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Lucknow News: सुभाष कॉलेज में अंतराष्ट्रीय सम्मेलन शुरू, तीन दिनों तक प्राचीन ज्ञान परंपरा पर होगी चर्चा

Lucknow News: नेताजी सुभाष चंद्र बोस राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। सम्मेलन का विषय "भारतीय ज्ञान परंपरा का पुनरावलोकन: गौरवशाली अतीत से समकालीन संदर्भों तक" है।

Abhishek Mishra
Published on: 16 March 2024 7:36 PM IST
International conference starts in Subhash College, ancient knowledge tradition will be discussed for three days
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सुभाष कॉलेज में अंतराष्ट्रीय सम्मेलन शुरू, तीन दिनों तक प्राचीन ज्ञान परंपरा पर होगी चर्चा: Photo- Newstrack

Lucknow News: नेताजी सुभाष चंद्र बोस राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। सम्मेलन का विषय "भारतीय ज्ञान परंपरा का पुनरावलोकन: गौरवशाली अतीत से समकालीन संदर्भों तक" है। यहां राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा मुख्य अतिथि व राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी मुख्य वक्ता रहे।

भारतीय ज्ञान परंपरा सर्वोपरि- डॉ. दिनेश शर्मा

अलीगंज स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस महिला महाविद्यालय में शनिवार को अंतराष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत हुई। उद्घाटन सत्र में विशिष्ट अतिथि विधायक डॉ. नीरज बोरा और एलयू के राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. राकेश कुमार मिश्रा विशिष्ट वक्ता रहे। प्राचार्य प्रो. अनुराधा तिवारी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। मुख्य अतिथि डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि यह महाविद्यालय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के सपनों का महाविद्यालय है।

उन्होंने प्राचीन भारतीय परंपरा की वर्तमान परिदृश्य से तुलना करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा सर्वोपरि है। अमेरिका भी भारत के प्राचीन ज्ञान अनुसरण कर रहा है। उन्होंने बताया कि मध्यकाल में विस्मृत कर दी गई भारतीय परंपरा के लिए तत्कालीन अंग्रेजी शासन तथा मैकाले की शिक्षा पद्धति को बहुत हद तक जिम्मेदार माना जा सकता है। प्राचीन मंदिर न केवल पूजा पाठ बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था की नीव रहे हैं।


प्राचीन ज्ञान परंपरा को समझे नई पीढ़ी

संगोष्ठी में मुख्य वक्ता रहे सुधांशु त्रिवेदी ने भारतीय ज्ञान परंपरा की श्रेष्ठता के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि वर्तमान पीढ़ी को प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा से अवगत कराना बहुत आवश्यक है। वेदों में भारतीय विदुषियों के द्वारा धर्म शास्त्रार्थ एवं स्त्रियों द्वारा शास्त्रार्थ में निर्णायक की भूमिका रही है। उन्होंने कोणार्क के सूर्य मंदिर में सूर्य के प्रकाश को एक बिंदु पर केंद्रित करने की वैज्ञानिकता और अयोध्या में स्थापित राम मंदिर में आधुनिक यंत्रों द्वारा सूर्य के प्रकाश को एक बिंदु पर केंद्रित करने की तुलना की। प्रो. डॉ राकेश मिश्रा ने कहा कि आत्मज्ञान ही परम तत्व है। जो व्यष्टि में है वही समष्टि में है। भारतीय ज्ञान परंपरा मोक्ष मूलक है।

डॉ. नीरज बोरा ने कहा कि बेटियां ही अमृत काल की एंबेसडर हैं। तीन दिवसीय संगोष्ठी के संयोजक डॉ. राजीव यादव ने संगोष्ठी की परिकल्पना प्रस्तुत की। डॉ. भास्कर शर्मा ने कविता का पाठ किया। सम्मेलन में उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त दिलीप अग्निहोत्री, लुआक्टा अध्यक्ष डॉ.मनोज पांडे, नवयुग कालेज की प्राचार्य प्रो. मंजुला उपाध्याय, प्रो. यूके सिंह, प्रो. वीना राय, प्रो. सारिका दुबे, महामाया कालेज की प्राचार्य शहला नुसरत किदवई, डॉ. सीमा सिंह, डॉ. दीप्ति खरे, डॉ. बृजेंद्र पांडे, डॉ. भारती सिंह व अन्य मौजूद रहे।



Shashi kant gautam

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