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Lucknow Ravan Dahan Time: लखनऊ में इतने बजे जलेगा रावण, ऐशबाग रामलीला मैदान में तैयारियां पूरी

Lucknow Ravan Dahan Time: लखनऊ के ऐशबाग में रामलीला का मंचन हो रहा है। मंगलवार को दशहरा पर्व पर यहां रावण दहन भी किया जाएगा।

Shishumanjali kharwar
Published on: 24 Oct 2023 4:32 PM IST (Updated on: 24 Oct 2023 4:32 PM IST)
Lucknow Ravan Dahan Time
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Lucknow Ravan Dahan Time (न्यूजट्रैक)

Lucknow Ravan Dahan Time: राजधानी लखनऊ के ऐशबाग में रामलीला का मंचन हो रहा है। मंगलवार को दशहरा पर्व पर यहां राम और रावण के युद्ध का मंचन किया जाएगा। इस दौरान यहां रावण दहन भी किया जाएगा। हालांकि अभी तक रावण दहन के समय का ऐलान नहीं किया गया है। बताया जा रहा है कि इस बार कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले का दहन नहीं किया जाएगा। इस बार रामलीला का मंचन नवीन भव्य तुलसी रंगमंच पर किया जा रहा है। कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी में स्वयं तुलसीदास ने इसकी शुरुआत की थी। साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ऐशबाग की रामलीला में हिस्सा लेने पहुंचे थे और जय सीताराम के नारे लगाए थे।

नए मंच पर दर्शकों को आधुनिक तकनीक के माध्यम से त्रेता युग के भव्य और अलौकिक स्वरूप को दिखाने का प्रयास किया जा रहा है। ऐशबाग में आयोजित हो रहे ‘रामोत्सव-2023’ का आयोजन 26 अक्टूबर 2023 तक किया जाएगा। श्री रामलीला समिति की तरफ से भी आयोजन को भव्य और दिव्य बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है। ऐशबाग में रामलीला के मंचन को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग एकत्रित होते हैं।

इस बार नहीं होगा कुंभकरण और मेघनाथ का दहन

ऐशबाग रामलीला में इस बार दशहरे पर केवल रावण का ही दहन किया जाएगा। इस बार कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले का दहन नहीं किया जाएगा। श्री रामलीला समिति के सचिव आदित्य द्विवेदी ने बताया कि युद्ध के दौरान कुंभकरण ने अपने भाई और मेघनाथ ने अपने पिता के लिए बलिदान दिया था। दोनों ने ही रावण को भगवान श्रीराम की महिमा के बारे में समझाया था लेकिन अहंकार में चूर रावण ने उनकी बात नहीं मानी। इसलिए समिति ने यह निर्णय लिया है कि इस बार दशहरे पर कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों का दहन नहीं किया जाएगा। राजधानी लखनऊ की अन्य रामलीला समितियों ने भी इस पर अपनी सहमति जताई है।


भारत की सबसे पुरानी है ऐशबाग रामलीला

राजधानी लखनऊ की ऐशबाग रामलीला को भारत की सबसे पुरानी रामलीला भी माना जाता है। गंगा-जमुनी तहजीब के प्रतीक माने जाने वाले ऐशबाग की रामलीला के बारे में यह कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी में स्वयं तुलसीदास ने इसकी शुरुआत की थी। कहा जाता है कि तुलसीदास ने रामलीला के मंचन का शुभारंभ 1860 में की थी। तब से लेकर आजतक यहां रामलीला का भव्य मंचन किया जा रहा है।



Shishumanjali kharwar

Shishumanjali kharwar

कंटेंट राइटर

मीडिया क्षेत्र में 12 साल से ज्यादा कार्य करने का अनुभव। इस दौरान विभिन्न अखबारों में उप संपादक और एक न्यूज पोर्टल में कंटेंट राइटर के पद पर कार्य किया। वर्तमान में प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल ‘न्यूजट्रैक’ में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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