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UPSC Results: सिविल सेवा परीक्षा में चमके IIT के छात्र, 2010 से बढ़ी इंजीनियर्स की भागीदारी
UPSC Results: पहले सिविल सेवा परीक्षा कोठारी कमिशन की रिपोर्ट के आधार पर आयोजित होती थी। इसके तहत जनरल स्टडी का पेपर 150 और ऑप्शनल सब्जेक्ट का पेपर 300 नंबर का होता था। यूपीएससी की ओर से 2011 में सिविल सर्विसेस एप्टीट्यूट टेस्ट यानी सीएसएटी लागू किया गया।
UPSC Results: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के विद्यार्थियों ने इस बार यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा में बेहरतीन प्रदर्शन किया है। लखनऊ से चयनित हुए अभ्यर्थियों में भी कई छात्रों ने आईआईटी से अपनी पढ़ाई पूरी की है। पिछले साल परीक्षा पास करने वाले आधे से ज्यादा विद्यार्थी प्रौद्योगिकी संस्थान से ही पढ़े थे।
आईआईटी के छात्रों का रहा बोलबाला
लखनऊ के कई छात्रों ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की है। इनमें आईआईटी से इंजीनियरिंग करने वाले छात्रों का बोलबाला रहा। परीक्षा में देश के टॉपर आदित्य श्रीवास्तव रहे। वह लखनऊ के रहने वाले हैं। उन्होंने भी आईआईटी कानपुर से बीटेक-एमटेक ड्युअल डिग्री हासिल की है। यूपीएससी में दसवां स्थान प्राप्त करने वाली ऐश्वर्यम प्रजापति शहर के जानकीपुरम क्षेत्र में रहती हैं। वह एनआईटी उत्तराखंड से ग्रेजुएट हैं। गोमतीनगर के अनिमेष वर्मा को 38वां स्थान मिला है। उन्होंने आईआईटी दिल्ली से पढ़ाई की है। सिद्धार्थ श्रीवास्तव ने 118वां स्थान अर्जित किया। वह आईआईटी बीएचयू से पढ़े हैं। 212वीं रैंक पर काबिज अमितेज पांगती ने आईआईटी दिल्ली से अपनी पूरी की है। लखनऊ के आशियाना क्षेत्र निवासी आदित्य ह्रदय उपाध्याय को 416वीं रैंक मिली है। उन्होंने आईआईटी रूड़की से बीटेक किया है।
2010 से बढ़ी है भागीदारी
सिविल सेवा परीक्षा में पिछले कई सालों से आईआईटी के विद्यार्थियों ने बड़ा मुकाम हासिल किया है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक साल 2010 से यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाले इंजीनियर्स की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है। जबकि 2015 में इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के 102 उम्मीदवारों को इस परीक्षा में सफलता हासिल हुई।
फार्मेट बदलने से बढ़ी इंजीनियर्स की दिलचस्पी
वर्ष 2011 के पहले सिविल सेवा परीक्षा कोठारी कमिशन की रिपोर्ट के आधार पर आयोजित होती थी। इसके तहत जनरल स्टडी का पेपर 150 और ऑप्शनल सब्जेक्ट का पेपर 300 नंबर का होता था। यूपीएससी की ओर से 2011 में सिविल सर्विसेस एप्टीट्यूट टेस्ट यानी सीएसएटी लागू किया गया। जिसके कारण इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों का भी इस परीक्षा की तरफ रूझान बढ़ा। इस फार्मेट का लक्ष्य था कि उम्मीदवार की लॉजिकल रीजनिंग, एनालिटिकल एबिलिटी और इंग्लिश लैंग्वेज का स्किल टेस्ट हो सके।
सीएसएटी से बढ़े इंजीनियरिंग के छात्र
बता दें कि यूपीएससी की इस परीक्षा में दो अनिवार्य पेपर सीएसएटी प्रथम और सीएसएटी द्वितीय है। दोनों में 200 अंक के प्रश्न पूछे जाते हैं। जो उम्मीदवार ह्युमैनिटी से आए हैं उनकी शिकायत है कि सीएसएटी को इस परीक्षा में टेक्नोक्रेट्स की सिफारिश पर टेक्निकल बैकग्राउंड के छात्रों को लाभ पहुंचाने के लिए शामिल किया गया है। सीएसएटी का सारा ढांचा जीमैट, कैट, एक्सएटी और एमबीए एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर तैयार किया गया है। जिसके कारण ही इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से आए विद्यार्थियों के चयन का प्रतिशत बढ़ गया है।