Lucknow: बच्चों की त्वचा पर पड़े चकत्ते तो सावधान हो जाएं...लोहिया में आयोजित कार्यशाला में बोलीं डॉ. शीतांशु

Lucknow News: कार्यशाला में डॉ. शीतांशु श्रीवास्तव ने बताया कि जन्म के कुछ समय बाद से ही बच्चों को त्वचा संबंधी एजर्ली हो सकती है। इसमें त्वचा सूख जाती है। उस पर लाल चक्कते पड़ जाते हैं। खुजली होती है।

Abhishek Mishra
Published on: 17 Oct 2024 12:30 PM GMT
Lucknow: बच्चों की त्वचा पर पड़े चकत्ते तो सावधान हो जाएं...लोहिया में आयोजित कार्यशाला में बोलीं डॉ. शीतांशु
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Lucknow News: राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के सभागार में गुरुवार को बच्चों में एलर्जी विषय पर कार्यशाला का आयोजन हुआ। यहां लोहिया संस्थान में पीडियाट्रिक विभाग की डॉ. शीतांशु श्रीवास्तव ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यदि पांच साल से छोटे बच्चे के सिर पर पपड़ी जम रही है। त्वचा खुशक हो रही है। उस पर चक्कते पड़ रहे हो तो संजीदा हो जाएं। यह त्वचा की एलर्जी हो सकती है। बाल रोग विशेषज्ञ की सलाह पर जरूरी जांच व इलाज कराना चाहिए।

सबसे पहले त्वचा पर होती है एलर्जी

लोहिया संस्थान में आयोजित कार्यशाला में डॉ. शीतांशु श्रीवास्तव ने बताया कि जन्म के कुछ समय बाद से ही बच्चों को त्वचा संबंधी एजर्ली हो सकती है। इसमें त्वचा सूख जाती है। उस पर लाल चक्कते पड़ जाते हैं। खुजली होती है। दो से चार प्रतिशत बच्चों में यह समस्या देखने को मिल रही है। उन्होंने बताया कि समय पर इलाज न होने से बच्चा गंभीर एलर्जी संक्रमण की चपेट में आ सकता है। सबसे पहले एलर्जी त्वचा की होती है। त्वचा के महीन कण सांस के जरिए शरीर में दाखिल होते हैं। जिससे दूसरी एलर्जी शुरू हो जाती हैं। इससे बचने के लिए डॉक्टर की सलाह पर पूरा इलाज कराएं।

इन लक्षणों से शुरु होती एलर्जी

कार्यशाला को संबोधित करते हुए दिल्ली के सर गंगा राम हॉस्पिटल में एलर्जी एंड पीडियाट्रिक स्लीप स्पेशलिस्ट डॉ. नीरज गुप्ता ने कहा कि बदलता वातावरण और प्रदूषण बच्चों में एलर्जी का प्रमुख कारण है। पांच साल से अधिक उम्र के बच्चों को सांस संबंधी एलर्जी देखने को मिल रही है। पांच प्रतिशत बच्चे एलर्जी की चपेट में आ रहे हैं। इसमें बच्चे को बुखार नहीं आता। लेकिन खांसी, बार-बार सर्दी-जुकाम, सांस की आवाज बदल जाना, बार-बार जकड़न समेत दूसरे लक्षण प्रकट होते हैं। इसकी वजह से बच्चे की नींद प्रभावित होती है। शुरूआत में इलाज जरूरी है। कुछ बच्चे इलाज से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। कुछ बच्चों को ताउम्र दवा व सावधानी बरतने की जरूरत पड़ती है।

भोजन से भी हो सकती एलर्जी

राम मनोहर लोहिया संस्थान के निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने कार्यशाला में कहा कि कुछ बच्चों में एलर्जी भोजन आदि से भी हो सकती है। इसका पता लगाने के लिए सटीक जांच कराने की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्यशाला से ज्ञान व तकनीक का आदान-प्रदान होता है।

Abhishek Mishra

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Correspondent

मेरा नाम अभिषेक मिश्रा है। मैं लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। मैंने हिंदुस्तान हिंदी अखबार में एक साल तक कंटेंट क्रिएशन के लिए इंटर्नशिप की है। इसके साथ मैं ब्लॉगर नेटवर्किंग साइट पर भी ब्लॉग्स लिखता हूं।

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