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Lucknow News: क्या एसडीएम की नौकरी भी जा सकती है?, राज्यपाल को समन भेजने का मामला
Lucknow News: बदायूं के एसडीएम सदर की न्यायिक द्वारा राज्यपाल को समन दे दिया गया। महामहिम के नाम नोटिस जारी कर 18 अक्टूबर को एसडीएम कोर्ट में अपना पक्ष रखने को हाजिर होने का आदेश दिया था।
Lucknow News: अपने पद के नशे में मदहोश बदायूं सदर एसडीएम न्यायिक विनीत कुमार यह समझ ही नहीं पाए वे सात अक्टूबर को बदायूं में लोड़ा बहेडी गांव के समीप बाईपास पर अधिग्रहित की जमीन पर दायर किये वाद पर पीडब्ल्यूडी की जगह जिसे नोटिस थमा रहे हैं वह सूबे की प्रथम नागरिक ही नहीं बल्कि एसडीएम की अप्वाइंटिंग अथारिटी हैं। मातहत को अपने अप्वाइंटिंग अथारिटी को नोटिस देने का हक ही नहीं है। पर ना जाने क्यों गलती से या पद के मदहोश में उन्होंने ऐसी गलती कर बैठी है कि अगर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने सदासयता नहीं दिखाई तो उन्हें नौकरी से भी हाथ धोना पड़ सकता है।
गौरतलब है कि एसडीएम की नियुक्ति राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद होती है। प्रांतीय सेवा कार्य के अधिकारियों की नियुक्ति अधिकारी राज्यपाल होते हैं जबकि केंद्र के स्तर पर प्रेसिडेंट होते हैं। हाल फिलहाल स्टेडियम में कुत्ता घुमाने के मामले में गृह मंत्रालय ने आईएएस संजीव खिरवार का लद्दाख और पत्नी रिंकू दुग्गा का अरुणाचल ट्रांसफर कर दिया था। कुछ इसी तरह बदायूं सदर के एसडीएम विनीत कुमार के साथ भी हो सकता है। इनका मामला काफी गंभीर हैं इन्होंने राज्यपाल को ही समन भेज दिया। ऐसे में इनको नौकरी से बर्खास्त भी किया जा सकता है।
बदायूं सदर तहसील के एसडीएम न्यायिक कोर्ट ने विधि व्यवस्थाओं को नजर अंदाज करते हुए सात अक्टूबर को बदायूं में लोड़ा बहेडी गांव के समीप बाईपास पर अधिग्रहित की जमीन पर दायर किये वाद पर पीडब्ल्यूडी की जगह राज्यपाल के नाम समन जारी किया था। इसमें राज्यपाल को राजस्व संहिता की धारा 144 के तहत उनकी कोर्ट में 18 अक्टूबर को तलब होने का आदेश दिया था। समन 10 अक्टूबर को राजभवन पहुंचा। जिसके बाद राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के विशेष सचिव ब्रदीनाथ सिंह 16 अक्टूूबर को जिलाधिकारी बदायूं को पत्र लिखकर संविधान के अनुच्छेद 361 का पूर्णतया उल्लंघन मानते हुए इस पर घोर आपत्ति जताई थी। इस मामले में हस्तक्षेप कर याचिका में विधि अनुसार पक्ष रखने व नोटिस जारी करने के संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने को कहा था।
देश भर में छाया रहा यह मामला-
बता दें कि यह मामला देश भर में छाया रहा। इस मामले में डीएम मनोज कुमार ने एसडीएम न्यायिक को चेतावनी जारी की थी और जांच के बाद रिपोर्ट शासन को भेजी थी, जिसके बाद बुधवार दोपहर को शासन ने एसडीएम न्यायिक विनीत कुमार को निलंबित कर दिया।
क्या था पूरा मामला?-
बता दें एक सरकारी परियोजना में अधिग्रहीत भूमि की लिखापढ़ी राज्यपाल के नाम हुई थी। 18 अक्टूबर को एसडीएम की ओर से सभी को समन जारी किया गया था जिसमें कोर्ट में पक्ष प्रस्तुत करने को कहा गया। यह समन राजभवन तक पहुंचा तो राज्यपाल के विशेष सचिव बद्रीनाथ सिंह ने जिलाधिकारी मनोज कुमार को पत्र लिखा। समन को घोर आपत्तिजनक बताते हुए नियमानुसार कार्रवाई के आदेश दिए थे।
राज्यपाल को समन से खलबली
बदायूं के एसडीएम सदर की न्यायिक द्वारा राज्यपाल को समन दे दिया गया। महामहिम के नाम नोटिस जारी कर 18 अक्टूबर को एसडीएम कोर्ट में अपना पक्ष रखने को हाजिर होने का आदेश दिया था। बता दें कि राज्यपाल प्रदेश का मुखिया होता है और उसको सारे अधिकार संविधान में दिए गए हैं, मगर फिर भी एसडीएम की इस कारपूत के चलते प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर राज्यपाल को क्यों नोटिस दिया गया? एसडीएम सदर की न्यायिक कोर्ट ने विधि व्यवस्थाओं को भी नजरअंदाज कर दिया, इसके चलते राज्यपाल के विशेष सचिव ने चेतावनी जारी की है और भविष्य में ऐसा न हो।