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LU News: डेट रेप ड्रग्स की पहचान करना सीख रहे फॉरेंसिक विद्यार्थी, FSL और IITR में ले रहे प्रशिक्षण

Lucknow University: मानवशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. केया पांडेय ने बताया कि फॉरेंसिक विद्यार्थी मुख्य रूप से डेट रेप ड्रग्स की पहचान करना सीख रहे हैं। क्योंकि आए दिन पार्टी के दौरान रेप की घटनाओं की जानकारी मिलती है। इसके अलावा विद्यार्थी कृत्रिम दवाओं का पता लगाना भी सीखेंगे।

Abhishek Mishra
Published on: 24 May 2024 2:15 AM GMT
LU News: डेट रेप ड्रग्स की पहचान करना सीख रहे फॉरेंसिक विद्यार्थी, FSL और IITR में ले रहे प्रशिक्षण
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Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं डेट रेप ड्रग्स की पहचान और मोबाइल फोन से डेटा निकालने समेत कई कार्यों में प्रशिक्षण ले रहें हैं। इससे उन्हें पढ़ाई के दौरान ही फॉरेंसिक साइंस में व्यवहारिक ज्ञान हासिल करने का मौका मिल रहा है।

अलग-अलग संस्थानों में भेजे गए हैं विद्यार्थी

एलयू के मानवशास्त्र विभाग में एमए या एमएससी फॉरेंसिक साइंस के छात्र-छात्राएं डेट रेप ड्रग्स को पहचानना सीख रहे हैं। कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय का कहना है कि व्यवहारिक शिक्षा और फॉरेंसिक विज्ञान में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए 30 छात्र-छात्राओं को अलग-अलग संस्थानों में भेजा गया है। कुछ विद्यार्थियों को लखनऊ फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी, दिल्ली एफएसएल में शोध करने के लिए भेजा गया हे। वहीं कुछ को भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान और अलग-अलग अस्पतालों में फॉरेंसिक में व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए भेजा गया है।

डेट रेप ड्रग्स की पहचान कर रहे छात्र

मानवशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. केया पांडेय ने बताया कि फॉरेंसिक विद्यार्थी मुख्य रूप से डेट रेप ड्रग्स की पहचान करना सीख रहे हैं। क्योंकि आए दिन पार्टी के दौरान रेप की घटनाओं की जानकारी मिलती है। इसके अलावा विद्यार्थी कृत्रिम दवाओं का पता लगाना भी सीखेंगे। सहायक आचार्य ओशीन, सहायक आचार्य हरि शरण सिंह, डॉ. ज्योति यादव और राखी राजपूत पूरे शोध प्रक्रिया के दौरान छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन करेंगे। जरूरत पड़ने पर परामर्श भी देंगे।

मोबाइल से डाटा निकालना भी सीख रहे

फॉरेंसिक के विद्यार्थियों को मोबाइल फोन से डेटा निकालना भी सिखाया जा रहा है। प्रो. केया पांडेय का कहना है कि आपराधिका जांच में मोबाइल फोन की अहम भूमिका होती है। कई बार बड़े से बड़े मामलों को सुलझाने में मोबाइल फोन से प्राप्त किया गया डेटा मजबूत साक्ष्य बन जाता है। इसलिए मौजूदा दौर में फॉरेंसिक के छात्र-छात्राओं को इसकी जानकारी होना भी जरूरी है।

इन विषयों पर भी फोकस

फोरेंसिक साइंस के विद्यार्थियों को कुछ अन्य चीजे भी सिखाई का रही हैं। जिनमें फिंगरप्रिंट पैटर्न की वंशानुगतता, जलाए गए खून का विश्लेषण, दूध और तेल की मिलावट का पता लगाना, ऑडियो रिकॉर्डिंग का विश्लेषण करना, बालों के नमूनों से भारी धातुओं का पता लगाना और मानसिक रूप से कमजोर व्यक्तियों का ग्राफोलॉजिकल विश्लेषण करना शामिल हैं।

Abhishek Mishra

Abhishek Mishra

Correspondent

मेरा नाम अभिषेक मिश्रा है। मैं लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। मैंने हिंदुस्तान हिंदी अखबार में एक साल तक कंटेंट क्रिएशन के लिए इंटर्नशिप की है। इसके साथ मैं ब्लॉगर नेटवर्किंग साइट पर भी ब्लॉग्स लिखता हूं।

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