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Bijli Nijikaran Virodh: बिजली निजीकरण पर पावर कारपोरेशन अध्यक्ष की टिप्पणी भड़काने वाली, कर्मचारियों में रोष

Bijli Nijikaran Virodh: नियामक आयोग के अध्यक्ष द्वारा भविष्य की लाइसेंसी के रूप में निजी कंपनियों का उल्लेख करना पूर्णतया अनावश्यक और अवांछनीय है। निजीकरण हुए बिना निजी कंपनी को भविष्य की लाइसेंसी लिखना एक भड़काने वाला कदम है।

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Newstrack Network
Published on: 19 Jan 2025 3:16 PM IST
Power privatization News (Social Media)
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Bijli Nijikaran Virodh: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष द्वारा बिजली के निजीकरण पर दिए गए बयान को अवांछनी और भड़काने वाला बताते हुए कहा है कि विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष ने उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन का अध्यक्ष रहते हुए बिजली कर्मचारियों के साथ लिखित समझौता किया है कि बिजली का निजीकरण नहीं किया जाएगा और विद्युत वितरण के मौजूदा ढांचे में ही बिजली व्यवस्था में सुधार का कार्य किया जाएगा। अब उनके द्वारा निजीकरण के संबंध में की गई टिप्पणी पूरी तरह से अनुपयुक्त है और इससे बिजली कर्मचारियों में भारी गुस्सा व्याप्त हो गया है।

अनावश्यक और अवांछनीय

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि नियामक आयोग के अध्यक्ष द्वारा भविष्य की लाइसेंसी के रूप में निजी कंपनियों का उल्लेख करना पूर्णतया अनावश्यक और अवांछनीय है। निजीकरण हुए बिना निजी कंपनी को भविष्य की लाइसेंसी लिखना एक भड़काने वाला कदम है। संघर्ष समिति ने यह कहा की 6 अक्टूबर 2020 को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के साथ हुए लिखित समझौते में यह कहा गया है कि विद्युत वितरण की मौजूदा व्यवस्था बनाए रखते हुए बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लेकर सुधार के कार्यक्रम किए जाएंगे। साथ ही उत्तर प्रदेश के ऊर्जा क्षेत्र में किसी भी प्रकार का निजीकरण बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लिए बगैर नहीं किया जाएगा। यह समझौता वित्त मंत्री श्री सुरेश खन्ना जी एवं तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा जी की उपस्थिति में हुआ था जिसमें पावर कॉरपोरेशन के तत्कालीन अध्यक्ष अरविंद कुमार जी एक पार्टी है। अब उनके द्वारा निजीकरण की बात कहा जाना सीधे-सीधे इस समझौते का उल्लंघन है।

टिप्पणी बिल्कुल गलत

संघर्ष समिति ने कहा कि रियायती बिजली की सुविधा 25 जनवरी 2000 को तत्कालीन मुख्यमंत्री के साथ हुए लिखित समझौते तथा ट्रांसफर स्कीम 2000 का एक अंग है ।यह एक एक्ट का पार्ट है। ऐसे में विद्युत नियामक आयोग द्वारा यह टिप्पणी कि विभागीय कर्मचारियों को मिल रही बिजली सुविधा सामान्य एल एम वी 1 के अंतर्गत मिल रही बिजली की दरों की दुगनी होगी, पूर्णतया गलत है। संघर्ष समिति ने कहा कि ऐसी बातें बेहद भड़काने वाली बातें हैं और इससे अनावश्यक तौर पर बिजली कर्मचारियों को उत्तेजित किया जा रहा है। रियायती बिजली की सुविधा कर्मचारियों से छीनने की कोशिश हुई तो इसकी तीखी प्रतिक्रिया होगी जिसकी सारी जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी।

संघर्ष समिति की आम सभा

आज प्रदेश के समस्त जनपदों एवं परियोजना मुख्यालयों पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की आमसभा हुई। सभा में निर्णय लिया गया की 23 जनवरी को बिजली के निजीकरण हेतु कंसल्टेंट की नियुक्ति हेतु प्री वेडिंग कांफ्रेंस के दिन भोजन अवकाश के दौरान शत प्रतिशत कर्मचारी कार्यालय से बाहर आकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। राजधानी लखनऊ में 23 जनवरी को शक्ति भवन मुख्यालय पर लखनऊ स्थित समस्त कार्यालयों के बिजली कर्मचारी एकत्र होकर शांतिपूर्वक वैधानिक ढंग से प्री वेडिंग कॉन्फ्रेंस का प्रबल विरोध करेंगे। संघर्ष समिति के आह्वान पर अगले सप्ताह भर बिजली कर्मी काली पट्टी बांधकर पूरे दिन कार्य करेंगे और विरोध सभाएं करेंगे।



Ramkrishna Vajpei

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