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Lucknow News: डेंगू में 7 से 14 दिनों का पीरियड अहम, इसमें मरीज का ध्यान रखने की होती है अधिक जरूरत

Lucknow News: डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि डेंगू आमतौर पर एक वेक्टर बॉर्न डिज़ीज है जो मच्छर के काटने से होती है।

Santosh Tiwari
Written By Santosh Tiwari
Published on: 23 Sep 2024 1:46 PM GMT (Updated on: 23 Sep 2024 1:58 PM GMT)
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डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल के CMS डॉ. राजेश श्रीवास्तव से न्यूज़ट्रैक ने की बातचीत।

Lucknow News: डेंगू की बीमारी में 7 से 14 दिनों का पीरियड काफी अहम होता है और यही वो दौर होता है जब मरीज को बुखार आता है, प्लेटलेट्स गिरते हैं, शॉक लगते हैं और रैशेज के साथ ही ब्लीडिंग की टेंडेंसी डेवलप होती है। यह कहना है राजधानी लखनऊ के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल के CMS डॉ. राजेश श्रीवास्तव का। सोमवार को डेंगू को लेकर न्यूज़ट्रैक ने डॉ. राजेश श्रीवास्तव से विस्तृत बातचीत की है। इसमें उन्होंने डेंगू के लक्षण, बचाव और उसके प्रति आम जनता के बीच फैली किवदंतियों और नुस्खों पर अपनी राय दी है।

पहले जानिए क्या है डेंगू और इसके फैलने का कारण

बातचीत में सबसे पहले डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि डेंगू आमतौर पर एक वेक्टर बॉर्न डिज़ीज है जो मच्छर के काटने से होती है। इससे बचाव का सबसे सीधा और सरल उपाय यही है कि अपने घरों के अंदर और बाहर कहीं भी मच्छरों को पनपने न दिया जाए। यह मच्छर ज्यादातर साफ़ पानी में ही पनपता है ऐसे में यह भी देखना चाहिए कि कहीं भी पानी जमा न हो रहा हो। इसके अलावा सोने के समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें और फुल बाहों के कपड़े पहने रहें। यह सब बहुत आसान और कारगर उपाय हैं। जिनको अपनाने से डेंगू से बचा जा सकता है।

इन परिस्थितियों में चढ़ानी पड़ती हैं प्लेटलेट्स

डेंगू में अक्सर निजी अस्पताल प्लेटलेट्स चढ़ाने के नाम पर मरीजों से लूट-खसोट शुरू कर देते हैं। इस पर डॉ. राजेश श्रीवास्तव कहते हैं कि आमतौर पर मरीजों को प्लेटलेट्स चढाने की जरूरत नहीं पड़ती है। यह स्थिति तभी आती है जब प्लेटलेट्स काउंट 10 हजार के नीचे चला जाए। वह बताते हैं कि प्लेटलेट्स काउंट तभी कम होता है जब ब्लीडिंग टेंडेंसी डेवेलप होती है। 10 हजार से कम प्लेटलेट्स होने पर ही अलग से प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है अन्यथा इसकी कोई जरुरत नहीं है।

ये फल होते हैं कारगर

डेंगू बीमारी से लड़ने में कुछ फलों का भी अहम योगदान होता है। खासतौर से पपीता, कीवी, नारियल पानी और ड्रैगन फ्रूट के सेवन की सलाह डॉक्टर भी देते हैं। इसके अलावा बकरी का ताजा दूध भी मरीज को दिया जाता है। इससे भी काफी हद तक लाभ होता है। यदि खाने की बात करें तो डेंगू के मरीज को सिर्फ लिक्विड डाइट ही दी जाती है क्योंकि कई बार डेंगू की वजह से लीवर में भी इन्फेक्शन शुरू हो जाता है। इसकी वजह से लीवर फंक्शन कमजोर हो जाता है। नतीजतन, मरीज को सिर्फ हल्का और जल्दी हजम हो जाने वाला सादा खाना दिया जाता है।

Santosh Tiwari

Santosh Tiwari

Reporter

Santosh Tiwari, is a Lucknow based Journalist who works with the principle of "Creating real art through his articles". He holds a PG degree in Journalism from the prestigious MCNUJC, Bhopal followed by graduation in Journalism and Mass Communication from Lucknow Public College of Professional Studies. He keeps a keen eye on local crime and organised crime with a grasp of State and National Politics. He maintains a wide network of journalists and informers all over the city along with rural settlements of Lucknow. He started his journalistic journey with Hindustan Hindi Daily's Lucknow Edition as an intern in 2017. Later on, joined Navbharat Times as a Stringer in his final year of graduation. During his tenure in NBT, he covered Lucknow District Prison, Model Prison and Female Prison, Agriculture and Rural crime etc. In 2019, Santosh shifted to Bhopal for his Post graduation. After completing PG in 2021 he started working with Inshorts/Public App as Hindi Content Specialist in National team. In April 2024 he left Inshorts and Currently he is serving Newstrack as an Reporter.

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