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Lucknow: समाज की बदलती जरूरतों के मद्देनजर मध्यस्थता का संस्थागतकरण जरूरीः सुभाष विद्यार्थी

Lucknow: मध्यस्थता और मध्यस्थता उत्कृष्टता केंद्र (सीईएमए) द्वारा रविवार को होटल हिल्टन में संस्थागत मध्यस्थता - एकमात्र उत्तर विषयक एक सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन के मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी रहे।

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Newstrack Network
Published on: 27 May 2024 11:17 AM IST (Updated on: 27 May 2024 11:23 AM IST)
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होटल हिल्टन में मध्यस्थता और मध्यस्थता उत्कृष्टता केंद्र (सीईएमए) द्वारा आयोजित हुआ सम्मेलन (न्यूजट्रैक)

Lucknow News: समाज की बदलती गतिशीलता और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए मध्यस्थता और मध्यस्थता का संस्थागतकरण आवश्यक है। न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने रविवार को होटल हिल्टन में मध्यस्थता और मध्यस्थता उत्कृष्टता केंद्र (सीईएमए) द्वारा आयोजित संस्थागत मध्यस्थता - एकमात्र उत्तर विषयक एक सम्मेलन में यह बातें कहीं। उन्होंने प्रभावी मध्यस्थता की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका पर भी जोर दिया। इस अवसर पर विशेष अतिथि संजय भूसरेड्डी आईएएस, अध्यक्ष यूपीआरईआरए ने कहा कि सरकार सबसे बड़ी वादी होने के नाते सीईएमए जैसी संस्थाओं की सबसे बड़ी लाभार्थी है, जो न केवल समय और सार्वजनिक धन की बचत करती है बल्कि विदेशी निवेश को भी बढ़ावा देती है।

इस अवसर पर अवनीश अवस्थी पूर्व आईएएस भी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि निष्पक्ष, निष्पक्ष और विशेषज्ञ मध्यस्थों की नियुक्ति सुनिश्चित करने के लिए संस्थागत मध्यस्थता अनिवार्य है। वरिष्ठ मध्यस्थता अधिवक्ता मनीष मेहरोत्रा ने आने वाले समय में भारत में एडीआर के मुख्य माध्यम के रूप में संस्थागत मध्यस्थता के महत्व की रूपरेखा और सिंहावलोकन दिया और कहा कि धीरे-धीरे विधायी मंशा के अनुसार तदर्थ मध्यस्थता भी संस्थागत मध्यस्थता और मध्यस्थता का मार्ग प्रशस्त करेगी।


उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि संस्थागत मध्यस्थता के कई फायदे हैं और सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण है - भारत और विशेष रूप से उत्तर प्रदेश राज्य में सभी निवेशकों के लिए “व्यवसाय करने में आसानी“, क्योंकि यह आज अपने विशाल विकास पथ पर खड़ा है। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री प्रशांत चंद्रा ने अपने स्वागत भाषण में इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे संस्थागत मध्यस्थता अदालत के हस्तक्षेप को कम करती है और विवाद के समाधान में तेजी लाती है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुकेश सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे संस्थागत मध्यस्थता सरकार को राज्य के सामने आने वाली विभिन्न उद्योग और निवेश चुनौतियों को हल करने में मदद कर सकती है। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के बाद एक तकनीकी सत्र का आयोज हुआ। जिसमें प्रख्यात वक्ताओं न्यायमूर्ति एस.यू. खान (सेवानिवृत्त) ने सभा को संबोधित किया। न्यायमूर्ति के.एस. रखरा (सेवानिवृत्त), न्यायमूर्ति राघवेंद्र कुमार (सेवानिवृत्त), न्यायमूर्ति ए.एन. वर्मा (सेवानिवृत्त), न्यायमूर्ति अरविंद त्रिपाठी (सेवानिवृत्त), अरविंद वर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता, भारत के सर्वोच्च न्यायालय, जिन्होंने संस्थागत मध्यस्थता के विभिन्न लाभों पर प्रकाश डाला और मध्यस्थता के लिए उत्कृष्टता केंद्र के गठन की सराहना की।



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Shishumanjali kharwar

Shishumanjali kharwar

कंटेंट राइटर

मीडिया क्षेत्र में 12 साल से ज्यादा कार्य करने का अनुभव। इस दौरान विभिन्न अखबारों में उप संपादक और एक न्यूज पोर्टल में कंटेंट राइटर के पद पर कार्य किया। वर्तमान में प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल ‘न्यूजट्रैक’ में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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