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Lucknow : क्या इजराइल धर्म के नाम पर दे रहा है लाखों की नौकरी, लखनऊ में लगी लंबी कतारें
Lucknow : अभी तक दिल्ली और चेन्नई से लगभग 5,000 कर्मचारी पहले ही भर्ती किए जा चुके हैं। राजधानी लखनऊ में इजराइल जाने वाले मजदूरों की स्क्रीनिंग की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।
Lucknow : इजराइल विभिन्न पदों पर हजारों भारतीय श्रमिकों की भर्ती कर रहा है, और कहा जा रहा है कि इन श्रमिकों को उच्च वेतन पर रखा जायेगा। इस समय हमास के युद्ध के पश्चात इजराइल में फिलिस्तीनियों के काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस प्रतिबंध के कारण, इजराइल के निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले फिलिस्तीनी श्रमिकों की संख्या में कमी आ गयी है और यह इजराइल के निर्माण सेक्टर को भारी रूप से प्रभावित कर रहा है।
हालांकि अक्टूबर में हमास के किये गए इजराइल पर हमले और उसके पश्चात्, गाजा में शुरू हुई इजराइल की कार्रवाई के पहले ही, भारत और इजराइल ने श्रमिकों की भर्ती के संबंध में बातचीत की थी। इस युद्ध के बाद, इजराइल में काम करने वाले विदेशी श्रमिकों के मामले में बड़ा प्रभाव पड़ा है। युद्ध की स्थिति को देखते हुए, इजराइल में काम करने वाले विदेशी श्रमिकों, जिनमें हजारों की संख्या में थाईलैंड के श्रमिक भी शामिल थे उन सभी ने अपने देश लौट जाने का निर्णय लिया है।
क्या कहती है CIMI
इजरायल के सेंटर फॉर इंटरनेशनल माइग्रेशन एंड इंटीग्रेशन (CIMI) के अनुसार, साल 2021 में भारत और इजरायल के बीच एक द्विपक्षीय समझौता हुआ था। जिसमें लगभग दस से बीस हजार श्रमिकों को आने की सहमति मिली थी। इजरायल के कुछ अधिकारीयों का कहना है कि आने वाले कुछ महीनों में 10,000 से 20,000 भारतीय प्रवासी श्रमिकों के इजरायल आने की उम्मीद की जा रही है।
हजारों की संख्या में हो रही भारतीयों की भर्ती
अभी तक दिल्ली और चेन्नई से लगभग 5,000 कर्मचारी पहले ही भर्ती किए जा चुके हैं। इससे पहले इजरायल के कंस्ट्रक्शन सेक्टर में लगभग एक-तिहाई श्रमिक फिलिस्तीनी थे। लेकिन हमास से लड़ाई शुरू होने के बाद गाजा और कब्जे वाले वेस्ट बैंक के श्रमिकों के वर्क परमिट रद्द कर दिए गए हैं, फिलहाल हम दिसंबर में इजरायल बिल्डर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राउल श्रुगो ने इजरायली सांसदों को बताया कि उद्योग का उत्पादन 30 प्रतिशत ही हो पा रहा है। उन्होंने कहा, "जहां तक हमारा सवाल है आपको किसी भी तरह, कहीं से भी मजदूर लाने होंगे।"
इजरायल और भारत के अच्छे सम्बन्ध
इजरायल का रुझान भारतीय कामगारों के प्रति हाल ही के वर्षों में भारत और इजरायल के संबंधों में आई नज़दीकियों को दिखाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजरायल के राष्ट्रपति बेन्यामिन नेतन्याहू के साथ अच्छे संबंध स्थापित किये हैं। पूर्व इजरायली विदेश मंत्री एली कोहेन ने संसद में कहा था कि गाजा युद्ध से पहले भी, दोनों देशों ने मई में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत 42,000 भारतीय श्रमिकों जिसमें कंस्ट्रक्शन श्रमिक और नर्सिंग श्रमिक शामिल हैं, उन्हें इजरायल भेजा जाएगा।
लखनऊ में भी स्क्रीनिंग की प्रक्रिया शुरू
राजधानी लखनऊ में इजराइल जाने वाले मजदूरों की स्क्रीनिंग की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। लखनऊ में बनाए गए सेंटर पर भरी संख्या में मजदूर स्क्रीनिंग के लिए पहुंचे। इस बार इजराइल जाने वाले मजदूरों की परीक्षा 25 से 29 जनवरी के बीच होगी। इस परीक्षा के लिए राजकीय आईटीआई अलीगंज को चुना गया है। इजराइल में काम करने जाने वाले मजदूरों को हर महीने 1 लाख 37 हजार 260 रुपए की सैलरी मिलेगी। इन मजदूरों के लिए सरकार रहने के लिए आवास भी प्रदान करेगी, लेकिन खाने-पीने और मेडिकल बीमा का खर्च मजदूरों को स्वयं उठाना होगा। इजराइल जाने वाले मजदूरों की आयु 21 से 45 साल के बीच होनी चाहिए।
मुस्लिम श्रमिक नहीं जा सकेंगे
भारत में उत्तर प्रदेश के एक रिक्रूटर अमित कुमार, जो डायनेमिक स्टाफिंग सर्विसेज नाम की नई दिल्ली की एक बड़ी वर्कफोर्स एजेंसी के साथ काम करते हैं। उन्होंने बताया कि मुस्लिम श्रमिक इजरायल में मिलने वाली नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर सकते है। उन्होंने इस पर एक यूट्यूब वीडियो भी जारी किया था परन्तु भर्ती करने वाले एक सरकारी अधिकारी ने इस बात का खंडन करते हुए कहा कि मुस्लिम श्रमिकों पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
भारतीय यूनियन ने जताया विरोध
भारतीय यूनियनों और एक्टिविस्टों ने भारतीय श्रमिकों के इजरायल में जाकर नौकरी करने की प्रक्रिया की कड़ी आलोचना की है। हरियाणा में एक निर्माण श्रमिक संघ के महासचिव रामहेर भिवानी ने कहा है कि "हम इसके खिलाफ हैं क्योंकि यह श्रमिकों को मौत के मुंह में भेज रहा है। वो श्रमिकों को भारी वेतन का लालच देते हैं, लेकिन मेरा कोई भी कर्मचारी नहीं जाएगा।"