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Chaudhary Charan Singh Airport: चौ. चरण सिंह एयरपोर्ट की जमीन पर अवैध कब्जे, विस्तार में बन रहे बाधक

Chaudhary Charan Singh Airport: एयरपोर्ट प्रशासन के अनुसार वर्ष 2022 मे एयरपोर्ट की दक्षिणी दिशा की भूमि पर अवैध कब्जेदार किसानों ने हाईकोर्ट में रिट दायर की थी। इसमे याचिकाकार्ताओं ने स्वीकार किया कि भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है।

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Newstrack Network
Published on: 2 Oct 2024 8:58 PM IST
Chaudhary Charan Singh Airport
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Chaudhary Charan Singh Airport

Chaudhary Charan Singh Airport: लखनऊ को विश्वस्तरीय एयरपोर्ट बनने के लिए एयरपोर्ट का विस्तार आज की महती आवश्यकता है। विस्तार में अवैध कब्जे बाधक बन रहे हैं। जबकि हाईकोर्ट ने पिछले साल विकास कार्य शुरू करने का आदेश दिया था, लेकिन अब अवैध कब्जेदारों ने विरोध शुरू कर दिया है।

एयरपोर्ट की जमीन पर अवैध कब्जे नए टर्मिनल-3 के विस्तार में बाधा बन रहे हैं। एयरपोर्ट प्रशासन के अनुसार हाईकोर्ट ने पिछले साल मई में विकास कार्य शुरू करने का आदेश दिया था। इसमें कहा गया था कि किसी पक्ष का किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। अब बाउंड्री निर्माण होने लगा तो विरोध शुरू हो गया।

एयरपोर्ट प्रशासन के अनुसार वर्ष 2022 मे एयरपोर्ट की दक्षिणी दिशा की भूमि पर अवैध कब्जेदार किसानों ने हाईकोर्ट में रिट दायर की थी। इसमे याचिकाकार्ताओं ने स्वीकार किया कि भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है। इसी क्रम में 28 सितम्बर को एयरपोर्ट प्रशासन ने विकास कार्य शुरू किया तो याचिकाकर्ता और अन्य अवैध कब्जेदारों ने बाधा उत्पन्न की। वर्तमान में टर्मिनल-3 के निर्माण के पश्चात एयरपोर्ट विकास व विस्तार की आवश्यकता है।

आज से 73 साल पहले हुआ था अधिग्रहण

एयरपोर्ट प्रशासन के अनुसार वर्ष 1942-1951 के बीच सरकार ने वायुसेना के लिए रहीमाबाद, मोहम्मदपुर भक्तीखेड़ा, गड़ौरा व अन्य ग्रामों का अधिग्रहण किया था। भूमि स्वामी और काश्तकारों को अधिग्रहित भूमि, भूमि पर लगी फसल, भूमि पर बने मकानो का मुआवजा दिया गया था। अवैध कब्जेदार किसान जो गैर दाखिल काश्तकार के रूप मे पूर्व मे दर्ज थे, उनके नाम भी राजस्व अभिलेखो मे निरस्त कर दिए गए है।

इस मामले में ताजा अपडेट ये है कि लखनऊ जिला प्रशासन ने रहीमाबाद और मोहम्मदपुर भक्ति खेड़ा गांवों के किसानों के विरोध के बाद चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (सीसीएसआईए) के विस्तार के लिए भूमि पुनर्ग्रहण अभियान को 15 अक्टूबर तक के लिए टाल दिया है। पीएसी कंपनी के साथ एक प्रशासनिक टीम खेत पर एक सीमा दीवार बनाने के लिए दोनों गांवों में पहुंची थी, लेकिन किसानों ने दावा किया कि उक्त भूमि से संबंधित मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के समक्ष लंबित है, जिसके बाद इसे स्थगित कर दिया गया। किसानों को विरोध समाप्त करने के लिए मनाने वाले एसडीएम सरोजनीनगर सचिन कुमार वर्मा ने टीओआई को बताया कि वे 15 अक्टूबर के बाद अभियान फिर से शुरू करेंगे।

प्रशासन के एक सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, चरणबद्ध तरीके से हवाईअड्डे के विस्तार के लिए लगभग 400 एकड़ भूमि को पुनः प्राप्त किया जाना है। यह भूमि पिछले 70 वर्षों से हवाईअड्डे के पास है। यहां तक कि उच्च कोर्ट ने प्रशासन के पक्ष में जमीन पर कब्ज़ा करने का आदेश दिया है। कुछ किसानों की जो भी समस्याएं हैं, उनका जल्द ही समाधान किया जाएगा और उन किसानों को मुआवजा दिया जाएगा जिनकी फसलें संबंधित भूमि पर तैयार हैं। प्रशासन के भूमि पुनर्ग्रहण अभियान के खिलाफ प्रमुख याचिकाकर्ता हरीश चंद्र यादव ने कहा कि पुनर्ग्रहण अभियान अवैध था और उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वे रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

यादव ने कहा 1943 में, ब्रिटिश सरकार ने रहीमाबाद की 15.55 एकड़ जमीन 357 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अधिग्रहित की थी और ग्रामीणों को 5552 रुपये का भुगतान करके मुआवजा दिया था। बाद में, रक्षा संपदा विभाग ने हवाई पट्टी के निर्माण के लिए जमीन सौंप दी।

याचिकाकर्ता ने कहा 1949 में हवाई पट्टी का विस्तार करने के लिए, राज्य सरकार ने अतिरिक्त 183 एकड़ भूमि के लिए किसानों को खड़ी फसल के लिए 3 रुपये प्रति एकड़ का भुगतान करके मुआवजा दिया, लेकिन उन्होंने कभी जमीन का अधिग्रहण नहीं किया। आज तक, भौतिक भूमि किसानों के कब्जे में है। अब प्रशासन वह 183 एकड़ भूमि के बजाय 271 एकड़ भूमि को पुनः प्राप्त करना चाहता है जिस पर ग्रामीण बिना किसी के हस्तक्षेप के खेती और निवास कर रहे हैं।

Shalini singh

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