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Bijli Nijikaran Virodh: निजीकरण के प्रस्ताव से अनावश्यक तौर पर बिगड़ रहा है ऊर्जा निगमों का माहौल, मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील

Bijli Nijikaran Virodh Today: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है वे बिजली वितरण निगमों के निजीकरण के प्रस्ताव को मंजूरी न दें।

Ramkrishna Vajpei
Published on: 8 Jan 2025 3:54 PM IST
UP Electricity News
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बिजली निजीकरण विरोध (सोशल मीडिया से साभार)

Bijli Nijikaran Virodh News: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है वे बिजली वितरण निगमों के निजीकरण के प्रस्ताव को मंजूरी न दें। संघर्ष समिति ने कहा है कि निजीकरण का प्रस्ताव एनर्जी टास्क फोर्स में दोबारा ले जाने की कोई जरूरत नहीं है। निजीकरण की इन गतिविधियों से अनावश्यक तौर पर ऊर्जा निगमों का कार्य का वातावरण बिगड़ रहा है। संघर्ष समिति ने कहा कि दिसंबर माह में पावर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का जो प्रस्ताव एनर्जी टास्क फोर्स को भेजा गया था, ऐसा पता चला है कि तकनीकी एवं व्यावहारिक कारणों से इसे सरकार ने स्वीकार नहीं किया। अब पता चला है कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन ने पुनः निजीकरण का प्रस्ताव दिया है जिस पर एनर्जी टास्क फोर्स की होने वाली बैठक में निर्णय लिया जाने वाला है। संघर्ष समिति ने कहा कि प्रयागराज में हो रहे महाकुम्भ के दौरान बिजली कर्मी पूरे प्रदेश खासकर महाकुंभ में श्रेष्ठतम बिजली व्यवस्था बनाए रखने हेतु लगे हुए हैं ऐसे में निजीकरण के इन प्रस्तावों से बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है और अनावश्यक तौर पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बन रहा है।

योगी पर कर्मचारियों का पूरा विश्वास

संघर्ष समिति ने एक बार पुनः कहा कि बिजली कर्मचारियों का प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति पूरा विश्वास है। बिजली कर्मी लगातार बिजली व्यवस्था के सुधार में जुटे हुए हैं और योगी आदित्य नाथ की सरकार में बिजली के क्षेत्र में बहुत ही गुणात्मक सुधार हुआ है। बिजली कर्मी आने वाले वर्ष में ए टी एंड सी हानियों को राष्ट्रीय मानक 15 प्रतिशत के नीचे लाने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि आर डी एस एस स्कीम में हजारों करोड़ रुपए खर्च करने से प्रणाली में सुधार के परिणाम तेजी से आ रहे हैं। इतनी धनराशि खर्च करके जब इंफ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ किया जा रहा है तब इसे निजी घरानों को सौंपना किसी भी प्रकार प्रदेश के हित में नहीं है।

संघर्ष समिति ने कहा कि विद्युत वितरण के निजीकरण का प्रयोग उत्तर प्रदेश में आगरा और ग्रेटर नोएडा में किया गया है । देश के कुछ अन्य स्थानों पर भी विद्युत वितरण का निजीकरण किया गया है। इस प्रयोग के विफल रहने के कारण कई स्थानों पर निजीकरण के करार रद्द किए जा चुके हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े प्रांत में बिजली के निजीकरण का कोई भी प्रयोग करने के पहले निजीकरण के किए गए प्रयोगों का बहुत विस्तृत अध्ययन करने की जरूरत है। साथ ही बिजली के सबसे बड़े स्टेक होल्डर घरेलू बिजली उपभोक्ताओं, किसानों और बिजली कर्मचारियों से विस्तृत विचार विमर्श किए बगैर निजीकरण की कोई भी पहल अनुत्पादक (counter productive) साबित होगी। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली के निजीकरण से होने वाले नुक्सान से आम उपभोक्ताओं, किसानों और बिजली कर्मचारियों को अवगत कराने हेतु बिजली पंचायत आयोजित करने के कार्यक्रम जारी रहेंगे।



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