Lucknow News: पेटा संस्था ने माँझा इस्तेमाल ना करने की की अपील

Lucknow News: इस कार्रवाई का उद्देश्य जनता के बीच जागरूकता फैलाना है कि कांच से लेपित तेज़ धार वाला नायलॉन मांझा अपने सभी रूपों में पक्षियों और इंसानों के लिए खतरन है।

Ashutosh Tripathi
Published on: 12 Jan 2024 9:43 AM GMT
PETA  Act
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PETA Act(photo: Newstrack.com)

Lucknow News: पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया और आश्रय फाउंडेशन का एक सम खून से सने और "कांच-लेपित मांझे" में फंसे पक्षी की पोशाक पहनकर एक विशाल पतंग पर लेटेंगा, जिस पर लिखा होगा, "का लेपित माँझा पक्षियों के पंख काट देता है" और "जानलेवा माँझे का इस्तेमाल न करें"। इस कार्रवाई का उद्देश्य जनता के बीच जागरूकता फैलाना है कि कांच से लेपित तेज़ धार वाला नायलॉन मांझा अपने सभी रूपों में पक्षियों और इंसानों के लिए खतरन है। इस प्रकार के धारदार माँझे के प्रयोग के कारण, हर साल बहुत से जानवर एवं इंसान चोटिल होते हैं और अपनी जान गंवाले इसलिए सभी के हित में पतंगबाज़ी हेतु केवल सादी सूती डोर का इस्तेमाल करना चाहिए।

PETA इंडिया की कैम्पेनस कॉर्डिनेटर उत्कर्ष गर्ग ने कहा, "मांजा इंसानों और पक्षियों दोनों को नुकसान पहुंचाता है और दोन लिए जानलेवा है। हम सभी से आग्रह करते हैं कि वे मांझे का त्याग करके, मकर संक्रांति के त्योहार को सभी के लिए आनं बनाएं।"


मांझे के सभी प्रकार मनुष्यों, अन्य जानवरों और पर्यावरण को खतरे में डालते हैं। कांच से लेपित तेज़ धार वाले नायलॉन मांइ कई लुप्तप्राय प्रजातियों और पक्षियों की आबादी पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है। हर साल हजारों पक्षी इनमें फंसकर चोटिल जाते हैं और खून की कमी के अपने प्राण गवां देते हैं। साथ ही साथ कई पक्षी पेड़ों या इमारतों पर फंसे मांझे से भी लिपट जा और आसानी से दिखाई न देने के कारण इन्हें समय से किसी प्रकार की पशुचिकित्सकीय मदद नहीं मिल जाती हैं जि परिणामस्वरूप इन्हें काफी दर्दनाक मौत का शिकार होते हैं। मांझा अक्सर पेड़ों, खंभों और इमारतों पर लिपटा रहता है और पर्या को प्रदूषित करता है।


मांझे के कारण हर साल कई इंसानों को भी अपनी जान गंवानी पड़ती है। पिछले साल दिसंबर में मुंबई में एक 37 वर्षीय कांस् की मांझे में फंसने के कारण गले में चोट लगने से मौत हो गई थी। पिछले साल उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में एक अन्य घटना में 25 वर्षीय व्यक्ति के गले पर मांझे के कारण बहुत गंभीर चोट आई थी, और जनवरी में, गुजरात में मांजा से 11 लोगों की म गई, और राज्य में केवल दो दिन के अंदर-अंदर 1,281 दुर्घटनाएं दर्ज की गई थी।


मांझा ब्लैकआउट और बिजली के झटके से होने वाली मौतों का कारण भी बनता है। बिजली वितरण कंपनियों ने बिजली अ लाइनों के आसपास पतंग उड़ाने के खिलाफ चेतावनी दी है क्योंकि इससे शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग सकती है और कि गुल हो सकती है।

PETA इंडिया इस सिद्धान्त के तहत कार्य करता है कि, "पशु किसी भी तरह से दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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