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Dussehra 2023: ऐशबाग रामलीला ग्राउंड में जला 80 फ़ीट का रावण, धूमधाम-हर्षोल्लास से मनाया गया विजयादशमी का त्योहार
Vijayadashami 2023: राजधानी लखनऊ में धूमधाम से दशहरा मनाया गया। एक तरफ जहां लोगों ने घरों में विधि-विधान से पूजा-अर्चना की, वहीं ऐशबाग रामलीला ग्राउंड में विशालकाय रावण का पुतला दहन किया गया।
Dussehra 2023: उत्तर प्रदेश में धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ दशहरा मनाया गया। राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के सभी जिलों में लोगों ने घरों में विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। माता रानी से सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की। साथ ही, शस्त्रों का पूजन भी हुआ। बड़े-बुजुर्गों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिए। लखनऊ में मंगलवार देर शाम रावण दहन हुआ। ये नजारा देखने हजारों लोगों की भीड़ इकठ्ठा हुई।
लखनऊ ऐशबाग रामलीला मैदान (Aishbagh Ram Leela Ground) में रावण का पुतला जलाया गया। इस दौरान रामलीला का मंचन भी हुआ। रामलीला में रावण के वध के बाद ऐशबाग रामलीला मैदान में पुतले का दहन किया गया।
डॉ.दिनेश शर्मा- बुराई को हारना ही पड़ता है
ऐशबाग रामलीला मैदान में शहर के सबसे ऊंचे रावण का दहन किया गया। आतिशबाजी के बीच दहन में कई लोग शामिल हुए। विजयादशमी के इस आयोजन में मुख्य अतिथि बीजेपी के राज्यसभा सदस्य डॉ. दिनेश शर्मा (Dr. Dinesh Sharma) थे। इस मौके पर अपने संबोधन में दिनेश शर्मा ने कहा, 'सच्चाई के प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने बुराई पर विजय पताका लहराकर ये बता दिया कि सच्चाई की हमेशा जीत होती है। बुराई को हारना ही पड़ता है। उन्होंने कहा, हमारी सांस्कृतिक विरासत ही हजारों सालों से हमें श्रीराम के आदर्श से जोड़े हुए है। ये जीवंत है।'
रावण का 80 फ़ीट का पुतला दहन
लखनऊ में रावण दहन का पूर्व नियोजित कार्यक्रम ऐशबाग रामलीला ग्राउंड में था। इस बार यहां 80 फीट रावण का पुतला दहन किया गया। रावण दहन को लेकर समिति ने सभी तैयारियां पूरी कर ली थी। आपको बता दें, ऐशबाग स्थित रामलीला ग्राउंड में हर साल बड़े स्तर पर विजयदशमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। इसकी भव्यता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, साल 2016 में प्रधानमंत्री मोदी भी यहां के कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
नहीं जले मेघनाद और कुंभकरण
इस बार सिर्फ रावण का 80 फीट ऊंचा पुतला ही जलाया गया। दरअसल, इस बार समिति ने फैसला लिया था कि वो रावण के साथ कुंभकरण और मेघनाथ को नहीं जलाएंगे। समिति का मानना है कि जब भगवान राम के साथ रावण का युद्ध हो रहा था तो मेघनाथ और कुंभकरण ने रावण को समझाया था कि वो प्रभु श्रीराम हैं। ईश्वर स्वरूप हैं। रावण को उनकी शरण में चले जाना चाहिए। इसलिए रावण के साथ कुंभकरण और मेघनाथ को नहीं जलाया गया।