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Bijli Nijikaran Virodh: बिजली कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन जारी, निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल निरस्त करने की मांग
Bijli Nijikaran Virodh:विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आवाहन पर आज 79 वें दिन बिजली कर्मियों का निजीकरण के विरोध में प्रांतव्यापी विरोध प्रदर्शन जारी रहा। संघर्ष समिति की मांग है कि बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों के हितों को देखते हुए निजीकरण की चल रही प्रक्रिया तत्काल निरस्त की जाए।
Bijli Nijikaran Virodh News (Photo Social Media)
Bijli Nijikaran Virodh: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आवाहन पर आज 79 वें दिन बिजली कर्मियों का निजीकरण के विरोध में प्रांतव्यापी विरोध प्रदर्शन जारी रहा। संघर्ष समिति की मांग है कि बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों के हितों को देखते हुए निजीकरण की चल रही प्रक्रिया तत्काल निरस्त की जाए। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण होने से कॉमन केडर के मुख्य अभियन्ता स्तर -1 के 7 पद, मुख्य अभियन्ता स्तर -2 के 25 पद, अधीक्षण अभियन्ता के 109 पद, अधिशासी अभियंता के 362 पद, सहायक अभियन्ता के 1016 पद, जूनियर इंजीनियर के 2154 पद समाप्त हो जाएंगे। तृतीय श्रेणी के अन्य कर्मचारियों के 23818 पद समाप्त हो जाएंगे और संविदा के लगभग 50 हजार पद समाप्त हो जाएंगे।
संघर्ष समिति ने कहा कि कॉमन केडर के इतने अधिक पद समाप्त होने से अभियंताओं और जूनियर इंजीनियरों की बड़ी संख्या में पदावनति होगी। सहायक अभियन्ता और अवर अभियंता के पद सरप्लस होने से सहायक अभियंताओं और अवर अभियंताओं की सैकड़ों की संख्या में छटनी होगी। निजीकरण से तृतीय श्रेणी के 23818 कर्मचारियों और लगभग 50 हजार संविदा कर्मियों की नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा है। इस प्रकार बिजली बिजली का निजीकरण किसी भी प्रकार कर्मचारियों के हित में नहीं है।
समिति ने कहा कि निजी कंपनी किसानों को मुफ्त बिजली नहीं देगी। इसका परिणाम यह होगा कि 7.5 हॉर्स पावर के ट्यूबवेल के मात्र 06 घंटे चलाने पर 12-15 हजार रुपए प्रति माह का बिजली बिल देना पड़ेगा। गरीबी रेखा से नीचे के सभी उपभोक्ताओं की सब्सिडी समाप्त हो जाएगी। मुंबई में निजीकरण के रहते घरेलू बिजली की दरें 17-18 रुपए प्रति यूनिट है। उप्र में अभी घरेलू बिजली की अधिकतम दरें 06.50 प्रति यूनिट है। निजीकरण के बाद इसमें तीन गुना वृद्धि होने की संभावना है। अतः बिजली का निजीकरण किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बहुत ही घातक होने वाला है। आज वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, हरदुआगंज, पारीछा, ओबरा, पिपरी और अनपरा में विरोध प्रदर्शन किया गया ।