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Dara Singh Chauhan: BSP से हुई दारा सिंह के सियासी सफर की शुरुआत, कई बार किया दलबदल, अब योगी सरकार में फिर बने मंत्री
Dara Singh Chauhan: दारा सिंह चौहान के सियासी सफर की शुरुआत बहुजन समाज पार्टी में से हुई थी मगर बाद के दिनों में वे समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर भी चुनाव जीतने में कामयाब रहे।
Dara Singh Chauhan: लोकसभा चुनाव में सियासी समीकरण साधने के लिए आज योगी कैबिनेट का विस्तार किया गया। योगी सरकार में आज दारा सिंह चौहान को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। दारा सिंह चौहान की गिनती पूर्वांचल के कद्दावर नेताओं में होती रही है। पिछड़े समाज के एक बड़े नेता के रूप में उनकी पहचान रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि दारा सिंह चौहान को कैबिनेट मंत्री बनाकर भाजपा ने पूर्वांचल का जातीय समीकरण साधने का बड़ा प्रयास किया है।
दारा सिंह चौहान के सियासी सफर की शुरुआत बहुजन समाज पार्टी में से हुई थी मगर बाद के दिनों में वे समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर भी चुनाव जीतने में कामयाब रहे। पिछले दिनों घोसी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उन्हें अपने सियासी जीवन की बड़ी हार झेलनी पड़ी थी मगर उसके बाद भाजपा ने उन्हें एमएलसी बना दिया था। इसके बाद से ही उनके योगी सरकार में मंत्री बनने की अटकलें लगाई जाती रही हैं।
बसपा से हुई सियासी सफर की शुरुआत
दारा सिंह चौहान का जन्म 25 जुलाई 1963 को आजमगढ़ के गलवारा गांव में हुआ था। 12वीं तक पढ़ाई करने वाले दारा सिंह का अपने शुरुआती दिनों में ही राजनीति के प्रति रुझान हो गया था। बाद के दिनों में उनकी शादी दिशा चौहान के साथ हुई और उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं।
राजनीति में दिलचस्पी बढ़ने के बाद उन्होंने बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ग्रहण की और पार्टी में उनका ग्राफ काफी तेजी से ऊपर चढ़ा। अपनी राजनीतिक पकड़ के कारण वे जल्द ही पार्टी का महत्वपूर्ण चेहरा बनने में कामयाब हुए। पार्टी में उन्हें जल्द ही बड़ा इनाम भी हासिल हुआ और बसपा मुखिया बहन मायावती ने उन्हें 1996 में राज्यसभा का सदस्य बनाया।
सपा के बाद फिर बसपा की सदस्यता
चार वर्ष का कार्यकाल पूरा होते-होते वे समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। समाजवादी पार्टी के टिकट प्रवेश वे वर्ष 2000 में फिर राज्यसभा का सदस्य बनने में कामयाब हुए। उत्तर प्रदेश में 2007 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने एक बार फिर पलटी मारी और बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली।
बसपा में शामिल होने के बाद वे बसपा मुखिया मायावती के एक बार फिर करीबी बनने में कामयाब हुए। 2009 के लोकसभा चुनाव में मायावती ने उन्हें घोसी लोकसभा सीट से चुनावी अखाड़े में उतारा। इस सियासी जंग में जीत हासिल करते हुए वे लोकसभा पहुंचने में कामयाब रहे। 2009 में वे पार्टी के संसदीय दल के नेता भी बने।
2017 में बने योगी सरकार में मंत्री
2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा की सरकार बनने पर उन्होंने पार्टी के साथ अपनी नजदीकी बढ़ानी शुरू कर दी। 12 फरवरी 2015 को उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली और पार्टी की ओर से उन्हें पिछड़ी जाति प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया।
उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से उन्हें मधुबन सीट से टिकट दिया गया और इस चुनाव में वे जीत हासिल करने में कामयाब रहे। विधानसभा चुनाव में इस पहली जीत के बाद उन्हें योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में वन एवं पर्यावरण मंत्री बनाया गया।
भाजपा छोड़कर सपा के टिकट पर जीता चुनाव
पांच साल तक सत्ता का सुख भोगने के बाद 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उपेक्षा का आरोप लगाते हुए उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया और एक बार फिर समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। सपा की ओर से उन्हें घोसी विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा गया और उन्होंने जीत हासिल की। हालांकि इस चुनाव में भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए ने एक बार फिर सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की।
उपचुनाव में झेलनी पड़ी सबसे बड़ी हार
समाजवादी पार्टी के टिकट पर घोसी से चुनाव जीतने के बाद भी दारा सिंह चौहान का ज्यादा दिनों तक समाजवादी पार्टी में मन नहीं रमा। जुलाई 2023 में वे सपा और विधानसभा के सदस्यता से इस्तीफा देकर एक बार फिर भाजपा में शामिल हो गए। दारा सिंह के इस दलबदल के बाद घोसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराया गया।
इस उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में दारा सिंह को हार का मुंह देखना पड़ा। इस चुनाव में दारा सिंह की जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत लगा दी थी मगर दारा सिंह चुनाव नहीं जीत सके। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह ने दारा सिंह को 42,759 वोटों से हरा दिया। उन्हें 1,24,447 वोट मिले जबकि दारा सिंह को 81,668 वोट मिले।
2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की लहर होने के बावजूद दारा सिंह चौहान ने सपा के टिकट पर 22,000 वोटों से जीत हासिल की थी मगर उपचुनाव में उन्हें 42,759 वोटो से हार का मुंह देखना पड़ा। इस तरह उन्हें 2022 की जीत की अपेक्षा करीब दोगुने वोटों से शिकस्त झेलनी पड़ी।
भाजपा ने बनाया एमएलसी और अब बने मंत्री
बाद में भाजपा ने उन्हें एमएलसी बनाकर फिर बड़ा तोहफा दिया। दिनेश शर्मा के राज्यसभा जाने से रिक्त हुई सीट पर दारा सिंह चौहान निर्विरोध निर्वाचित हुए। इसके बाद ही उनके योगी सरकार में शामिल होने की अटकलें लगाई जाने लगी थीं।
इसके बाद यह माना जाने लगा था कि पूर्वांचल में जातीय समीकरण साधने के लिए दारा सिंह चौहान और ओमप्रकाश राजभर को मंत्री बनाया जा सकता है। अब लोकसभा चुनाव से पहले दोनों नेताओं को मंत्री बनाकर भाजपा ने जातीय समीकरण साधने की बड़ी कोशिश की है।