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Lucknow News: पत्रकार को पीटने वाले मनोज सिंह और उसके गुर्गों पर भड़के CM योगी, ले लिया बड़ा एक्शन
Lucknow News: चटोरी गली में पत्रकार और उनके परिवार पर हुए बीजेपी नेता के गुर्गों के हमले ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी थी। घटना की गंभीरता को समझते हुए CM योगी ने तुरंत संज्ञान लिया और मनोज सिंह के गनर हटा दिए गए।
Lucknow News: लखनऊ के 1090 चौराहे स्थित चटोरी गली में पत्रकार और उनके परिवार पर हुए बीजेपी नेता के गुर्गों के हमले ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी थी। रवि श्रीवास्तव, पत्रकार अपने बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी, बच्चों और भाई के परिवार के साथ अपनी बेटी के जन्मदिन का जश्न मना रहे थे, जब अचानक उनके साथ बदसलूकी और मारपीट की घटना घटित हुई।
खाना खाने पर विवाद, और फिर हमला
घटना की शुरुआत तब हुई जब पत्रकार ने खाने की खराब क्वालिटी को लेकर शिकायत की। आरोप है कि मनोज सिंह, जो खुद को एक बीजेपी नेता बताता है, और उसके गुर्गों ने पत्रकार और उनके परिवार पर हमला कर दिया। मनोज सिंह का कहना था कि पत्रकार ने उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाया है। हमले में रवि श्रीवास्तव और उनके परिवार के सदस्य घायल हो गए।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
इस घटना के बाद डायल 112 की पुलिस मौके पर पहुंची और हमलावरों को पकड़कर थाने ले गई। लेकिन मनोज सिंह ने थाने में पुलिसकर्मियों को धमकाया और इसके बाद हमलावरों को रिहा कर दिया गया। चौकी इंचार्ज ने तो पीड़ित पत्रकार पर ही कार्रवाई की धमकी दे डाली, जिससे मामला और बढ़ गया। इस घटना ने पुलिस की निष्क्रियता और राजनीतिक दबाव को उजागर किया।
सीएम योगी का हस्तक्षेप
घटना की गंभीरता को समझते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तुरंत संज्ञान लिया और मनोज सिंह के गनर हटा दिए गए। इसके साथ ही, प्रशासन को मनोज सिंह के खिलाफ लंबित धोखाधड़ी के मामलों की जांच करने का आदेश दिया। प्रशासन ने बलिया, लखनऊ और दिल्ली में मनोज सिंह के खिलाफ लंबित मामलों की सूची तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
मनोज सिंह की विवादित छवि
मनोज सिंह बलिया जिले के बैरिया का रहने वाला है, वर्तमान में लखनऊ के विभूति खंड में रहकर चटोरी गली में दुकानों का संचालन करता है। 2022 में समाजवादी पार्टी से बीजेपी में शामिल होने के बाद मनोज की विवादित छवि और उसके खिलाफ दर्ज मामलों की लंबी सूची चर्चा में है। इसके बावजूद, उसे Y श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है, जो एक सवाल खड़ा करता है कि क्या उसे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।