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Lucknow News: मुख्यमंत्री के बयान का स्वागत करते हुए संघर्ष समिति ने निजीकरण का निर्णय वापस लेने की मांग की

Lucknow News: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिल्ली में उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था पर दिए गए बयान का स्वागत करते हुए बिजली के निजीकरण का फैसला वापस लेने की मांग की है ।

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Newstrack Network
Published on: 24 Jan 2025 8:36 PM IST
Nijikaran Virodh News
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Nijikaran Virodh News (Social Media)

Lucknow News: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिल्ली में उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था पर दिए गए बयान का स्वागत करते हुए बिजली के निजीकरण का फैसला वापस लेने की मांग की है । संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मचारियों को मुख्यमंत्री पर पूरा विश्वास है। प्रबंधन ने निजीकरण का राग छेड़कर अनावश्यक तौर पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बना दिया है। निजीकरण का निर्णय वापस लिया जाय तो विद्युत कर्मी मुख्यमंत्री के नेतृत्व में श्रेष्ठतम बिजली व्यवस्था देने हेतु संकल्प बद्ध हैं। उप्र के बिजली कर्मचारियों द्वारा महाकुम्भ में बिजली की बेहद शानदार व्यवस्था से पूरा देश चकित है।

इस दौरान बिजली कर्मचारियों का निजीकरण के विरोध में अभियान जारी रहा और आज भी बिजली कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर प्रदेश भर में विरोध सभा की ।25 जनवरी को भी काली पट्टी बांधी जाएगी ।25 जनवरी को संघर्ष समिति अगले कदमों का ऐलान करेगी। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का कल दिल्ली की एक जनसभा में दिया गया बयान कि उप्र में 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति की जा रही है और उप्र की बिजली व्यवस्था दिल्ली से बेहतर है, अपने आप में इस बात का प्रमाण है कि उप्र की बिजली व्यवस्था जो सरकारी क्षेत्र में है ,दिल्ली से अच्छी है जहां बिजली निजी क्षेत्र के पास है।

संघर्ष समिति ने कहा कि मुख्यमंत्री जी ने यह भी कहा है कि दिल्ली में उप्र की तुलना में आम घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली तीन गुना महंगी है। इससे पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन को समझ आ जाना चाहिए कि निजीकरण के बाद क्या होने वाला है। संघर्ष समिति ने कहा कि वे लगातार यही कह रहे हैं कि सरकारी क्षेत्र में विद्युत वितरण निगमों के लिए बिजली एक सेवा है जबकि निजी घरानों के लिए बिजली एक व्यापार है। अब मुख्यमंत्री का बयान आ जाने के बाद पवार कॉरपोरेशन प्रबंधन को निजीकरण की कार्यवाही तत्काल निरस्त कर देनी चाहिए।

समिति ने कहा कि मुम्बई, कोलकाता और दिल्ली में बिजली निजी क्षेत्र में है और यहाँ घरेलू बिजली की दरें उप्र की तुलना में कई गुना अधिक है। मुम्बई में टाटा पावर और अदानी पॉवर के 500 यूनिट का टैरिफ 17-18 रु प्रति यूनिट है। संघर्ष समिति के आह्वान पर आज प्रदेश भर में समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारियों ने जनपद और परियोजना मुख्यालय पर पूरे दिन काली पट्टी बांधी और विरोध सभा की। राजधानी लखनऊ में मध्यांचल मुख्यालय पर भोजन अवकाश के दौरान और शक्ति भवन मुख्यालय पर शाम 5:00 बजे विरोध सभा की गई। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली के निजीकरण के विरोध में काली पट्टी बांधकर विरोध सभा करने का अभियान 25 जनवरी को भी जारी रहेगा। 25 जनवरी को संघर्ष समिति अगले कार्यक्रमों की घोषणा करेगी।



Ramkrishna Vajpei

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