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Lucknow University: लिटरेचर फेस्ट में साहित्यकार और अभिनेता करेंगे लखनऊ की तहजीब पर चर्चा

Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय में दो दिवसीय लिट फेस्ट की शुरुआत हुई। इस फेस्ट की थीम "लखनऊ एक नया दौर है" निर्धारित है। इसमें दो दिनों तक कई सत्र आयोजित किए जाएंगे।

Abhishek Mishra
Published on: 16 March 2024 8:43 PM IST
Litterateurs and actors will discuss the culture of Lucknow in the Literature Fest
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लिटरेचर फेस्ट में साहित्यकार और अभिनेता करेंगे लखनऊ की तहजीब पर चर्चा: Photo- Newstrack

Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय में दो दिवसीय लिटफेस्ट की शुरुआत हुई। इस फेस्ट की थीम "लखनऊ एक नया दौर है" निर्धारित है। इसमें दो दिनों तक कई सत्र आयोजित किए जाएंगे। जिनमें साहित्य के जानकार अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। प्रख्यात साहित्यकार यतींद्र मिश्रा प्रथम सत्र में वक्ता रहे।

एलयू में शुरू हुआ लिट फेस्ट

एलयू के मालवीय और एपी सेन सभागार में अंग्रेजी और आधुनिक यूरोपियन विभाग की ओर से आयोजित लिट फेस्ट का शुभारंभ हुआ। कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने फेस्ट का उद्घाटन किया। अफगानिस्तान के छात्र मसीह अलहम ने हिंदी गाना ‘जिंदगी प्यार का गीत है’ गाया । प्रख्यात साहित्यकार यतींद्र मिश्रा ने कहा कि इस को समझना आसान नहीं है। जब कोई शहर अपनी परंपराओं और तहजीब को संजोता है तब वह लखनऊ बनता है। शहर को और यहां होने वाले परिवर्तन को समझने के किए सबसे पहले संस्कृति को जानना जरूरी है।


लखनऊ एक कास्मोपोलिटन शहर है

फेस्ट में एक सत्र में विश्वविद्यालय के मानवशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. नदीम हसनैन, लेखक मेहरू जफर और फोटोग्राफर मारूफ कलमेन पैनलिस्ट के रूप में मौजूद रहे। उन्होंने लखनऊ के खानपान और तहजीब के बारे में सलीम आरिफ से बातचीत की। यतींद्र मिश्रा ने कहा कि "कथक की परंपरा में बिरजू महाराज, अच्छन महाराज छम्मू महाराज और बिंद्यामहाराज का बड़ा योगदान रहा है। प्रो. नदीम ने कहा कि लखनऊ एक कास्मोपोलिटन शहर है। देश के अलग- अलग हिस्सों से आए लोग यहां बस गए हैं। मूल निवासी कम रह गए हैं। अब लखनऊ आईटी और मेडिकल हब के तौर पर पहचान बना रहा है।" मेहरू जफर ने कहा कि "नवाबों ने लखनऊ की संस्कृति को अपनाया और लखनऊ को तहजीब का शहर बनाया।"


थियेटर में शहर ने कई लोगों को दिलाया मुकाम

लिट फेस्ट के दूसरे सत्र में वरिष्ठ रंगकर्मी सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ ने थियेटर और सिनेमा विषय पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि थिएटर के मामले में लखनऊ बेहतरीन शहर रहा है। थिएटर में करियर शुरू करने से पहले ही शहर में मंचीय रामलीला होती थी। पद्मश्री राज बिसारिया को याद कर कहा कि थियेटर में शहर ने काफी लोगों को मुकाम दिलाया है। सलीम आरिफ ने कहा कि पोस्टर बनाने से उनकी थिएटर करियर में शुरुआत हुई। हमारे जमाने में समय का सही उपयोग होता था क्योंकि तब इंटरनेट नहीं था। हर जानकारी लाइब्रेरी में मिलती थी।

एक सत्र में अभिनेता अमित तिवारी ने कहा कि रंगमंच और अभिनय में हमेशा मन लगा रहता था। एनएसडी में जाना चाहता था। लेकिन मां की बात मानकर एलयू में प्रवेश लिया। आईएएस डॉ. हरिओम ने तीसरे सत्र में ऊर्दू विभाग के पूर्व डॉ. अब्बास रजा नैय्यर से बातचीत की। डॉ. हरिओम ने खुद लिखी गजले सुनाई। उन्होंने पद्मश्री राज बिसारिया को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर आयोजन सचिव प्रोफेसर ऑफ एनिमेन्स प्रो. निशि पांडेय, प्रो. मैत्रीय प्रियदर्शिनी और अंग्रेजी विभाग के शिक्षक समेत कई अन्य मौजूद रहे।



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Shashi kant gautam

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