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Lucknow News: शिक्षकों के बराबर लिया जाता काम लेकिन तनख्वाह 9000...इन मांगों को लेकर अनुदेशकों का अनिश्चितकालीन धरना जारी
Lucknow News: महाराजगंज के अनुदेशक संदीप शर्मा ने कहा कि हमारी मुख्य मांग समान वेतन और विनियमितिकरण है। अंशकालिक अनुदेशक के तौर पर नियुक्ति हुई थी लेकिन पूर्णकालिक के रूप में काम लिए जाते हैं। 2017 में 17000 रुपए मानदेय तय किया गया था। जो अभी तक नहीं मिलना शुरू हुआ।
Lucknow News: राजधानी के निशातगंज क्षेत्र स्थित बेसिक शिक्षा निदेशालय में विभाग के अनुदेशक सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे हैं। सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन कर रहे अनुदेशक अपनी मांगों पर अडिग हैं। निदेशालय का घेराव कर धरना दे रहे अनुदेशकों ने वेतन बढ़ोतरी की मांग की है। यहां मौजूद प्रदर्शनकारी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे हैं।
निदेशालय में अनुदेशकों का धरना जारी
अनिश्चितकालीन धरना दे रहे अनुदेशक वेतन बढ़ोतरी के साथ परमानेंट किए जाने की भी मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि डीजी से लेकर मंत्रियों के पास अपनी मांगों को लेकर जा चुके हैं। लेकिन किसी ने नहीं सुना। 2013 से हम लोगों का शोषण किया जा रहा है। अधिकारी समाधान की ओर जाने की बजाय सरकार को गुमराह कर रहे हैं। इसलिए हम सरकार को आगाह करने आए हैं।
नौ हजार में लिया जाता शिक्षकों के बराबर काम
परिषदीय अनुदेशक कल्याण एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह ने कहा कि हमारी मांगे पूरी न होने तक धरना जारी रहेगा। महाराजगंज के अनुदेशक संदीप शर्मा ने कहा कि हमारी मुख्य मांग समान वेतन और नियमितिकरण है। अंशकालिक अनुदेशक के तौर पर नियुक्ति हुई थी लेकिन पूर्णकालिक के रूप में काम लिए जाते हैं। 2017 में 17000 रुपए मानदेय तय किया गया था। जो अभी तक नहीं मिलना शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि हमसे खेलकूद प्रतियोगिता में कार्य लिया जाता है। इसके अलावा बच्चों को पढ़ते भी हैं। नौ हजार रुपए तनख्वाह मिलती है। जोकि काफी कम है। अगर काम पूरा शिक्षकों वाला कर रहे हैं तो वेतन भी बराबर मिलना चाहिए।
धरना दे रहे अनुदेशकों की मांगें -
1. शिक्षा अधिकार अधिनियम से नियुक्त अनुदेशक पिछले दस वर्षों से पुर्ण कालिक कार्य करते हुए नौनिहालों का भविष्य संवार रहे हैं। अधिसंख्य अनुदेशकों की उम्र सीमा 40 वर्ष पार कर चुकी है। अतः नवीन शिक्षा नीति के अनुसार हम अनुदेशकों को नियमित किया जाए।
2. नियमितीकरण होने तक तत्काल प्रभाव से 12 माह के लिए समान कार्य, समान वेतन की व्यवस्था लागू की जाए।
3. नवीनीकरण के नाम पर हम अनुदेशकों का अमानवीय शोषण किया जाता है। शोषण के कुकृत्य ऐसे हैं जिसे सिर्फ संवेदनशील सरकार ही समझ सकती है। अतः स्वतः नवीनीकरण व्यवस्था लागू हो।
4. सरकार द्वारा हम अनुदेशकों के विरुद्ध अदालतों में चलाई जा रही समस्त कार्यवाही अविलंब वापस लेकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय व माननीय उच्च न्यायालय डबल बेंच में पारित निर्णय एवं दिशानिर्देशों को तत्काल प्रभाव से निष्पादित किया जाए।
5. महिला अनुदेशकों का अन्तर्जनपदीय स्थानांतरण (जिस जनपद में शादी हुई हो) प्राथमिकता के आधार पर किया जाए।
6. अत्यंत अल्प मानदेय से रुग्ण हो चुके हम अनुदेशकों को आयुष्मान योजना का लाभ दिया जाए।
7. हम अनुदेशकों के भविष्य एवं आकस्मिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा (EPF) की गारंटी दिया जाए।
8. 100 छात्र संख्या की तलवार का प्रयोग शिक्षकों द्वारा अनुदेशकों के सम्बन्ध में जानबूझकर किया जा रहा। ऐसे में शोषण से बचाव के राहत कारी उपाय किये जाएं। मात्र अनुदेशकों को जिम्मेदार मानकर एकतरफा कार्यवाही नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध है। स्थानांतरण में उन समस्त विद्यालयों को शामिल किया जाए जहाँ संख्या 100 से ज्यादा हो।
9. हम अनुदेशकों को 10 संयोगी अवकाश (CL) के अलावा कोई छुट्टी नही है। जो कि मानवाधिकारों के विरुद्ध है अतः अनुदेशकों को भी शिक्षकों की तरह ही आकस्मिक अवकाश, चिकित्सकीय अवकाश, बाल्य देखभाल अवकाश (CCL) एवं मातृत्व अवकाश का उपबंध किया जाए।
10. अत्यंत अल्प मानदेय एवं सरकार द्वारा अनुदेशकों को लगातार कोर्ट में उलझाए, लटकाने के परिणामस्वरूप स्वयं के व्यवस्था से आनलाइन गतिविधियों का संचालन तकनीकी रूप से असम्भव हो चला है। हम अनुदेशक कर्मठता और ईमानदारी से समस्त गतिविधियां आफलाइन मोड में ही निष्पादित करेंगे।
11. अत्यंत अल्प मानदेय एवं संकीर्ण सामाजिक स्थिति के कारण हम अनुदेशक मानवीय गरिमा के अनुकूल सामान्य जीवनचर्या से तालमेल नहीं बना पा रहे। परिणामस्वरूप कार्यस्थलों पर शोषण एवं असहजता से अवसाद की स्थिति उत्पन्न होती रहती है।