेश किया गया है। इसे लेकर व्यापारियों ने लखनऊ व्यापार मण्डल के बैनर तले कोर कमेटी की बैठक आयोजित की। बैठक में चेयरमैन राजेन्द्र कुमार अग्रवाल ने कहा कि यह बजट सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी है जो जनता को तो छोड़िये सभी सांसदों को भी नहीं समझ में आएगी। इस बजट में सिर्फ एनडीए के चुनावी गठबंधन का असर दिखा है। बिहार, आंध्र प्रदेश और कुछ हद तक ओडिशा, असम के लिए घोषणाएं की गई हैं, बाकी आम जनता से सम्बन्धित इसमें कुछ नहीं है।
व्यापारी के लिए बजट में कुछ नहीं
चेयरमैन राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि व्यापारी समाज की बात की जाए तो उसके लिए इस बजट में कुछ नहीं है। विचारणीय है कि अटल बिहारी बाजपेई की जब सरकार नहीं आयी थी तो उसके पहले से भाजपा की मांग थी इनकम टैक्स में आय की सीमा ज्यादा होनी चाहिए। 2014 से पहले तो इनके घोषणा पत्र में 5 लाख तक कर मुक्त आय की घोषणा की गई थी जो कि आज तक पूरी नहीं हो पाई। यदि सरकार आर्थिक आधार पर आरक्षण 8 लाख पर देती है तो फिर 10 लाख तक की करमुक्त आय क्यों नहीं होनी चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि मुद्रा लोन की सीमा 20 लाख की है मगर यह उसको मिलेगा जो अपना 10 जमा कर चुका है, ऐसे में इसका क्या फायदा। एक व्यापारी को चलता व्यापार बढ़ाने के लिए पूँजी जरूरी है। बैठक में मुख्य रूप से सचेतक अनिल विरामन अध्यक्ष अमरनाथ मिश्रा, वरिष्ठ महामंत्री पवन मनोचा, कोषाध्यक्ष देवेन्द्र गुप्ता, अनुराग मिश्र, जितेन्द्र सिंह चौहान, अजय पिपलानी, युवा अध्यक्ष मनीष गुप्ता, सुमित गुप्ता, प्रियांक गुप्ता आदि लोग उपस्थिति रहे।
दवा और फ़ूड बिक्री के लिए बने एक लाइसेंस
बैठक में व्यापारी अनिल विरमानी ने कहा कि सरकार का यह कहना है कि वह सब कुछ ऑनलाइन कर रही है लेकिन इसके विपरीत यदि आप दवा की दुकान करते हैं तो आपको 1 ड्रग लाइसेन्स लेना है। यदि आप उस दुकान में फ़ूड सप्लीमेंट भी बेचना चाहते हैं जो डॉक्टर भी दवा के साथ लिखते हैं तो इसके लिए आपको अलग से फूड डिपार्टमेन्ट में पंजीकरण कराना पड़ेगा। जबकि दोनों के कागज एक ही लगते हैं और प्रक्रिया भी एक है। ऐसे में एक ही दस्तावेजों से दोनो लाइसेन्स जारी होने चाहिए।
जनता को नहीं मिलेगा टेक्सटाइल पर कस्टम छूट का फायदा
बजट पर चर्चा करते हुए पवन मनोचा ने कहा कि टेक्सटाइल पर कस्टम छूट का फायदा किसी तौर पर जनता को नहीं मिलेगा। साथ ही इस बजट में उत्तर प्रदेश को भी कुछ नहीं मिला है जो पूरे प्रदेश के लिए बड़ी निराशा का विषय है। बहुप्रतीक्षित था की लोकल ट्रेडर्स को संरक्षित करने के लिए सरकार कोई योजना ई-कामर्स में लाएगी परन्तु मरते हुए व्यापार को जिन्दा करने के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है। जीएसटी को लागू हुए 7 वर्ष पूरे हो गये हैं लेकिन अभी भी सरकार का प्रयोग जारी है। न तो ट्रिब्यूनल बना पाई है और न ही अधिकारियों के द्वारा किया जा रहा उत्पीड़न समाप्त कर पायी है। व्यापारियों की सबसे बड़ी मांग है कि 16-4 सी के तहत पोर्टल पर देखे गये एक्टिव व्यापारी से माल खरीदने के बाद यदि वह डिफाल्टर होता है तो वह बोगस साबित किया जाता है और यह क्रेता की जिम्मेदारी बनाई जाती है। इस पर सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए।