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Lucknow News: पुनर्वास विवि में बनेगी पेडार्थिक लैब, लिम्ब लॉस से बचाने में करेगी मदद

Rehabilitation University: पुनर्वास विवि के कुलपति प्रो. संजय सिंह का कहना है कि एक शोध के अनुसार करीब 30 प्रतिशत लिम्ब लॉस डायबिटिज के कारण होता है। जो लिम्ब लॉस का दूसरा बड़ा कारण है। डायबिटिज से ग्रसित व्यक्तियों के पैरों में वजन पड़ने के कारण घाव ठीक नहीं होता है।

Abhishek Mishra
Published on: 14 Jun 2024 11:30 AM IST
Lucknow News: पुनर्वास विवि में बनेगी पेडार्थिक लैब, लिम्ब लॉस से बचाने में करेगी मदद
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Lucknow News: डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के कृत्रिम अंग एवं पुनर्वास केन्द्र में पेडार्थिक लैब बनाई जाएगी। इससे डायबिटीज के कारण होने वाले लिम्ब लॉस (पैर काटना) की समस्या से बचाने में मदद मिल सकेगी।

लिम्ब लॉस से बचाव में मदद करेगी लैब

पुनर्वास विवि के कुलपति प्रो. संजय सिंह का कहना है कि एक शोध के अनुसार करीब 30 प्रतिशत लिम्ब लॉस डायबिटिज के कारण होता है। जो लिम्ब लॉस का दूसरा बड़ा कारण है। डायबिटिज से ग्रसित व्यक्तियों के पैरों में वजन पड़ने के कारण घाव ठीक नहीं होता है। चलने के कारण लगातार टिशु डैमेज होते हैं। जिसके चलते पैर काटना पड़ता है। कुलपति बताते हैं कि लैब की स्थापना से शुरूआत में ही पैरों के पंजों पर पड़ने वाले प्रेशर को माप कर उसे दूसरे हिस्से में जहां कम वजन पड़ रहा है, पर शिफ्ट कर दिया जाएगा। इसके बाद लगातार मशीन के जरिए मॉनिटरिंग की जाएगी। इससे लिम्ब लॉस की संभावना काफी कम हो जाएगी।

कम लागत के कृत्रिम अंग भी बनेंगे

पुनर्वास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय सिंह ने बताया कि परिसर में मौजूद कृत्रिम अंग एवं पुनर्वास केन्द्र को अपडेट किया जाएगा। इसका खाका तैयार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मायोइलेक्ट्रिक प्रोस्थेटिक लैब की स्थापना होगी। मौजूदा समय में केन्द्र मैकेनिकल कृत्रिम हाथ की सुविधा दिव्यांगजन को प्रदान कर रहा है। जिससे कृत्रिम हाथ लगाने के बाद दिव्यांग को हाथ के कटे हुए भाग के ऊपर के मांसपेशियों के पावर से कृत्रिम हाथ कार्य करता है। इस लैब के जरिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित मायोइलेक्ट्रिक कृत्रिम अंग पर अनुसंधान कर कम लागत के कृत्रिम अंग निर्माण किए जाएंगे।

गठिया और लकवा पीडित के लिए मुफ्त स्पिलिंटिंग सुविधा

पुनर्वास विश्वविद्यालय कृत्रिम अंग एवं पुनर्वास केन्द्र के लिए एक पोर्टल का निर्माण करा रहा है। इसके जरिए दिव्यांगजन घर बैठे केन्द्र की सेवाएं पाने के लिए पंजीकरण कर सकेंगे। कृत्रिम अंग के निर्माण कराने की तिथि भी प्राप्त कर सकते हैं। यहां केन्द्र स्पिलिंटिंग की सुविधा भी स्थापित की गई है। यह प्रदेश की एकमात्र संस्था है जो स्पिलिंटिंग की सुविधा मुफ्त में दिव्यांगजन को प्रदान करेगा। सुविधा उन व्यक्तियों के लिए उपयोगी है जो गठिया और लकवा के बीमारी से ग्रसित हैं।

कम्प्यूटराइज्ड फुट स्कैनिंग और आर्थोटिक मोल्डिंग मशीन लगेगी

कुलसचिव रोहित सिंह ने बताया कि कृत्रिम अंग एवं पुनर्वास केन्द्र में कम्प्यूटराइज्ड फुट स्कैनिंग मशीन एवं फुट आर्थोटिक मोल्डिंग मशीन से लैस प्रयोगशाला बनाई जाएगी। इसके जरिए फुट के प्रेशर को मापा जाएगा। आर्थोटिक उपचार के लिए फुट आर्थोसिस (इन्सोल) दिया जाएगा। जिससे टिशु डैमेज रोका जा सकेगा। कुलसचिव ने बताया कि केन्द्र की सुविधाएं लेने के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य है।

Abhishek Mishra

Abhishek Mishra

Correspondent

मेरा नाम अभिषेक मिश्रा है। मैं लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। मैंने हिंदुस्तान हिंदी अखबार में एक साल तक कंटेंट क्रिएशन के लिए इंटर्नशिप की है। इसके साथ मैं ब्लॉगर नेटवर्किंग साइट पर भी ब्लॉग्स लिखता हूं।

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