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Lucknow News: 'फूलन देवी को पेड़ से बांधकर मारा... 15 मल्लाहों की बेरहमी से की थी हत्या', खूंखार डकैत कुसुमा नाइन का वो किस्सा जिसे पढ़कर हो जाएंगे हैरान
Lucknow News Today: 65 वर्षीय कुसुमा नाइन का लखनऊ के KGMU यानी मेडिकल कॉलेज में TB जैसी बीमारी से गंभीर स्थितियों से गुजरने के चलते इलाज चल रहा था...
Lucknow News Today Kusuma Naina| Dreaded Dacoit Kusuma Nain Died During Treatment in KGMU
Kusuma Nain: 'डकैतों का नाम जब भी आपके जेहन में आता है तो सबसे पहले फूलन देवी का नाम और चेहरा ही आपकी आंखों के सामने आता होगा। लेकिन फूलन देवी से भी खतरनाक और खूंखार बताई जाने वाली डकैत ‘दस्यु सुंदरी’ कुसुमा नाइन की लखनऊ के KGMU में मौत हो गई। बताया जाता है कि इस खूंखार डकैत की मौत के साथ ही डकैतों की दुनिया के एक बड़े अध्याय का भी अंत हो गया है।
दरअसल, 65 वर्षीय कुसुमा नाइन का लखनऊ के KGMU यानी मेडिकल कॉलेज में TB जैसी बीमारी से गंभीर स्थितियों से गुजरने के चलते इलाज चल रहा था। लंबे समय से चल रहे इलाज के बाद अब उसकी मौत हो गयी। कुसुमा नाइन की मौत के बाद उसकी जिंदगी से जुड़े वो किस्से आज भी लोगों की रूह कंपा देते हैं, जिन किस्सों को कुसुमा नाइन ने अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए गढ़ा था।
फूलन देवी की पेड़ से बांधकर बेरहमी से की थी पिटाई
लोगों की जुबां पर डकैतों की दुनिया की दुनिया का एक नाम फूलन देवी ही बना रहता था लेकिन कुसुमा नाइन की की एंट्री होने के बाद कहीं न कहीं फूलन देवी का वर्चस्व खत्म होने लगा। लोगों के साथ की जा रही बर्बरता के साथ ही कुसुमा इस कदर खूंखार हो गई कि उसने फूलन देवी को भी जमकर पीटा था। कुसुमा नाइन और लालाराम ने फूलन को नग्न अवस्था में बबूल के पेड़ से लटका दिया था और उसे राइफल बट से जमकर पीटा था। कहा जाता है फूलन देवी अपनी इस बेइज्जती का बदला मरते दम तक नहीं ले पाई। आपको बताते चलें कि कुसुमा के इस कांड में उसका साथ देने वाला लालाराम वही डकैत था, जिसके साथ ही मिलकर कुसुमा ने अस्ता गाँव में हुए सामूहिक हत्याकांड को अंजाम दिया था।
कुसुमा ने वर्चस्व की लड़ाई में फूलन देवी के जाति के 15 मल्लाहों को उतारा था मौत के घाट
विक्रम मल्लाह की ओर से कुसुमा को अपहरण करने के बाद ही कुसुमा की डकैतों की दुनिया में एंट्री हुई थी। चंबल के जंगलों में जिंदगी गुजारने को तैयार हुई कुसुमा विक्रम मल्लाह के गैंग में शामिल हो गई थी। गौर करने वाली बात ये है कि विक्रम मल्लाह की गैंग में फूलन देवी पहले से मौजूद थी। कुसुमा के आने के बाद गैंग में दो महिलाओं के होने से वर्चस्व की लड़ाई की शुरुआत हो गयी।
इस बीच विक्रम की ओर से कुसुमा को डकैत लालाराम को मारने का आदेश मिला, लेकिन उसने लालाराम को मारा नहीं बल्कि विक्रम की गैंग को छोड़कर उसकी ही में शामिल हो गयी। वर्चस्व की लड़ाई लड़ रही कुसुमा ने 1984 में सबसे बड़ी घटना को अंजाम देते हुए औरैया जिले के अस्ता गांव में फूलन देवी के जाति से आने वाले 15 मल्लाहों को एक लाइन में खड़ा करके गोलियों से सामूहिक हत्याकांड को अंजाम दिया। बताया जाता है कि कुसुमा ने फूलन देवी की ओर से किये गए बेहमई कांड का बदला लेने के लिए इस वारदात को अंजाम दिया था।
तड़पाकर मारने की शौकीन थी कुसुमा नाइन
कुसुमा नाइन के अनेकों किस्सों के बीच उसके शौक की बात की बड़ी जोरों शोरों से होती है। कहा जाता है कि कुसुमा को अपनी गैंग में तड़पाकर मारने का शौकीन माना जाता है। कहा जाता है कि साल 1996 में इटावा जिले के भरेह इलाके में कुसुमा नाइन ने संतोष व राजबहादुर नाम के 2 मल्लाहों की आंखें निकाल ली थीं और उन्हें तड़पने के लिए जिंदा छोड़ दिया था। कुसुमा की क्रूरता की वजह से उसे यमुना चंबल की शेरनी कहा जाने लगा। रिपोर्ट्स की माने तो कुसुमा नाइन वर्चस्व के चलते जिन लोगों का अपहरण करती थी, उनके साथ बहुत बुरा बर्ताव करती थी, जिसमें वह चूल्हे में लगी जलती हुई लकड़ी को निकाल कर उनके बदन को जलाती थी और साथ ही जंजीरों से बांध कर उन्हें हंटर से मारा करती थी।