Lucknow: ’फिल्मकार न होता तो एल्कोहॉलिक होता’, KKC के लिट फेस्ट में बोले मशहूर निर्देशक सुधीर मिश्रा

Lucknow: केकेसी में ’लखनऊः विरासत और नफ़ासत’ थीम पर लिट फेस्ट की शुरुआत हुई। पहले दिन लखनऊ से फिल्म जगत का जुड़ाव विषय पर प्राचार्य प्रो. विनोद चंद्र के साथ फिल्म निर्देशक सुधीर मिश्रा का संवाद हुआ।

Abhishek Mishra
Published on: 14 March 2024 12:03 PM GMT
lucknow news
X

केकेसी के लिट फेस्ट में पहुंचे मशहूर निर्देशक सुधीर मिश्रा (न्यूजट्रैक)

Lucknow News: श्री जय नारायण पीजी कॉलेज (केकेसी) में दो दिवसीय लिट फेस्ट का आयोजन हुआ। इसका उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रख्यात फिल्म लेखक व निर्देशक सुधीर मिश्रा ने किया। उन्होंने लखनऊ से फिल्म जगत के जुड़ाव पर चर्चा की।

फिल्मकार न होता तो एल्कोहॉलिक होता

केकेसी में ’लखनऊः विरासत और नफ़ासत’ थीम पर लिट फेस्ट की शुरुआत हुई। पहले दिन लखनऊ से फिल्म जगत का जुड़ाव विषय पर प्राचार्य प्रो. विनोद चंद्र के साथ फिल्म निर्देशक सुधीर मिश्रा का संवाद हुआ। संवाद में सुधीर मिश्रा ने अपने फिल्म जगत के अनुभवों और अपने जीवन के बारे में बातचीत की। उन्होंने बताया कि जो लड़के कक्षा में पीछे बैठकर खयालों को बुनते थे, लड़कियों से बातचीत नहीं करते थे। वही कहानीकार बनते हैं।

संवाद के दौरान जब प्रो. विनोद चंद्र ने सुधीर मिश्रा से उनके बचपन और आज के बचपन में फर्क पूछा। तो इसपर उन्होंने अपने घर के आंगन में खेलना और अपने चाचा संग जुड़ाव के किस्सों को बयां किया। निर्देशक सुधीर मिश्रा से जब पूछा गया कि अगर आप निर्देशक न होते तो क्या होते। तब उन्होंने कहा कि मैं एल्कोहॉलिक होता। उन्होंने ने बताया कि 22 वर्ष की आयु में उन्हें कुंदन शाह मिले। जिन्होंने उनसे स्क्रिप्ट लिखने को कहा। परिणाम स्वरुप लोगों को ’जाने भी दो यारो’ जैसी लोकप्रिय फिल्म देखने को मिली। लखनऊ के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि लखनऊ पूरे देश में एक अकेला ऐसा शहर है, जो सिंगुलर टाउन है। ऐसा शहर पूरे देश में नहीं है। उन्होंने कहा कि यहां का सेकुलरिज्म ओरिजिनल है, फेक नहीं है। यहां बदतमीजी भी बहुत तमीज से होती है।

चार मशहूर शायरों में साढ़े तीन लखनऊ के

लिट़् फेस्ट के दूसरे सत्र में डॉ. अंशु माली शर्मा ने इतिहासकार रवि भट्ट के साथ शहर के नवाबी इतिहास के बारे में संवाद किया। रवि भट्ट ने बताया कि वह यहां के पूर्व छात्र रह चुके हैं। कई वर्ष पहले यहां के केकेसी इंटर कॉलेज से ही उन्होंने हाई स्कूल और इंटर की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने कहा कि मीर अनीस, मीर तकी मीर, आतिश और मिर्ज़ा ग़ालिब चार मशहूर शायरों में से साढ़े तीन लखनऊ के ही हैं। उन्होंने कहा कि लखनऊ भाषा और साहित्य की भूमि है। मिर्ज़ा ग़ालिब पर लखनऊ का बहुत एहसान है।

’जिंदगी जिंदा दिली का नाम है’ लिखने वाले शेख इमाम बक्श और आतिश ने लखनऊ में उर्दू स्कूल ऑफ शायरी की स्थापना की थी। तीसरे सत्र में प्रोफेसर आफॅ इमीनेंस प्रो. निशी पांडेय से प्रो. एससी हजेला ने लखनऊ का लिबास और संस्कृति विषय पर संवाद किया। प्रो. पांडेय ने कहा कि नवाबों के समय में हिंदू और मुस्लिम पुरुषों का पहनावा लगभग एक जैसा था। महिलाओं का पहनावा अलग होता था। पुरुष दिल्ली के नवाबों की तरह भारी भरकम पोशाक नहीं पहनते थे। लेकिन नवाबी दिल्ली जैसी पोशाक पहनते थे। हल्के और कसे पोशाक पहनते थे। महिलाएं तड़क-भड़क से हटकर सोबर दिखने वाली पोशाक पहनती थीं।

विद्यार्थियों के लिए लगी पुस्तक प्रदर्शनी

दो दिवसीय लिट फेस्ट में छात्र-छात्राओं के लिए एक पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई गई है। मुख्य अतिथि फिल्म निर्देशक सुधीर मिश्रा और प्रबंध समिति के अध्यक्ष वी.एन. मिश्र ने इस प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। पुस्तक प्रदर्शनी में राजकमल प्रकाशन, सर्वोदय साहित्य और दिव्यांश पब्लिकेशन जैसे बैनरों के स्टाल लगाए गए हैं।इस मौके पर मंत्री प्रबंधक जीसी शुक्ला, प्रो पायल गुप्ता, महाविद्यालय के शिक्षक, बड़ी संख्या में विद्यार्थी व अन्य उपस्थित रहे।

Shishumanjali kharwar

Shishumanjali kharwar

कंटेंट राइटर

मीडिया क्षेत्र में 12 साल से ज्यादा कार्य करने का अनुभव। इस दौरान विभिन्न अखबारों में उप संपादक और एक न्यूज पोर्टल में कंटेंट राइटर के पद पर कार्य किया। वर्तमान में प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल ‘न्यूजट्रैक’ में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

Next Story