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CMS School Lucknow: तीन पीढ़ियों को एक साथ बुलाया, सीएमएस ने कार्यक्रम में चार चाँद लगाया
CMS School Lucknow: सीएमएस में आना हर्ष का क्षण इसलिए है क्योंकि मैं बच्चों के बीच हूँ। मुझे मेरा बचपन लौटाता हुआ सा दिख रहा है।
CMS School Mahanagar Branch Foundation Day Program Invite Senior Journalist Yogesh Mishra
CMS School Lucknow: आज सीएमएस में आना हर्ष व विषाद यानी सुख और दुख दोनों भावों को एक साथ जीने का समय है। विषाद जगदीश गाँधी जी के न रहने का। वह और भारती गांधी जी के अथक परिश्रम से ही यह संस्थान इतनी दूरी तय कर सका है। जगदीश गांधी जी की अनुपस्थिति में उनके किसी संस्थान में पहली बार आ रहा हूँ। हालाँकि उनके रहते गोमतीनगर, गोमतीनगर विस्तार व एलडीए कालोनी में भी कई कार्यक्रमों में गेस्ट व श्रोता बन कर दोनों रुपों में जा चुका हूँ। मेरे बच्चे सीएमएस में पढ़ चुके हैं। जिस महानगर ब्रांच का कार्यक्रम है , वहाँ मेरे रिश्ते का भाई संजय गणित का टीचर था। आज भी उसकी पत्नी वहां काम कर रही है।इस तरह सीएमएस से मेरे कई तरह के और करीबी रिश्ते हैं। वैसे सीएमएस से मेरा पहले परिचय तब हुआ था, जब प्रदेश में कल्याण सिंह जी की सरकार थी। गणतंत्र दिवस के अवसर पर झाँकी निकलने की तैयारी चल रही थी। उन दिनों क्लार्क्स अवध के सामने के बेगम हज़रत महल पार्क में झाँकियों को अंतिम रुप दिया जाता था।मेरा बेटा झाँकी दिखने की ज़िद कर रहा था, हमने सोचा गणतंत्र दिवस की भीड़ में झाँकी दिखाने से बेहतर होगा कि बेगम हज़रत महल पार्क में तैयार हो रही झाँकियों को दिखा दूँ। मैं वहाँ परिवार के साथ गया। वहीं जगदीश गांधी जी मिले। उन्होंने मेरे बेटे से बहुत प्यार से बात की। एक छोटी सी टॉफ़ी दी। फिर क्या? बच्चे की ख़्वाहिश उनके स्कूल में पढ़ने की हो उठी। वह पहली बार स्कूल गया तो सीएमएस के जापलिंग रोड ब्रांच में ही।
सीएमएस में आना हर्ष का क्षण इसलिए है क्योंकि मैं बच्चों के बीच हूँ। मुझे मेरा बचपन लौटाता हुआ सा दिख रहा है। हम यहाँ कई बहुत रचनात्मक बच्चों को देख रहे हैं। जिनमें कला व संस्कृति के विभिन्न आयामों पर काम करने की दक्षता है। एक ऐसे समय जब न्यूक्लियर फैमिली का फंडा अपना डंका बजा रहा हो तब सीएमएस प्रबंधन ने तीन पीढ़ियों को एक साथ लाकर खड़ा कर दिया है। तीन पीढ़ियों के साथ होने का मतलब हैं। इतिहास व संस्कार की कड़ियों को जोड़ना। इसके लिए प्रबंधन को बधाई। साधुवाद।
जो बच्चे आज के समय के हैं, जो बच्चे सीएमएस में तालीम पा रहे हैं, जो बच्चे दादा दादी का भी सुख जी रहे हैं, आप सब बहुत भाग्यशाली हैं। हम लोगों के दौर में तो स्कूल में केवल पढ़ाई व पिटाई होती थी। पर आप पढ़ भी रहे हो और खुद को गढ़ने का अवसर भी सीएमएस आप को उपलब्ध करा रहा है। यह आपके लिए बड़ा अवसर है। सीएमएस के इसी काम करने के तरीक़े का नतीजे है कि इसी स्कूल के छात्र व्योम आहूजा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। मैं अक्सर महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में नव जवानों के बीच संवाद के लिए आता जाता हूँ। बच्चों के बीच आने का मेरा पहला मौक़ा है। यानी मैंने बहुत बार युवा पीढ़ी से संवाद किया है पर यह कुछ चुनिंदा अवसर हैं कि मैं Gen-ZEE (जेन-जी) के सामने बात कर रहा हूं। आप उम्र के उस पड़ाव पर हैं जहां आप असीमित संभावनाओँ के द्वार खुलते देखेंगे। हमारे कालखंड में संभावनाएं भी सीमित थी। आप के सामने अनंत संभावनाएं हैं। आप के पास रोजगार व काम के इतने अवसर है कि चुनने की स्वतंत्रता है। हम लोगों के दौर में डॉक्टर, इंजीनियर, टीचर, सरकारी नौकरी के अलावा कोई राह ही नहीं थी।
आप के दौर में विकल्प आप को चुनना हैं। हमारे समय में हमें विकल्प चुनता था।
आपको अपना लक्ष्य चुनना है, आपको जीवन जीना है। आपको अपने सपने पूरे करने हैं और आपको जिंदगी का लुत्फ भी उठाना है।ऐसे में कई बार आपको लगता होगा कि आप सब कुछ बैलेंस कैसे करें।कैसे करेंगे।
पर गीता में अर्जुन को दिये गये कृष्ण के उपदेश पर गौर करें तो आपको एक बात समझनी है कि आपके हाथ में सिर्फ काम करना है। आप काम करें औऱ रिजल्ट की चिंता छोड़ दें।काम ऐसा करें कि जब काम खत्म हो तो खुद से कह सकें कि भाई इससे ज्यादा मुझसे नहीं हो सकता था।हमने अपना बेस्ट परफार्म कर दिया। बेस्ट दें दिया। यानी आपके मन में यह नहीं रहना चाहिए कि यार थोड़ी सी कोशिश औऱ कर लेते तो परिणाम कुछ और होता । आपके हाथ में प्रयास है । परिणाम नहीं । तो प्रयास करने में अपना सबकुछ झोंक दें।पर एक बात याद रखें कि अमिताभ बच्चन के पिता और देश के प्रतिष्ठित साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन ने कहा था, मन का हो तो अच्छा और मन का ना हो तो और अच्छा। क्योंकि नियति ने आपके लिए कुछ बेहतर प्लान कर रखा है। वैसे तो हरिवंश राय बच्चन किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। पर अमिताभ बच्चन का नाम इसलिए लेना पड़ रहा है क्योंकि आप उन्हें ज़रूर जानते होंगे। वह हमारे व आप दोनों के साल के हैं। जबकि हरिवंश राय बच्चन केवल हमारे काल के हैं।
सारी बात के बीच आप को यह बताना भी जरूरी समझता हूं कि जब आप के सामने काफ़ी विकल्प होते हैं, तो एक दूसरी तरह की दिक़्क़त का समाना करना पड़ता है। इसके लिए आप को पहले लक्ष्य नहीं। अपनी क्षमता को पहचानना होगा। ऐसे में ज़रूरी है कि आप सब अपने लक्ष्य ऐसे बनाएं जो आपकी क्षमता के अनुरूप हों।
लक्ष्य आपके लिए बोझ नहीं आपके जीवन की ड्राइविंग फोर्स होनी चाहिए।अपने लक्ष्य को टुकड़ों में बांट लें जैसे मान लिया कि आप आईएएस बनना चाहते हैं तो आप पहले अपना 9 से 12 तक पूरी पढाई अच्छी तरह करें। फिर ग्रैएजुएशन में अपने लक्ष्य के हिसाब से सबजेक्ट चुनें।अपने सब्जेक्ट को सही ढंग से पढें उसे समझें।
अपने लक्ष्य के लिए खुद को झोंक दें। अपनी जिंदगी को उसी के हिसाब से चलाएं कि मैं कितना सोता हूं तो क्या यह मेरे लक्ष्य को हासिल करने में मदद करता है। मैं अपना कितना ध्यान रखता हूं क्या मेरी बीमारी मुझे मेरे लक्ष्य को हासिल करने में बाधा तो नहीं बनने वाली है।
पढाई हमेशा ज्ञान के लिए करें ना कि नंबर के लिए। क्योंकि जब आप किसी पद पर होंगे या पहली नौकरी के बाद आपसे कोई नहीं पूछेगा कि क्लास 10 में आपके नंबर क्या थे। आपका ज्ञान आपके साथ हमेशा रहेगा।वैसे नंबर के क्षेत्र में तो आप सब का कमाल पढ़ता व सुनता रहता हूं। भाषा व इतिहास सरीखे विषयों में आप सब आजकल नब्बे से अधिक नंबर पा रहे हैं। हमारे दौर में इस तरह के नंबर केवल गणित में मिलते थे। वह भी किसी किसी को ही। हद तो यह है कि अस्सी पचासी फ़ीसदी नंबर पाने के बाद भी मेडिकल और आईआईटी में दाख़िला पाना आप सब के लिए दूर की कौड़ी हो जाता है।
लेकिन आप नंबर पा गये या किसी चीज में फेल हो गए तो वहां पर दुनिया खत्म नहीं होती है । आपको विकल्प और प्लान बी जरुर रखना चाहिए।कई बार ऐसा लगता होगा कि यार मम्मी पापा को कुछ नहीं पता है, मैं पूरे विश्वास के साथ कहता हूं कि आपके मम्मी पापा से बेहतर आपके लिए कोई सोच नहीं सकता है।आपको अगर कुछ गलत लगता है तो पूरी शालीनता, पूरी इज्जत के साथ मां या पापा को बताएँ वो बात सुनेंगे।
संवाद कभी खत्म नहीं होना चाहिए चाहे वो माता पिता से हो, अपने टीचर्स से हो या फिर आपके साथी से हों। आपको अपनी साथियों लड़का हो या लड़की सबकी इज्जत करनी चाहिए क्योंकि आप ही हमारे देश का अगला समाज है।इज्जत का मतलब कई बार समझ लिया जाता है कि पूजा करनी नहीं बस उन्हें बराबर समझना। वो ना तो कमतर हैं ना ही बेहतर हैं। क्योंकि कमतर या बेहतर व्यक्ति नहीं, प्रतिभा होती है। आप लोग टेक्नोलॉजी के दौर में हैं। टेक्नोलॉजी से घिरे है। पर आपको ध्यान रखना है कि टेक्नोलॉजी हमारे लिए काम करें हम उसके गुलाम ना बनें।
इसका एक उदाहरण है मोबाइल। मोबाइल बहुत जरुरी है पर उसकी लत बहुत बुरी है। मोबाइल उठाना आपकी च्वाइस होना चाहिए आपका कंपलशन नहीं। आपको मोबाइल चलाना है ऐसी स्थिति ना हो कि मोबाइल आपको ही चलाने लगे।आपको फिजिकल एक्टिविटी जरुर करनी चाहिए। स्पोर्ट्स जरुर खेलना चाहिए।
भले ही आप अपना करियर स्पोर्ट्स में ना बनाएं पर आपको खेल ज़रूर खेलना चाहिए।खेलना आपको जिंदगी में दो बातें सिखाता है।पहला कि आपको हार स्वीकार करना आ जाता है। मेरा मानना है जिसको हारना आ गया उसे जीतने से कोई नहीं रोक सकता है।दूसरा आपको समझ में आता है कि आप चाहे कितने भी अच्छे हों, पर जीत और हार सिर्फ आप पर नहीं निर्भर है वो आपके प्रतिद्वंदी, उसकी काबलियत, समय, काल, परिस्थिति सब पर निर्भर है, तो आपको हताशा नही होती है। क्योंकि मन का हो तो अच्छा , मन का न हो तो और भी अच्छा, यह कहा जाता है। जो कुछ कहा गया है, उसे हमारे पूर्वजों ने अपने शरीर और/ या अपने दावे में उतार कर देखने को बाद कहा है। हमारे देश में अनुसंधानशालाओं में कोई फ़ार्मूला नहीं तैयार किया गया है। बल्कि सारे प्रयोग खुद पर किये गये हैं।सोशल मीडिया ने दुनिया को मुट्ठी में या फिर एक प्लेटफार्म तक लाकर समेट दिया है। इसलिए आप सब को अपनी प्रतिभा को वैश्विक मंच पर दिखने का अवसर आप के सामने है।आप अपनी शिक्षा पर ध्यान दें। अपने सपनों का पीछा करें। समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करें। क्योंकि आप की सफलता न केवल आप की बल्कि स्कूल, परिवार, समाज और देश की भी सफलता हैं।क्योंकि किसी भी आदमी/ बच्चे के ऐसे बढ़ने में कई एलीमेंट काम करते हैं, भगवान की कृपा, बड़े का आशीर्वाद, समकक्षों व छोटों की शुभकामनाएँ , भाग्य फिर कर्म। सबके हिस्से का ऋण उतारना होता है। बिना यह किये आप एक सुंदर व समरस समाज का निर्माण नहीं कर सकते हैं। उम्मीद हैं आप इस पर पर मील के कई पत्थर गड़ने में कामयाब होंगे। आप सब को अनंत शुभकामनाएँ । बधाई ।
(22.12.2024 को सीएमएस, गोमतीनगर विस्तार में आयोजित महानगर ब्रांच के स्थापना दिवस के लिए तैयार किया गया अभिभाषण।)