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Electricity Employees Agitation: प्रदर्शन 83 वें दिन भी जारी, राज्यपाल के अभिभाषण के दृष्टिगत निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल निरस्त करें
Electricity Employees Agitation: विद्युत आपूर्ति में प्रभावी सुधार का कार्य हो रहा है। अतः सुधार की आड़ में चल रही निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल निरस्त की जाय।
Vidyut Karmachari Joint Sangharsh Samiti will continue campaign against privatization (Photo: Social Media)
Electricity Employees Agitation: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निवेदन किया है कि बिजली की आपूर्ति में किए गए प्रभावी सुधार के दृष्टिगत पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की चल रही प्रक्रिया तत्काल निरस्त की जाय। निजीकरण के विरोध में आज लगातार 83वें दिन बिजली कर्मियों ने प्रान्त व्यापी विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
पदाधिकारियों ने कहा कि राज्यपाल द्वारा विधानसभा में दिए गए अभिभाषण में उत्तर प्रदेश में विद्युत आपूर्ति में प्रभावी सुधार की बात कही गई है। अभिभाषण में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 20 घंटा 35 मिनट, तहसील स्तर पर 22 घंटा 36 मिनट और जनपदों में 24 घंटा निर्बाध विद्युत की आपूर्ति की जा रही है। पावर फॉर ऑल का लक्ष्य प्राप्त करने हेतु वर्ष 2017 के बाद 24800 करोड रुपए खर्च कर ट्रांसमिशन के 193 विद्युत उपकेंद्र बनाए गए हैं। 9926 नए विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर लगाए गए और 28602 विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों की क्षमता में वृद्धि की गई है। इस साल 188000 निजी नलकूपों को विद्युत संयोजन दिया गया है। इस प्रकार प्रदेश में विद्युत आपूर्ति में प्रभावी सुधार का कार्य हो रहा है। अतः सुधार की आड़ में चल रही निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल निरस्त की जाय।
संघर्ष समिति ने कहा कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन विद्युत व्यवस्था में कोई सुधार न होने का बहाना लेकर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया चला रहा है। राज्यपाल के अभिभाषण में विद्युत आपूर्ति में प्रभावी सुधार की बात कही गई है। अतः स्पष्ट है कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन सुधार का बहाना लेकर उप्र के 42 जनपदों के विद्युत वितरण का निजीकरण करने जा रहा है जिसके भारी दुष्परिणाम उपभोक्ताओं को भुगतने होंगे।
समिति ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बिजली कर्मी लगातार सुधार कर रहे हैं। वर्ष 2017 में ए टी एंड सी हानियां 41% थीं जो वर्ष 2023 - 24 में 17% रह गई हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण की प्रक्रिया निरस्त की जाय तो अगले एक वर्ष में बिजली कर्मी ए टी एंड सी हानियों को राष्ट्रीय मानक 15% से नीचे ले आयेंगे।
संघर्ष समिति ने कहा कि आर डी एस एस स्कीम के अंतर्गत प्रदेश में बिजली प्रणाली सुधारने के लिए हजारों करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। अब विद्युत प्रणाली सुदृढ़ होने के बाद इसे निजी कंपनी को देना किसी भी तरह प्रदेश के हित में नहीं है।
आज वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, हरदुआगंज, पारीछा, ओबरा, पिपरी और अनपरा में विरोध प्रदर्शन किया गया।