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BSP Meeting: लोकसभा चुनाव को लेकर मायावती का आज बड़ी बैठक, यूपी-उत्तराखंड के बसपा पदाधिकारी हुए शामिल
BSP Meeting: यूपी की सभी 80 और पड़ोस के उत्तराखंड की पांच सीटों पर चुनाव प्रचार और प्रत्याशियों के चयन की रणनीति पर चर्चा करने के लिए मायावती शनिवार को लखनऊ में बड़ी बैठक कर रही हैं।
BSP Meeting: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावाती लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि आम चुनाव के समर में उनकी पार्टी अकेले मैदान में उतरेगी और 2019 की तरह इस बार किसी भी दल से उनका गठबंधन नहीं होगा। ऐसे में यूपी की सभी 80 और पड़ोस के उत्तराखंड की पांच सीटों पर चुनाव प्रचार और प्रत्याशियों के चयन की रणनीति पर चर्चा करने के लिए मायावती शनिवार को लखनऊ में बड़ी बैठक कर रही हैं।
बसपा दफ्तर में हो रही इस मीटिं में यूपी और उत्तराखंड के प्रदेश पदाधिकारियों के अलावा सभी राष्ट्रीय पदाधिकारी और सभी जिलाध्यक्ष शामिल हुए हैं। बैठक सुबह 11 बजे से जारी है। मीटिंग के बाद बसपा सुप्रीमो मीडिया से मुखातिब हो सकती हैं। बसपा सूत्रों की मानें तो मायावती आज की बैठक में पार्टी के नेताओं को चुनाव से संबंधित आगे की तैयारियों के लिए जरूरी दिशा-निर्देश भी देंगी।
मायावती ने गठबंधन न करने की गिनाई थी वजह
बसपा सुप्रीमो मायावती लगातार किसी भी अलायंस में शामिल होने की बात को नकारती रही हैं। कांग्रेस नेताओं द्वारा उन्हें इंडिया गठबंधन में शामिल करने की कोशिश के बावजूद वो बीजेपी, कांग्रेस और सपा पर समान रूप से हमलावर दिखती हैं। पिछले दिनों अपने जन्मदिन के मौके पर उन्होंने विस्तार से बताया कि आखिर क्यों वह किसी भी दल के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं।
मायावती ने कहा था कि गठबंधन करने से उनकी पार्टी को वोट घट जाता है। अलायंस से अन्य दलों को तो फायदा हो जाता है लेकिन बसपा को नुकसान उठाना पड़ता है। अधिकांश पार्टी इसीलिए बसपा से गठबंधन करने को आतुर रहते हैं। उन्होंने कहा कि गठबंधन कर बसपा का पूरा वोट सहयोगी पार्टी को तो चला जाता है लेकिन उस गठबंधन को वोट विशेषकर सवर्णों का वोट बसपा को नहीं मिलता।
सवर्ण वोट बसपा को ट्रांसफर नहीं होते। इसलिए बहुजन समाज पार्टी किसी भी अन्य दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी। सांप्रदायिक सोच वाली पार्टी से दूरी बना कर रखेंगे। उन्होंने सपा का नाम न लेते हुए कि अधिकांश दलों की मानसिकता जातिवादी है। मायावती ने दावा किया कि हमारी पार्टी अकेले चुनाव लड़कर बेहतर नतीजे लाएगी। उन्होंने आगे कहा कि हम इसलिए चुनाव लड़ते हैं क्योंकि इसका सर्वोच्च नेतृत्व एक दलित के हाथ में है।
बता दें कि 2019 का लोकसभा चुनाव बसपा, सपा और रालोद ने मिलकर लड़ा था। कागज पर ये महागठबंधन काफी मजबूत दिख रहा था और माना जा रहा था कि परिणाम 2015 के बिहर विधानसभा चुनाव जैसे आएंगे। लेकिन जब नतीजे आए तो यह महागठबंधन फ्लॉप साबित हुआ। बीजेपी को कुछ सीटों का नुकसान जरूर हुआ फिर भी वो 60 से अधिक सीटें जीतने में कामयाब रहीं। वहीं, बसपा 10, सपा 5 और रालोद को शून्य सीट हासिल हुआ। बसपा 2014 में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। इस हिसाब से उसे इस गठबंधन का सबसे अधिक फायदा हुआ था।