TRENDING TAGS :
Lucknow News: 'उदासी कोई भाव नहीं है' कविता संग्रह पर हुई परिचर्चा, जुटी लोगों की भीड़
Lucknow News: अशोक मार्ग स्थित बलरामपुर गार्डन में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेले में रविवार को बड़ी संख्या में पुस्तक प्रेमी पहुंचे।
Lucknow News: बलरामपुर गार्डन में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेले में रविवार की शाम कवि, लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सिंह की कविता संग्रह 'उदासी कोई भाव नहीं है' के नाम रही। कार्यक्रम में वक्ताओं ने उनकी किताब पर जमकर चर्चा की। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार डॉ. योगेश मिश्र, पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविन्द सिंह गोप, कवि एवं लेखक डॉ. सर्वेंद्र विक्रम सिंह, देश के प्रतिष्ठित बौद्ध विचारक राजेश चंद्रा समेत बड़ी संख्या में गणमान्य अतिथि एवं श्रोता भी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन जाने माने साहित्यकार अरुण सिंह ने किया।
आत्मा को न मरने देना बहुत महत्वपूर्ण- डॉ. योगेश मिश्र
बतौर वक्ता कार्यक्रम में उपस्थित प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. योगेश मिश्र ने भी किताब के साथ-साथ सांसारिक जीवन पर खुलकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस किताब के नाम में उदासी भले ही हो लेकिन यह किताब उम्मीद जगाती है। इसमें उदासी शब्द से अधिक स्थानों पर उम्मीद शब्द का प्रयोग किया गया है। ऐसे में यह किताब उम्मीदों से भरी है। आगे उन्होंने कहा कि आज के दौर में आत्मा को न मरने देना बहुत बड़ी बात है। लेखन तभी सफल होता है जब वह आत्मा से किया जाए। इस दौरान उन्होंने 'उदासी कोई भाव नहीं है' के साथ ही किताब 'हर किस्सा अधूरा है' को भी सराहा। अपने सम्बोधन में बौद्ध विचारक राजेश चंद्रा ने कहा कि कविता लिखना तो आसान हो सकता है लेकिन वह लोगों को पसंद आए यह बहुत महत्वपूर्ण होता है। जापान में हाइकू नाम की शैली का इस्तेमाल कविता लेखन के लिए किया जाता है। उसमें छोटी छोटी कविताएं होती हैं। उसकी प्रत्येक लाइन में गिनी मात्राएँ होती हैं। यह भी बड़ी कला है। राजेश चंद्रा ने भी दोनों किताबों की सराहना करते हुए लोगों से भी इन्हें पढ़ने की बात कही।
भावों को शब्दों में पिरोना बड़ी कला- गोप
कार्य्रकम में उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविन्द सिंह गोप ने भी लोगों को सम्बोधित किया। अपने सम्बोधन में उन्होंने किताब की सराहना करते हुए कहा कि भावों में शब्दों को पिरोना अपने आप में एक बड़ी कला होती है। इस किताब में बिवाई, सावन, बक्शे आदि उन चीज़ों का जिक्र है जो सबसे जुड़ी हुई हैं। वहीं, लेखक डॉ. सर्वेंद्र विक्रम सिंह ने भी लोगों को सम्बोधित करते हुए अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि यह कविता संग्रह काफी देर से आया इसे और पहले आ जाना चाहिए था। आगे उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि अगली किताब के लिए हम लोगों को इतना इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा और वह जल्द ही सभी के बीच होगी। कार्यक्रम के अंत में लेखक राजकुमार सिंह ने अपनी नवीन कविता संग्रह 'उदासी कोई भाव नहीं है' की चुनिंदा कविताओं से भी श्रोताओं को रूबरू कराया। साथ ही अपनी पहली किताब 'हर किस्सा अधूरा है' के अंशों को भी सभी के बीच रखा। इसे सुनकर श्रोताओं ने भी खूब तालियां बजाईं।
रविवार की शाम जुटी लोगों की भीड़
अशोक मार्ग स्थित बलरामपुर गार्डन में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेले में रविवार को बड़ी संख्या में पुस्तक प्रेमी पहुंचे। यहां लोगों ने अपनी पसंद की तमाम किताबों की जमकर खरीददारी की। साथ ही मुख्य पंडाल में आयोजित विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रमों का भी लुत्फ़ उठाया। लोगों की पसंद क्या ध्यान रखते हुए विभिन्न मुद्दों और विषयों की सैकड़ों किताबें में मौजूद हैं। खानपान के लिए भी फ़ूड कोर्ट में विभिन्न स्टॉल लगाए गए हैं जिनमें लोग अपनी पसंद के अनुसार व्यंजनों का लुत्फ़ उठा सकते हैं।