Lucknow News: केजीएमयू मोर्चरी के डॉक्टर ने अयोध्या मेडिकल कालेज के पूर्व प्राचार्य डॉ ज्ञानेंद्र कुमार को बचाने के लिए बदल दिया बिसरा का सैंपल

Lucknow News: अयोध्या मेडिकल कालेज में कार्यरत संविदा कर्मी प्रभुनाथ मिश्रा जिसकी ड्यूटी पर्चा बनाने वाले काउंटर पर थी उससे MBBS की छात्रा ऋतु और निर्मला कुमावत द्वारा जबरन पर्चा बनवाने के लिए दबाव बनाये जाने पर इंकार को लेकर विवाद हो जाता>

Newstrack          -         Network
Published on: 13 April 2025 1:40 PM IST (Updated on: 13 April 2025 4:16 PM IST)
Lucknow News: केजीएमयू मोर्चरी के डॉक्टर ने अयोध्या मेडिकल कालेज के पूर्व प्राचार्य डॉ ज्ञानेंद्र कुमार को बचाने के लिए बदल दिया बिसरा का सैंपल
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Lucknow News: अयोध्या मेडिकल कालेज में कार्यरत संविदा कर्मी प्रभुनाथ मिश्रा जिसकी ड्यूटी पर्चा बनाने वाले काउंटर पर थी उससे सुबह 11 बजे 2020 बैच की MBBS की छात्रा ऋतु और निर्मला कुमावत द्वारा जबरन पर्चा बनवाने के लिए दबाव बनाये जाने पर इंकार को लेकर विवाद हो जाता उसके पश्चात प्रभुनाथ मिश्रा को उक्त छात्राओं द्वारा अपने साथियों की मदद से पीटा जाता है। बाद में पुलिस की मदद से किसी तरह प्रभुनाथ बचकर निकलता है। फिर मामला प्राचार्य डॉ ज्ञानेंद्र कुमार के पास पहुचता है। फिर डॉ ज्ञानेन्द्र इस मसले को लेकर लगभग प्रभुनाथ को अगले 8 दिनों तक लगातार अपने केबिन में बुलाकर गालियाँ देतें हैं मारते पीटते हैं और तरह तरह से प्रताड़ित करते हैं फर्जी मुकदमे में फ़साने की धमकी देते हैं अंत में दिनांक 07/08/2024 को डॉ ज्ञानेंद्र कुमार प्रभुनाथ को अपने केबिन में बुलाकर कहते हैं कि यदि तुमने सबके सामने पैर पकड़कर माफ़ी नहीं माँगी तो तुम्हें SCST मुक़दमें में फसाकर जेल भिजवा दूँगा इससे अवसादग्रस्त होकर प्रभुनाथ जहर खा लेता है और घर पहुँच कर तबीयत ख़राब होने पर अपने परिजनों से रोते हुए सच्चाई बयान कर देता है।

प्रभुनाथ की बिगड़ी तबीयत और शारीरिक हालत को देखकर परिजन उसे आनन फ़ानन में इलाज के लिए अयोध्या मेडिकल कालेज लेकर पहुँचते हैं फिर ज्ञानेंद्र कुमार अपना खेल शुरू करते हुए इलाज करने वाले डॉ से पर्चे में अलकोहलिक लिखवा देता है जबकि प्रभुनाथ शराब को छूता तक नहीं था। लगभग 8 बजे रात में प्रभुनाथ को भर्ती किया जाता है उसके बाद ज्ञानेंद्र कुमार राउण्ड पर आते उनके आने के बाद प्रभुनाथ की तबीयत ज़्यादा बिगड़ती है और परिजन के बार बार अनुरोध करने के बावजूद उसे दूसरे अस्पताल के लिए डिस्चार्ज नहीं किया जाता है और बताया जाता है सुबह प्रिंसिपल अनुमति देंगे तब लेकर जा पाओगे फिर दूसरे दिन दोपहर में उसे परिजन किसी तरह मिन्नतें कर के डिस्चार्ज करा कर बेहतर इलाज के लिए अयोध्या से लेकर लखनऊ के लोहिया अस्पताल में पहुँचते हैं लेकिन जाँच के दौरान दुर्भयवश प्रभुनाथ की मृत्यु हो जाती है

इसी बीच निर्मला कुमावत और ऋतु द्वारा पेशबंदी करते हुए दिनांक 29/07/24 की पुरानी घटना का पत्र दिनांक 8/8/24 को रात में तीन बजे दिया जाता और अयोध्या SSP राजकारण नैय्यर और प्राचार्य डॉ ज्ञानेंद्र की ना जाने रात ऐसी क्या सलाह होती है जो रात में तीन बजे ही मृतक प्रभुनाथ मिश्र पर मुकदमा लिख दिया जाता हैं।(हाल ही में इस मुकदमे में पुलिस द्वारा एफआर लगा दी गई है।

इधर दूसरी तरफ़ लखनऊ के विभूतिखण्ड थाने की पुलिस पंचनामा करती है और डेड बॉडी पोस्टमार्टम के लिए केजीएमयू मोर्चरी भेजती है वहाँ विष आदि तत्वों की गहन जाँच के लिए प्रभुनाथ का बिसरा संरक्षित किया जाता है। परिजन प्रभुनाथ के द्वारा बताए गए प्रताड़ना के बयान के आधार पर अयोध्या कोतवाली में डॉ ज्ञानेंद्र कुमार, ऋतु और निर्मला कुमावत के खिलाफ तहरीर देते हैं लेकिन पुलिस मुक़दमा दर्ज करने से इंकार कर देती है और प्रभुनाथ के परिजन अब मुकदमा लिखवाने के लिए दर दर भटकने लगते हैं लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं होता अंततः कोर्ट की शरण में जाने पर कोर्ट के आदेश पर पुलिस द्वारा 07/11/2024 को अयोध्या कोतवाली में FIR दर्ज की जाती है

इसी बीच डीएम अयोध्या चन्द्रविजय सिंह एक मेजिस्टीरियल जाँच का ढोंग करते हैं और जाँच मैजिस्ट्रेट संदीप श्रीवास्तव आरोपी डॉ ज्ञानेंद्र कुमार ऋतु और निर्मला कुमावत को बिना बुलाये या बिना जाँच किए ही फाइनल रिपोर्ट में बरी कर देते हैं जबकि प्रभुनाथ के साथ काम करने वाले लगभग 60 कर्मचारियों ने प्रभुनाथ को प्रताड़ित किए जाने के विषय में लिखित शपथ पत्र देकर गवाही दी थी डॉ ज्ञानेंद्र कुमार के रसूख के आगे सब बौने हो जाते हैं।

ऐसे में प्रभुनाथ के पिता मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर गुहार लगाते हैं कि प्रचलित जाँच और दर्ज मुकदमे की गंभीरता को देखते हुए ज्ञानेंद्र कुमार को अस्थायी तौर पर मेडिकल कालेज से हटा दिया जाए जिससे जाँच प्रभावित ना हो लेकिन इस चिट्ठी का कोई संज्ञान तक नहीं लिया जाता अपितु जब प्रभुनाथ के परिजन आमुख मामले को लेकर प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा से मिले तो वह बिना मामले को सुने ही ज्ञानेन्द्र की वकालत करने लगे जिससे निराश होकर परिजन फिर लौट आते हैं।

अब मृतक प्रभुनाथ मिश्रा के पिता जगदीश मिश्रा को अपने बेटे के लिए न्याय का एक मात्र सहारा बिसरा रिपोर्ट ही नजर आती है लेकिन कुछ समय बाद जब पता चलता है कि बिसरा रिपोर्ट में जहर नहीं पाया गया तो यह भी आशा टूट जाती हैं लेकिन हार ना मानते हुए वकील की सलाह पर मेडिको लीगल परीक्षण कराया जाता है जिसमें स्टेट मेडिको लीगल एक्सपर्ट डॉ जी. ख़ान अपनी रिपोर्ट में लिखते “ क्लीनिकल रिपोर्ट (BHT) के अनुसार हम मृत्यु-पूर्व एस्फिक्सियल विषाक्तता (ज़हर के कारण घुटन) से इनकार नहीं करते, और मृत्यु का कारण एस्फिक्सिया को मानते हैं।

बिसरा रिपोर्ट और मेडिको लीगल दोनों के बीच ऐसा विरोधाभास देखकर प्रभुनाथ के परिजनों को बिसरा बदले जाने या छेड़छाड़ किए जाने का शक होता है जिसपर उनके द्वारा लखनऊ पुलिस को पत्र दिया जाता है जिसमें बिसरा में संरक्षित अंगों के टुकड़ों के DNA को मृतक प्रभुनाथ के माता और पिता के DNA से मिलान कराने हेतु हैदराबाद में स्थित केंद्र सरकार की लैब CDFD भेजकर परीक्षण कराए जाने का निवेदन किया गया जिसे पुलिस ने स्वीकार करते हुए FSL लखनऊ से बिसरा कलेक्ट कर और पुलिस की मौजूदगी में वीडियोग्राफी कर माता पिता का ब्लड सैंपल DNA मिलान के लिए CDFD हैदराबाद भेजा गया।

Ragini Sinha

Ragini Sinha

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