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Love Story: लखनऊ के हीर और रांझा! प्यार और समर्पण देख लोगों की आँखों में आये आंसू
Love Story of Lucknow: लखनऊ स्थित बालू अड्डा के पास एक किराये के मकान में रहने वाले इस कपल की कहानी अलग है। एक दूसरे के लिए इनका समर्पण प्रेम की अनोखी झलक दिखाता है।
Love Story of Lucknow: शीरी-फरहाद, हीर-रांझा, सोनी-महिवाल जैसे नाम, फसानों से रूमानी जज्बातों तक मोहब्बत की बानगी भी है और नज़ीर भी। लेकिन इसी कतार में अगर मैं मनीष(पति) और सावित्री(पत्नी) का नाम लूँ तो आपको अटपटा लगेगा, मुझे भी लगा था। जब तक इनकी मोहब्बत के बारे में मुझे पता न था। इनकी मोहब्बत का नाम शायद पहले लिखे नामों जितना बड़ा न हो, लेकिन इनका कद इनसे कहीं भी कम नही है।
लखनऊ विधानसभा के सामने जब इन्हें एक दिव्यांग गाड़ी पर जाते देखा तो ख़ुद को इनसे बात करने से रोक नहीं पाया, पूछने पर पता चला कि मनीष और सावित्री की शादी को 6 साल हो चुके हैं और ये झलकारी बाई अस्पताल में अपनी पत्नी को डॉक्टर को दिखाने के लिए आये हैं। उनकी पत्नी सावित्री जल्द ही माँ बनने वाली है। जिसके लिये ये आये दिन उसे डॉक्टर के यहाँ लेकर आते हैं। मनीष ने बताया कि लखनऊ स्थित बालू अड्डा के पास एक किराये के मकान में रहते हैं। वो एक पान की गुमटी लगाते हैं और पत्नी सावित्री बाल शिशु गृह में काम करती हैं।
मैं ख़ुद खाना बनाकर खिलाता हूँ
मनीष की पत्नी सावित्री 7 माह की गर्भवती हैं और बाल शिशु गृह के रोज़ जाकर काम भी करती हैं। मनीष ये ये सवाल करने पर कि आप इनकी घर के कामों में मदद करते हैं कि नहीं? मनीष में जवाब दिया कि इन्हें मैं घर में कुछ नहीं करने देता हूँ, सारे काम ख़ुद करता हैं और खाना बनाकर अपने हाथों से खिलाता हूँ और इन्हें जहां भी जाना होता है अपने सारे काम छोड़ कर इनको वहाँ ले जाता हूँ।
आज इस तेज दौड़ती इस दुनिया में जब प्रेम, एहसास और समर्पण जैसे शब्द कहीं पीछे छूटते जा रहे थे, ऐसे में ये लोग ही हैं जिनकी वजह से रिश्तों का वजूद जिन्दा है। चलते चलते एक आखिरी सवाल किया, आप दोनों खुश हैं, जवाब ने खामोश कर दिया, ये हँसती है तो हँस लेता हूँ और रोती है तो रो लेता हूँ, मेरे लिए ख़ुशी के मायने यहीं हैं। ये कहकर वो वहां से चले गए और मैं पीछे से उन्हें दूर तक देखता रहा।