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महानायकों को खलनायक और गद्दार कहना देश का दुर्भाग्य..राणा सांगा विवाद पर बोले राजा भइया
Raja Bhaiya: राजा भइया ने लिखा कि महाराणा होते हुए भी युद्ध में सबसे आगे की पंक्ति में लड़ने वाले राणा सांगा ने शरीर पर 80 से अधिक घाव खाये।
raja bhaiya
Raja Bhaiya: औरंगजेब को लेकर चल रहे विवाद के बीच समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के सदन में राणा सांगा को लेकर दिये गये विवादित बयान के बाद सियासत में भूचाल मचा हुआ है। भाजपा नेता सपा सांसद के बयान की कड़ी निंदा कर रहे हैं और उन्हें बयान को वापस लेने के लिए भी कह रहे हैं। वहीं अब इस मामले पर प्रतापगढ़ के कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। राजा भइया ने सपा सांसद के बयान को अभद्र और कष्टप्रद बताया है। साथ ही रामजी लाल सुमन के बयान को तुष्टिकरण की राजनीति करार दिया।
कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया ने सोषल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया है। जिसमें उन्होंने लिखा कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामजी लाल सुमन ने राज्यसभा में राणा सांगा के विषय में जो अभद्र टिप्पणी की है, वो सत्य से परे तो है ही, हर देशभक्त, हर राष्ट्रवादी के लिए बहुत ही कष्टप्रद है। राणा संग्राम सिंह जिन्हें हम राणा सांगा के नाम से जानते हैं, उन्होंने राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए अनेक लड़ाइयाँ लड़ीं और जीतीं।
युद्ध में राणा सांगा ने 80 से ज्यादा घाव सहे
राजा भइया ने आगे लिखा कि महाराणा होते हुए भी युद्ध में सबसे आगे की पंक्ति में लड़ने वाले राणा सांगा ने शरीर पर 80 से अधिक घाव खाये। उनकी एक आंख और एक हाथ भी जाते रहे, लेकिन उनकी पीठ पर एक भी घाव नहीं था।तुष्टिकरण के चलते हमारे महानायकों को खलनायक और गद्दार कहा जा रहा है। देश का दुर्भाग्य है कि औरंगज़ेब जैसे आततायी और बर्बर शासक का महिमामंडन करने के लिए कुछ लोग अपने ही महानायकों को छोटा दिखाने की होड़ में लगे हैं।
विधायक राजा भइया ने आगे लिखा कि कुंठित लोग राजनैतिक स्वार्थ वश, तुष्टिकरण के उद्देश्य से चाहे जो भी आरोप लगायें किंतु राणा सांगा देशभक्तों, राष्ट्रवादियों के लिए प्रातःस्मर्णीय रहेंगे, सम्मान और श्रद्धा के पात्र रहेंगे। कैसी विडंबना है जिसने अपने पिता को क़ैद किया, भाइयों की हत्या करके कुत्तों को खिला दिया ऐसे औरंगज़ेब को चाहने वाले भी इस देश में हैं, जो अपने ही महानायकों के गौरवशाली इतिहास को झुठला रहे हैं। इतिहास के सत्य पुनर्लेखन का युग आ चुका है।