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Lucknow News: दिल के मरीजों को सुई के दर्द से मिलेगा छुटकारा, अब यूरिन से होगी खून का थक्का जमने की जांच

Lucknow News: हार्ट के मरीजों को सेहत को निगरानी रखने के लिए नियमित रूप से खून में थक्का जमने की जांच करानी होती है। इसके लिए उन्हें बार बार सुई लगाई जाती है, जिससे खून निकाला जा सके। यूरिन सैंपल से जांच अब आसानी से हो सकेगी।

Abhishek Mishra
Published on: 1 Oct 2024 6:15 AM GMT
Lucknow News: दिल के मरीजों को सुई के दर्द से मिलेगा छुटकारा, अब यूरिन से होगी खून का थक्का जमने की जांच
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Lucknow News: दिल के मरीजों को खून का थक्का जमने की जांच के लिए अब बार-बार खून के नमूने नहीं देने होंगे। यह जांच अब यूरिन सैंपल के जरिए भी हो सकेगी। इससे रोगियों को होने वाले सुई के दर्द से छुटकारा मिल जाएगा। बता दें कि अभी तक थक्का जमने की जांच खून से ही होती थी।

यूरिन से होगी खून का थक्का जमने की जांच

हार्ट के मरीजों को सेहत को निगरानी रखने के लिए नियमित रूप से खून में थक्का जमने की जांच करानी होती है। इसके लिए उन्हें बार बार सुई लगाई जाती है, जिससे खून निकाला जा सके। यूरिन सैंपल से जांच अब आसानी से हो सकेगी। यह तथ्य पीजीआई के हृदय रोग के डॉक्टर और सीबीएमआर के शोध में सामने आए हैं। अमेरिकन केमिकल सोसाइटी की ओर से प्रकाशित जर्नल ऑफ प्रोटियम रिसर्च में शोध को शामिल किया गया है।

दोनों जांचों में रिपोर्ट एक जैसी

मरीज के शरीर में पीटी का स्तर बढ़ा होने से खून गाढ़ा हो जाता है, जो हार्ट अटैक की आशंका को बढ़ाता है। पीटीआईएनआर जांच के लिए अब बार-बार खून निकलवाने की जरूरत नहीं है। पेशाब से भी जांच हो सकेगी। पीजीआई के शोध में साबित हुआ है कि दोनों तरह से हुई जांच की रिपोर्ट एक समान आती है।

खून के घाढ़ेपन का पता चलता है

खून के थक्का जमने के लिए पीटीआईएनआर जांच की जाती है। इससे पता चलता है कि मरीज का खून कितना पतला व गाढ़ा है। उसी आधार पर मरीज का ऑपरेशन किया जाता है। शोध करने वाले सीबीएमआर के वैज्ञानिक डॉ. आशीष गुप्ता ने बताया कि वॉल्व रिप्लेसमेंट करने के लिए खून पतला रखने के लिए असिनोकॉमराल या एंटी कॉगलेंट ड्रग दी जाती है। खून की जांच रिपोर्ट आने में 10 से 12 घंटे लगते हैं।

तीन साल चले शोध में शामिल ये डॉक्टर

शोध के लिए डॉ. आशीष गुप्ता को 2021 मे इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की विशिष्ट रिसर्च ग्रांट से सम्मानित किया गया था। यह शोध अगस्त 2024 में प्रकाशित हुआ है। शोध करने में सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (सीबीएमआर) के वैज्ञानिक डॉ. आशीष गुप्ता, पीजीआई के कॉर्डियोवैस्कुलर थोरेसिक सर्जरी विभाग के डॉ. शांतनु पांडेय, इम्यूनोलॉजी के डॉ. विकास, डॉ. दीपक, डॉ. निहारिका भारती और हाल में कैंसर से जिंदगी की जंग से हार चुके पीजीआई के कॉर्डियोलॉजिस्ट स्व. डॉ. सुदीप कुमार भी रहे।

डॉ. आशीष ने बताया कि यह शोध तीन साल तक 205 मरीजों पर चला। इसमें 101 लोग पूरी तरह से स्वस्थ और 104 दिल के मरीज लिए गए। इन लोगों पर सिनोकॉमराल या एंटी कॉगलेंट ड्रग का इस्तेमाल किया गया। तब पाया गया कि प्रोथॉम्बिन फ्रैगमेंट 1+2 की जांच से ही थक्का जमने की सटीक जानकारी प्राप्त हो रही है।

Abhishek Mishra

Abhishek Mishra

Correspondent

मेरा नाम अभिषेक मिश्रा है। मैं लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। मैंने हिंदुस्तान हिंदी अखबार में एक साल तक कंटेंट क्रिएशन के लिए इंटर्नशिप की है। इसके साथ मैं ब्लॉगर नेटवर्किंग साइट पर भी ब्लॉग्स लिखता हूं।

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