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Lucknow News: हेपेटाइटिस बी टीकाकरण को बढ़ाने की तैयारी, नवजात बच्चों को किया जाएगा ट्रैक
डॉ. मनोज शुक्ल के अनुसार इस बीमारी में पीड़ित मां से नवजात बच्चों को भी हेपेटाइटिस बी से संक्रमित होने का खतरा रहता है। इसलिए संस्थागत प्रसव से पैदा होने वाले बच्चों को जन्म के 24 घंटे भीतर टीके की बर्थ डोज लगानी जरूरी है।
Lucknow News: हेपेटाइटिस बी के टीकाकरण अभियान को बढ़ाने की योजना तैयार की गई है। अब नवजात बच्चों के हेपेटाइटिस बी टीकाकरण को अधिक प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा। इसके जरिए टीकाकरण के आंकड़ों में वृद्धि की जा सकेगी। ज्यादा नवजात बच्चों को इस सुविधा का लाभ मिलेगा।
टीकाकरण से बच सकते हैं नवजात
उत्तर प्रदेश में इस समय करीब 71 फीसदी नवजात शिशुओं को हेपेटाइटिस बी का टीका लग रहा है। पिछले साल यह आंकड़ा काफी अधिक था। पहले की अपेक्षा इसमें बड़ी कमी देखने को मिली है। नवजात को जन्म लेने के 24 घंटे के भीतर हेपेटाइटिस बी का टीका लगना चाहिए। इसके जरिए शिशु को लिवर कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचाया जा सकता है।
यूविन पोर्टल से किया जाएगा ट्रैक
नियमित टीकाकरण के महाप्रबंधक डॉ. मनोज शुक्ल के अनुसार इस बीमारी में पीड़ित मां से नवजात को भी हेपेटाइटिस बी से संक्रमित होने का खतरा रहता है। इसलिए संस्थागत प्रसव से पैदा होने वाले बच्चों को जन्म के 24 घंटे भीतर टीके की बर्थ डोज लगानी जरूरी है। जिससे बच्चे को इस बीमारी से बचाया जा सके। नई रणनीति के तहत अब हर बच्चे को टीका लगाने की कोशिश है। इसके लिए बच्चों को ट्रैक करने की योजना है। यूविन पोर्टल व्यवस्था के माध्यम से काफी सहायता मिलेगी। पोर्टल की मदद से बच्चों को ट्रैक करने में आसानी होगी।
काफी तेजी से फैलती है यह बीमारी
हेपेटाइटिस बी एक घातक वायरल संक्रमण है। इस बीमारी को टीके रोका जा सकता है। संक्रमण सीधा लिवर पर हमला करता है। बीमारी से लिवर में सूजन हो जाती है। यह बीमारी खून या सुई के माध्यम से दूसरे व्यक्ति में प्रसारित होती है। यदि किसी मां को यह बीमारी है तो उसके नवजात शिशु में भी फैल सकती है। हेपेटाइटिस बी में लोगों की त्वचा पीली पड़ने लगती है। इससे पीडित होने वाले कुछ लोग कम समय के लिए संक्रमित रहते हैं लेकिन कुछ के लिए आजीवन समस्या हो जाती है। अधिक शराब का सेवन करने वालों को भी यह बीमारी हो सकती है।