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Lucknow News: SGPGI में न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर पर होगा सम्मेलन, विशेषज्ञ देंगे जानकारी

Lucknow News: पीजीआई के एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर सुशील गुप्ता ने बताया कि इसका निदान करना मुश्किल है। एनईटी को जटिल प्रबंधन की आवश्यकता होती है। हालांकि यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। अग्न्याशय, फेफड़े, आंत, पिट्यूटरी ग्रंथि और थायरॉयड ग्रंथि सबसे आम साइट हैं।

Abhishek Mishra
Published on: 15 Jun 2024 11:30 AM IST
Lucknow News: SGPGI में न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर पर होगा सम्मेलन, विशेषज्ञ देंगे जानकारी
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Lucknow News: संजय गांधी पोस्ट-ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज यानी पीजीआई के एंडोक्रिनोलॉजी विभाग की ओर से न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर के बारे में जानकारी दी जाएगी। इसके लिए एक सम्मेलन का आयोजन होगा। जिसमें दुनिया के विभिन्न हिस्सों से एंडोक्रिनोलॉजी, एंडोक्राइन सर्जरी, न्यूरोसर्जरी और न्यूक्लियर मेडिसिन के विशेषज्ञ शामिल होंगे।

दशकों से एनईटीएस का इलाज कर रहा पीजीआई

न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर (एनईटीएस) पर विचार-विमर्श करने के लिए शहर में कई विशेषज्ञ जुटेंगे। विश्व के अलग अलग क्षेत्रों से आने वाले विशेषज्ञों की मेजबानी संजय गांधी पोस्ट-ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के एंडोक्रिनोलॉजी विभाग द्वारा की जा रही है। विभाग कई दशकों से दवाओं, सर्जरी और परमाणु चिकित्सा तकनीकों जैसे सभी तरीकों से एनईटीएस का इलाज कर रहा है।

एनईटी को जटिल प्रबंधन की जरूरत

पीजीआई के एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर सुशील गुप्ता ने बताया कि इसका निदान करना मुश्किल है। एनईटी को जटिल प्रबंधन की आवश्यकता होती है। हालांकि यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। अग्न्याशय, फेफड़े, आंत, पिट्यूटरी ग्रंथि और थायरॉयड ग्रंथि सबसे आम साइट हैं। उन्होंने कहा कि ये ट्यूमर जटिल होते हैं। क्योंकि वे संबंधित अंग के आधार पर विभिन्न प्रकार के हार्मोन का स्राव करते हैं और विभिन्न लक्षणों के साथ प्रकट होते हैं। उदाहरण के लिए, कार्सिनॉयड सिंड्रोम दस्त, वजन घटाने और लालिमा के साथ प्रकट होता है, जबकि पिट्यूटरी एनईटी प्रोलैक्टिन, कोर्टिसोल, वृद्धि हार्मोन का स्राव करता है जिससे विभिन्न अभिव्यक्तियां होती हैं।

सम्मेलन में शिरकत करेंगे ये विशेषज्ञ

विभाग के प्रमुख प्रो. गुप्ता के मुताबिक अग्नाशयी एनईटीएस कम ग्लूकोज, आवर्ती पेप्टिक अल्सर और विशिष्ट त्वचा घावों के आवर्ती मुकाबलों के साथ उपस्थित होता है। कुछ थायरॉयड ट्यूमर को एनईटी श्रेणी में भी वर्गीकृत किया गया है। उन्होंने बताया कि इन ट्यूमर का निदान करना मुश्किल है। क्योंकि ये दुर्लभ, बहुत छोटे होते हैं और नियमित रेडियोलॉजिकल जांच में नहीं पकड़े जाते हैं। सम्मेलन में विश्व स्तर पर प्रसिद्ध विशेषज्ञ डॉ. डब्ल्यूडब्ल्यू डी हर्डर, डॉ. रविंदर सिंह और डॉ. पंकज शाह वैज्ञानिक सत्र और केस अध्ययन का नेतृत्व करेंगे।

Abhishek Mishra

Abhishek Mishra

Correspondent

मेरा नाम अभिषेक मिश्रा है। मैं लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। मैंने हिंदुस्तान हिंदी अखबार में एक साल तक कंटेंट क्रिएशन के लिए इंटर्नशिप की है। इसके साथ मैं ब्लॉगर नेटवर्किंग साइट पर भी ब्लॉग्स लिखता हूं।

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