×

Ayodhya Ram Lala: कचनार के फूलों से बने गुलाल से होली खेलेंगे रामलला

Ram Lala Ayodhya: मुख्यमंत्री योगी से प्रेरणा लेकर सीएसआईआर-एनबीआरआई के वैज्ञानिकों ने तैयार दो खास हर्बल गुलाल तैयार किए हैं।

Network
Report Network
Published on: 20 March 2024 4:32 PM GMT
राम लला के लिए बनाए गए खास गुलाल।
X

राम लला के लिए बनाए गए खास गुलाल। (Pic: Newstrack)

Ram Lala Holi 2024:अवधपुरी के भव्य-दिव्य-नव्य मंदिर में विराज रहे श्रीरामलला इस बार कचनार के फूलों से बने गुलाल से होली खेलेंगे। विरासत को सम्मान देने के भाव के साथ सीएसआईआर-एनबीआरआई के वैज्ञानिकों ने कचनार के फूलों से बने गुलाल को खास तौर पर तैयार किया है। यही नहीं, वैज्ञानिकों ने गोरखनाथ मंदिर, गोरखपुर के चढ़ाए हुए फूलों से भी एक हर्बल गुलाल तैयार किया है। बुधवार को संस्थान के निदेशक ने दोनों खास गुलाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेंट किए।

संस्थान के प्रयासों की हुई सराहना

मुख्यमंत्री ने इस विशेष पहल के लिए संस्थान के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश के साथ-साथ देश के कई स्टार्ट-अप और उद्यमियों के लिए अधिक अवसर एवं रोजगार प्रदान करेगा। निदेशक डॉ. अजित कुमार शासनी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अयोध्या में रामायणकालीन वृक्षों का संरक्षण किया जा रहा है। विरासत को सम्मान और परंपरा के संरक्षण देने के यह प्रयास हमारे वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणास्पद है। इसी के तहत, संस्थान द्वारा श्रीराम जन्मभूमि, अयोध्या के लिए बौहिनिया प्रजाति जिसे आमतौर पर कचनार के नाम से जाना जाता है, के फूलों से हर्बल गुलाल बनाया गया है। कचनार को त्रेतायुग में अयोध्या का राज्य वृक्ष माना जाता था और यह हमारे आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की सुस्थापित औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल आदि गुण भी होते हैं। इसी तरह, गोरखनाथ मंदिर, गोरखपुर में चढ़ाए हुए फूलों से हर्बल गुलाल को तैयार किया गया है। इन हर्बल गुलाल का परीक्षण किया जा चुका है और यह मानव त्वचा के लिए पूरी तरह से सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल है।

लैवेंडर फ्लेवर में बनाया गया गुलाल

निदेशक ने बताया कि कचनार के फूलों से हर्बल गुलाल लैवेंडर फ्लेवर में बनाया गया है, जबकि गोरखनाथ मंदिर के चढ़ाए हुए फूलों से हर्बल गुलाल चंदन फ्लेवर में विकसित किया गया है। इन हर्बल गुलाल में रंग चमकीले नहीं होते क्योंकि इनमें लेड, क्रोमियम और निकल जैसे केमिकल नहीं होते हैं। फूलों से निकाले गए रंगों को प्राकृतिक घटकों के साथ मिला कर पाउडर बनाया जाता है । इसे त्वचा से आसानी से पोंछ कर हटाया जा सकता है। गुलाल की बाजार में बेहतर उपलब्धता के लिए हर्बल गुलाल तकनीक को कई कंपनियों और स्टार्ट-अप्स को हस्तांतरित किया गया हैं। वर्तमान में बाजार में उपलब्ध रासायनिक गुलाल के बारे में बात करते हुए, डॉ. शासनी ने कहा कि ये वास्तव में जहरीले होते हैं, इनमें खतरनाक रसायन होते हैं , जो त्वचा और आंखों में एलर्जी, जलन और गंभीर समस्या पैदा कर सकते हैं। उन्होंने आगे बताया कि हर्बल गुलाल की पहचान करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि यह अन्य गुलाल की तरह हाथों में जल्दी रंग नहीं छोड़ेगा। संस्थान द्वारा विकसित हर्बल गुलाल होली के अवसर पर बाजार में बिक रहे हानिकारक रासायनिक रंगों का एक सुरक्षित विकल्प है।

Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

Content Writer

मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

Next Story