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Lucknow News: 2020 में हुई थी 6 लोगों की बेरहमी से हत्या, लखनऊ कोर्ट ने पति-पत्नी को सुनाई फांसी की सजा
Lucknow Crime News: आपको बताते चलें कि इस पूरी घटना में अभियुक्त अजय सिंह और उनकी पत्नी पर आरोप था कि उन्होंने पारिवारिक जमीन से जुड़े विवाद के चलते अपने माता-पिता अमर सिंह और रामदुलारी, भाई अरुण सिंह, भाई की पत्नी राम सखी और उनके दो बच्चों सौरभ व सारिका की धारदार हथियार और तमंचे से निर्मम हत्या की थी।
Lucknow News in Hindi: लखनऊ के बंथरा थाना क्षेत्र में बीते साल 2020 में एक ही परिवार के 2 बच्चों समेत 6 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। अब इस मामले में लखनऊ कोर्ट ने इस घटना को अंजाम देने वाले मुख्य अभियुक्त अजय सिंह और उनकी पत्नी रूपा सिंह को फांसी की सजा सुनाई है। आपको बताते चलें कि इस पूरी घटना में अभियुक्त अजय सिंह और उनकी पत्नी पर आरोप था कि उन्होंने पारिवारिक जमीन से जुड़े विवाद के चलते अपने माता-पिता अमर सिंह और रामदुलारी, भाई अरुण सिंह, भाई की पत्नी राम सखी और उनके दो बच्चों सौरभ व सारिका की धारदार हथियार और तमंचे से निर्मम हत्या की थी।
विशेष न्यायाधीश बोले- 'इस अपराध ने समाज को झकझोर दिया'
आपको बताते चलें कि ये पूरी घटना लखनऊ के बंथरा थाना क्षेत्र के गोदौली गांव में 30 अप्रैल 2020 को हुई थी। इस घटना में पारिवारिक जमीन विवाद के चलते परिवार के 2 बच्चों समेत छह सदस्यों की बेरहमी से हत्या की गई थी। लखनऊ में शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस अपराध ने समाज को झकझोर कर रख दिया है।
फांसी की सजा के साथ लगाया गया 1-1 लाख का अर्थदंड
बताते चलें कि इस घटना के मुख्य आरोपी अजय सिंह और उनकी पत्नी रूपा सिंह को धारा 302/34 के तहत फांसी की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही कोर्ट ने दोनों आरोपियों पर एक-एक लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। साथ ही यह भी बताया गया है कि किसी स्थिति में अर्थदंड न भरने की पर आरोपी अजय सिंह को एक साल और उनकी पत्नी रूपा सिंह को एक माह का अतिरिक्त कठोर कारावास भुगतना पड़ेगा। इतना ही नहीं, अजय सिंह और रूपा सिंह को धारा 120 (बी) के तहत आजीवन कारावास और 50,000 रुपये का अर्थदंड भी सुनाया गया और साथ ही आयुध अधिनियम के अंतर्गत आरोपी अजय सिंह को 3 साल के साधारण कारावास और 5 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा दी गई।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की पुष्टि के बाद निष्पादित होगी सजा
लखनऊ कोर्ट ने दोनों आरोपियों को सजा सुनाते हुए इस बात को स्पष्ट रूप से कहा है कि मृत्युदंड की सजा तब तक निष्पादित नहीं होगी, जब तक इलाहाबाद हाईकोर्ट इसकी पुष्टि न कर दे।